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चीन ने पास किया ये नया कानून

बीजिंग. भारत के साथ पूर्वी लद्दाख और पूर्वोत्तर के राज्यों में महीनों से बरकरार बॉर्डर विवाद के बीच चीन ने जमीनी सीमाओं को मजबूत और नियंत्रित करने के लिए एक नया भूमि सीमा कानून पारित किया है. चीनी संसद में पास सीमावर्ती इलाकों के संरक्षण और उपयोग संबंधी नए कानून से भारत के साथ बीजिंग के सीमा विवाद पर असर पड़ सकता है.

नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) की स्थाई समिति के सदस्यों ने शनिवार को संसद की समापन बैठक के दौरान इस कानून को मंजूरी दी. यह कानून अगले साल एक जनवरी से प्रभाव में आएगा. इसके मुताबिक, ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पवित्र और अक्षुण्ण है.’

कानून में यह भी कहा गया है कि सीमा सुरक्षा को मजबूत करने, आर्थिक एवं सामाजिक विकास में मदद देने, सीमावती क्षेत्रों को खोलने, ऐसे क्षेत्रों में जनसेवा और बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने, उसे बढ़ावा देने और वहां के लोगों के जीवन एवं कार्य में मदद देने के लिए देश कदम उठा सकता है. वह सीमाओं पर रक्षा, सामाजिक एवं आर्थिक विकास में समन्वय को बढ़ावा देने के लिए उपाय कर सकता है.

बता दें कि पिछले 17 महीने से भारत-चीन सीमा विवाद में उलझे हैं. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुए हिंसक झड़प के बाद से ही दोनों देशों के बीच सीमा विवाद बरकरार है. इस झड़प में भारतीय सेना के तकरीबन 20 सैनिक शहीद हो गए थे.
नए कानून में कहा गया है कि बीजिंग ने अपने 12 पड़ोसियों के साथ तो सीमा संबंधी विवाद सुलझा लिए हैं, लेकिन भारत और भूटान के साथ उसने अब तक सीमा संबंधी समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया है.

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 3,488 किलोमीटर के क्षेत्र में है, जबकि भूटान के साथ चीन का विवाद 400 किलोमीटर की सीमा पर है. विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने पिछले सप्ताह कहा था कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर घटनाक्रमों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन-चैन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है और जाहिर तौर पर इसका व्यापक रिश्तों पर भी असर पड़ा है.