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एक ओलिंपिक मेडल दांव पर, रेसलर नरसिंह समेत 4 किरदारों के जरिए समझें पूरा विवाद< देश की सबसे बड़ी स्पोर्ट्स कॉन्ट्रोवर्सी

नई दिल्ली.रेसलर नरसिंह यादव के डोप टेस्ट में फेल होने के बाद रियो ओलिंपिक से पहले देश की उम्मीदों को झटका लगा है। दो बार के ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार और नरसिंह के बीच पहले रियो जाने को लेकर विवाद हुआ। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। नरसिंह को यहां जीत मिली। उनके फॉर्म को देखते हुए लगा कि देश का एक मेडल पक्का है। लेकिन, उनके डोप टेस्ट में फेल होने के बाद देश का एक मेडल अब दांव पर।dainikbhaskar.com चार किरदारों के जरिए बता रहा है पूरा विवाद…
क्या है विवाद की जड़?
– 2012 ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले योगेश्वर दत्त 60 Kg वेट कैटेगरी, सिल्वर जीतने वाले सुशील 66 Kg वेट कैटेगरी और नरसिंह 74 Kg वेट कैटेगरी में खेले थे।
– दिसंबर 2013 में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एसोसिएटेड रेसलिंग स्टाइल्स (FILA) ने नियम बदले।
– इसमें FILA ने रियो ओलिंपिक के लिए नई वेट कैटेगरी का एलान किया।
– इसके बाद योगेश्वर 65 Kg वेट कैटेगरी में खेलने लगे। सुशील 74 Kg वेट कैटेगरी में आ गए, जिसमें नरसिंह सालों से खेलते आ रहे थे।
– नियम के मुताबिक एक वेट कैटेगरी से एक देश से एक ही रेसलर ओलिंपिक में जा सकता है। यहीं से विवाद की नींव पड़ी।
विवाद में किसका क्या रोल
1# नरसिंह यादव
– रियो ओलिंपिक शुरू होने से कुछ दिन पहले डोप टेस्ट में फेल होने पर फिर नरसिंह विवादों में हैं। इससे पहले सुशील कुमार के साथ ट्रायल को लेकर हुए विवाद के कारण भी वो सुर्खियों में रहे थे।
– नरसिंह 2014 एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं। 2015 में हुई वर्ल्ड चैम्पियनशिप में नरसिंह ने ब्रॉन्ज मेडल जीता।
– इस जीत के साथ उन्हें रियो में 74 kg वेट कैटेगरी में भारत को रिप्रजेंट करने का हक मिल गया। यहीं से सुशील और उनके बीच विवाद की शुरुआत भी हुई।
2# सुशील कुमार
– सुशील ने ओलिंपिक में दो बार देश को मेडल दिलाया। दोनों ही बार ये मेडल उन्होंने 66 Kg वेट कैटेगरी में जीता।
– 66 Kg वेट कैटेगरी खत्म होने के बाद सुशील का 74 Kg वेट कैटेगरी में परफॉर्मेंस खास नहीं रहा। हालांकि, 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में सुशील ने 74 Kg वेट कैटेगरी में गोल्ड जीता था।
– चोट से परेशान सुशील ने 2014 एशियन गेम्स में भी हिस्सा नहीं लिया। नरसिंह को यहां ब्रॉन्ज मेडल मिला था।
– जब नरसिंह ने रियो के लिए क्वॉलिफाई कर लिया तो सुशील ट्रायल की मांग करने लगे।
– विवाद इतना बढ़ा कि मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। कोर्ट ने सुशील की पिटीशन खारिज कर दी।
3# फेडरेशन और एसोसिएशन
– पूरे विवाद को हवा देने में सबसे बड़ा रोल रेसलिंग फेडरेशन और इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन का रहा।
– जिन खिलाड़ियों से मेडल की उम्मीद है। उन्हें तैयारी के लिए सरकार ने जो पैसे दिए गए उसमें भी सुशील को नरसिंह से काफी ज्यादा पैसे मिले।
– इससे ये संकेत गया कि सरकार की स्कीम के मुताबिक नरसिंह यादव से ज्यादा सुशील कुमार से मेडल की उम्मीद है।
– सुशील का भी कहना है कि सरकार ने उनकी ट्रेनिंग पर बड़ी राशि खर्च की। यहां तक कि कुश्ती फेडरेशन ने उन्हें अंत तक कुछ नहीं बताया और प्रैक्टिस करने को कहता रहा।
4# साई सोनीपत
– साई सोनीपत का नाम इस विवाद के दूसरे हिस्से में आता है। जब नरसिंह डोप टेस्ट में फेल हुए।
– नरसिंह विवाद के बाद सीआईडी की ओर से नरसिंह पर हमले का इनपुट था। इसके बाद भी नरसिंह की सिक्युरिटी को लेकर कोई खास इंतजाम नहीं किए गए।
– साई और लोकल एजेंसीज ने ये कह कर पल्ला झाड़ लिया कि नरसिंह ने खुद ही सिक्युरिटी लेने से मना कर दिया था।