नेतृत्व को लेकर बागी तेवर अपनाने वाले गुट-23 के नेता भी जानते हैं कि आम जनता और कार्यकर्ताओं के बीच कांग्रेस का मतलब गांधी परिवार ही है और उनकी अपनी पार्टी से इतर कोई हैसियत नहीं है
राहुल गांधी अगर खुद अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं हुए या फिर उनके नाम पर कुछ भी किंतु-परंतु हुआ तो इस बात की पूरी संभावना है कि प्रियंका गांधी को कांग्रेस की कमान सौंपे जाने पर रजामंदी हो जाए। क्योंकि अभी तक किसी भी ऐसे गैर गांधी के नाम पर सहमति नहीं बन सकी है जो सर्वस्वीकार्य हो।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ होने वाली पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की निर्णायक बैठक में राहुल की मनाही के बाद विकल्प के तौर पर प्रियंका के नाम पर सहमति बन सकती है। इस फार्मूले पर दस जनपथ परिवार और पार्टी के रणनीतिकारों के बीच समझदारी बन गई है।
बताया जाता है कि इस पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा सक्रिय भूमिका भी प्रियंका गांधी निभा रही हैं। उनकी पहल पर ही गुट-23 के प्रमुख नेताओं और सोनिया गांधी की मुलाकात और बैठक मुमकिन हो सकी है। सोनिया गांधी के साथ इस बैठक में कमलनाथ और प्रियंका गांधी के अलावा राहुल गांधी भी मौजूद रह सकते हैं। जबकि गुट-23 के प्रमुख नेताओं में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल समेत कुछ अन्य नेता होंगे। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शामिल होने की भी संभावना है।
यह जानकारी देते हुए कांग्रेस में प्रियंका के निकटवर्ती सूत्रों ने बताया कि जिस तरह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच राहुल गांधी और उनकी टीम की कार्यशैली को लेकर आपत्तियां और सवाल हैं, उसे देखते हुए कमलनाथ के लिए भी राहुल के नाम पर सबको राजी करना बहुत मुश्किल हो रहा है। जबकि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए राहुल के नाम पर सहमति बनाने की जिम्मेदारी कमलनाथ को खुद सोनिया गांधी ने सौंपी है।
लेकिन कमलनाथ ने अब तक जितने भी वरिष्ठ नेताओं से बात की है उनमें ज्यादातर ने दबे स्वर में राहुल के नाम पर असहमति जाहिर की है। जबकि कुछ नेताओं ने तो सीधे-सीधे यहां तक कह दिया है कि हम बिना गांधी के कांग्रेस की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं, लेकिन राहुल की जगह अगर प्रियंका को पार्टी की कमान सौंपी जाए तो ज्यादा बेहतर होगा।