Breaking News
(youth)
(youth)

युवाओं (youth)को क्यों समर्पित है स्वामी विवेकानंद का जयंती

स्वामी विवेकानंद . विवेकानंद भारत के अलग ही तरह के सन्यासी थे. उन्होंने दुनिया को समझाया कि भारत का सनातन धर्म वास्तव में क्या है और भारत ने दुनिया को धर्म आध्यात्म के क्षेत्र में क्या कुछ दिया है. लेकिन उनका वास्तविक और प्रमुख योगदान देश के लोगों में जागरूकता फैलाने का था. देश विदेश में भ्रमण कर उन्होंने लोगों को भारत की महानता से परिचय कराया और भारतीयों को भी यह अहसास दिलाया कि भारतवासी होना कितना गर्व का विषय है. उन्होंने देश के लोगों विशेष तौर पर युवाओं को अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानने के लिए प्रेरित किया और युवाओं के आदर्श के तौर नजरआए. युवाओं के प्रति उनके कार्यों को देखते हुए देश हर साल उनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय युवा (youth) दिवस के रूप में मनाता है.

कब से मनाया जा रहा है यह दिवस
भारत सरकार हर साल 1985 से ही स्वामी विवेकानंद के जन्मिदन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाती रही है. इसका ऐलान करते हुए सरकार ने कहा था कि यह महसूस किया जाता है कि स्वामीजी का दर्शन और उनके आदर्श जिनके लिए वे जिए और उन्होंने कार्य किए वे भारतीय युवाओं के लिए बहुत बड़े प्रेरणा स्रोत के रूप में काम कर सकते हैं.

सोच पर जोर
स्वामी जी के संदेश विशेष तौर पर युवाओं के लिए होते थे. उन्होंने एक बार कहा था कि आप जो भी सोचते हैं, आप वैसे ही हो जाएंगे. यदि आप सोचते हैं कि आप कमजोर हैं, तो आप कमजोर हो जाते हैं. और अगर आप खुद को शक्तिशाली समझते हैं तो आप शक्तिशाली हो जाते हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि सबसे ज्यादा ऊंचाई देखिए, सबसे ऊंचा लक्ष्य देखिए आप सबसे ऊंचाई पर पहुंच जाएंगे.

सरल लेकिन बहुत प्रभावशाली
स्वामी विवेकानंद की खासियत यही होती थी कि उनके संदेश बहुत सरल लेकिन प्रभावशाली हुआ करते थे. वे अपने विचारों को सीधे लोगों तक जोड़ देते थे और वे खास तौर पर युवाओं के लिए ज्यादा प्रासंगिक हुआ करते थे. उनके संदेश समाज की जाति, रंग, भेद, आदि की बेड़ियों को तोड़ने की प्रेरणा देते थे. उन्होंने हमेशा ही सार्वभौमिक भाईचारे की भाषा में बातें कहीं थीं.
हर दौर में प्रासंगिक रहते हैं स्वामीजी
स्वामी जी जो भी कहा करते थे उनके संदेशों को उपयोगिता सर्वकालिक है. आज भी उनके आदर्श और विचारों का महत्व देश के युवाओं के लिए प्रेरणादायी और प्रासंगिक है ऐसा लगता है कि उन्होंने जो भी कहा है वह आज के ही युवाओं के लिए कहा है. उन्होंने हमेशा ही युवाओं को उनकी शक्ति को पहचाने को कहा और उनके वाक्य युवाओं में उत्सार संचार भरने का काम करते हैं.

शिक्षा की सार्थकता
देश और देश के समाज के लिए स्वामी विवेकानंद हमेंशा ही राष्ट्रनिर्माण और उसमें युवाओं के योगदान के महत्व को रेखांकित किया. वे शिक्षा को लोगों को शक्तिशाली बनाने का माध्यम माना करते थे. उनका कहना था कि ऐसी शिक्षा का कोई अर्थ नहीं है जिससे लोगों को जीवन में संघर्ष से जूझने में मदद ना मिल सके, जो लोगों में चरित्र की शक्ति ना पैदा कर सके, उनमें मानव प्रेम का भाव शेर जैसा साहस ना पैदा कर सके.
शिक्षा एक माध्यम
शिक्षा मनुष्य में चारित्र निर्माण और मानव मूल्यों का निर्माण करने का माध्यम होना चाहिए, वे ऐसा मानते थे. उनका कहना था खुद को ही शिक्षित करो, हर एक उसे वास्तविक स्वभाव की शिक्षा दो, सोती हुई आत्मा को जगाओ और देखो कि वह कैसे जागती है. शक्ति, सम्मान, अच्छाई, शुचिता और वह सब कुछ जीवन में आ जाएगा जब सोई हुई आत्मा जाग कर स्वचेतन अवस्था में सक्रिय होगी.

केवल युवा ही नहीं भारत की सरकार भी स्वामी जी के विचारों को अपने कार्यक्रमों में अंगीकार करने का प्रयास करती है. सरकार का लक्ष्य यह भी रहता है कि वह यह सुनिश्चित करे कि देश में जो भी विकास कार्य किए जा रहे हैं, वे सभी लोगों, समाज के सभी वर्गों तक पहुंच सके. पिछले कुछ सालों में भारत सरकार के नारे जैसे सबका साथ सबका विकास, एक भारत श्रेष्ठ भारत, स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरित लगते हैं. लेकिन स्वामी विवेकानंद का युवाओं के प्रति लगाव हमेशा ही ज्यादा दिखाई देता रहा है.