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अशोक नगर में आखि़र कब चलेगा बाबा का बुलड़ोजर !

प्रयागराज – प्रयागराज के अशोक नगर में आखि़र कब चलेगा बाबा का बुलड़ोजर कब मिलेगा ईमानदार निर्भीक पत्रकारों को न्याय नोट बंदी की ही तरह जरूरत से ज्यादा जमीनों और मकान का संचय बंद हो जरूरत से ज़यादा बनाई या संचित की गई हर विषय वस्तु ही लालच है ऐसे लोभियों की धर पकड़ कब विधायक और शहर की सासंद रीता बहुगुणा की चुप्पी और पत्रकार हित में कोई कार्य का संज्ञान न लेना अथवा उनके विषय को संज्ञान न लेना भी ये साबित करता है कि उनके हाथ भी काफी लंबे हैं और लंबे चौड़े लेनदेन का मामला है और अगर ऐसा नहीं है तो प्रयागराज विकास प्राधिकरण डीएम कमिश्नर के पास तो आखिर इसकी जानकारी होगी ही और उनको जानकारी लेना का हक़ भी है या फिर पत्रकारों को वो अपने हाथ की कठपुतली समझतीं है कि जब चाहा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना महिमा मंडन कर दिया या फिर जब मन चाहा बिना जानकारी के ज़लील कर दिया और जातिवादिता के नाम पर धमकी भी दे दी पर शायद उन्हें ये नहीं मालूम की हर कोई उनकी तरह अवसरवादी और बिकाऊ नहीं है और न ही अध कचरा ज्ञानी आखिर सासंद साहिबा से ये कौन पूछेगा किसकी जवाब दे ही बनतीं है जब अपने घर शीशे के हो तो दसरों पर पत्थर नहीं मारते वो शायद इसी परिपाटी का पालन कर रहीं हैं

कि कहीं उनकी खुद की पोल न खुल जाये है न यही बात ऐसे सांसदों का इस चुनाव में बहिष्कार करें जो पत्रकारों का नहीं जनता का नहीं वो किसी का नहीं कोई एक काम इनका बताया जाये जो इन्होंने सासंद रहते हुए अपने हित के अलावा किसी के लिए किया हो ऐसे नेताओं को वोट देने से अच्छा है नोटा पर बटन दबाये नेता जनता से है जनता नेता से नहीं इन्होंने क्या किया जनता जनना चाहती है बताये वरना संसद भवन से बाहर जाये 75 वर्ष की सांसद का आखिर संसद में क्या काम???  पत्रकारों के लिए बनाई गई पत्रकार कालोनी अवैध है

इसलिए क्योंकि उसमें पत्रकारों की संख्या ना के बराबर है और गै़र पत्रकारिता से ताल्लुक रखने वाले रसूखदारों धन पशुओं का दबदबा है पत्रकार कॉलोनी फिलहाल बनाईये या न बनाइये लेकिन कम से कम ईमानदार निर्भीक और आर्थिक तौर कमज़ोर सजग पत्रकारों को मूलभूत सुविधाएं रोटी कपड़ा और मकान के तहत पत्रकार कालोनी में स्थान ज़रूर मुहैया कराइये क्योंकि यह सारा सर पत्रकारों के साथ अन्याय है जैसा कि ज्ञात है कि पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह जी के कार्य काल के दौरान जिस तरह से पत्रकारों के हितों को देखते हुए प्रयागराज के अशोकनगर में पत्रकार कॉलोनी का निर्माण करवाया लेकिन विडंबना देखिए कि उस कॉलोनी में मुश्किल से 20% पत्रकार और 80% परसेंट रसूखदार और धन पशुओं का कब्जा है जबकि इसका निर्माण सिर्फ पत्रकारों के लिए हुआ था तो आखिर ये रसूखदार और धनपशु पत्रकार कॉलोनी में कर क्या रहे हैं और सबसे बड़ी बात यह है अशोकनगर में बसाई गईं पत्रकार कॉलोनी में तमाम मकान ऐसे हैं  जिन्हें सिर्फ पैसे के बल पर रसूखदारों ने कब्जा कर रखा है और ताला लगा रखा है या फिर किरायेदार का धंधा कर रहें हैं

यह कहां का न्याय है??किसी के पास 10 मकान और किसी के पास एक भी नहीं यह सरासर पत्रकारों के साथ अन्याय है लोकसभा का चुनावी घोषणा पत्र जारी करने से पहले पत्रकारों का हक़ फिलहाल उन्हें दिलाया जाये कुछ नामचीन संस्थानों को छोड़ दिया जाये तो न ही पत्रकारों की कोई सैलरी है न ही कोई खास सुविधा और जो नामचीन संस्थान सैलरी दें रहें हैं वो भी इस महंगाई के दौर में न के बराबर ही है और तो और ना ही उनके लिए किसी प्रकार से कोई आर्थिक सरकारी सहायता है न ही मूलभूत सुविधाएं क्यों??? जबकि वो सजग प्रहरी के रूप में निरंतर समाज सेवा करता है जनता की भी और सरकार की भी चौथे स्तंभ के बगै़र ये देश दुनियाँ ठहर सी जाएगी जनता और सरकार को जोड़ने उनकी समस्याओं को समझने वाला उन्हें उनका हक़ दिलाने वाला चौथा स्तंभ यदि उपेक्षा का शिकार रहेगा तो फिर आखिर ये देश प्रदेश समाज कैसे सुधर पायेगा आखिर क्यों किया जा रहा है पत्रकारों के साथ ही के ये बदसलूक जबकि पत्रकारिता के साथ ही वो बड़ी संख्या में वोटर भी है बावजूद इसके वो मूलभूत सुविधाओं से वंचित है ऐसा क्यों???क्या सांसदों विधायकों को ये बात सदन में नहीं रखनी चाहिए क्या सरकार का उनके प्रति कोई दायित्व नहीं है?

जबकि पत्रकार भी एक वोटर है साथ ही साथ समाज का सबसे बड़ा सेवक समाज उत्थानकर्ता है आज तमाम ऐसे ईमानदार निर्भीक पत्रकार बेघर हैं और किराए के मकान में रहने के लिए मजबूर भी हैं और मकान मालिकों की प्रतड़ना का शिकर भी मकान मलिकों का रुतबा ऐसा कि वह किरायेदारों से मनमाना किराया तो वसूल करतें हैं और बाद सरकार को टैक्स तक नहीं देतें हैं ऐसे में इस तरह की परिपाटी को तत्काल प्रभाव से बंद किया चाहिए क्योकि ये जनहित समाजहित में नहीं है आज से पहले एलाटमेंट सुविधा हुआ करतीं थीं और हर किसी के पास मकान भी होता था सुकून भी लेकिन जबसे ज़मीनों का धंधा शुरू हुआ मकान का भी धंधा शुरू हो गया योगी सरकार ने ऐलान तो किया है कि फिर से अलॉटमेंट की सुविधा लोगों को मुहैया करायी जायेगी और फिर से इसे अमल में लाया जायेगा लेकिन इससे पहले प्रयागराज के अशोकनगर में बसी हुई जो कॉलोनी है

उसमें निर्भीक ईमानदार विशुद्ध रूप से पत्रकारिता कर रहे पत्रकारों को स्थान मुहैया कराया जाये और रसूखदारों धनपशुओं से पत्रकार कालोनी को खाली करा के उचित मुल्य पर पत्रकारों को उपलब्ध कराया जाये अथवा एलाट किया जाये सरकार इसके लिए बाकायदा पीडीए से निरीक्षण कराये आखि़र अशोक नगर पत्रकार कालोनी में कितने मकान ऐसे हैं जिसमें गै़र पत्रकरों का कब्जा है और कितनें मकान ऐसे हैं जिनमें की धनपशुओं और रसूखदारों ने ताला जड़ रक्खा है सिर्फ कब्जा बनाने की नीयत और लालच वश साथ ही तमाम गै़र पत्रकार किराएदारी का धंधा जोरों पर चला रहें हैं और मनमानी किराया वसूलने का काम कर रहे हैं तत्काल प्रभाव से इस पर कार्रवाई की जानी चाहिए और ऐसे लोगों को जो पत्रकारों से उनका हक़ छिन रहें हैं साथ ही उन्हें दंडित भी किया जाना चाहिए क्योंकि ये क़ानूनन जुर्म भी है

चूंकि उन्होंने ग़लत पत्रकार आई डी लगा कर ऐसा किया है पैसों के बल पर इसकी जाँच होनी चाहिए और नोट बंदी की तरह ही ज़मीनों और मकानों की ज़रूरत से ज्यादा पर पाबंदी लगानी चाहिए ताकि सभी को मूलभूत सुविधाएं वाजिब दामों पर मुहैया हो सकें जहाँ ऐसा करना क़ानून की नज़र में ग़लत है तो वहीं ऊपर वाले की नज़रों में दूसरों का हक़ मारने वालों के लिए घोर पाप भी है तत्काल प्रभाव से इस अमल होना चाहिये और कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए पद पोजीशन का दुरूपयोग नहीं बल्कि सद् उपयोग करें समाज हित में ताकि आपका आपके परिवार हित हो सके और ये सबको पता है कफ़न में जेब नहीं होती मंदिरों में चढावा चढाने वाले पाखंडियों मानव और मानवता की सेवा ही सच्चा पुण्य कार्य है आत्मा में ही परमात्मा का विधान है ईश्वर तुम्हें देता है मूर्खो और तुम ईश्वर को देनें चल दिए??मानो तो देव नहीं तो पत्थर