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(पिंडदान )
(पिंडदान )

क्या है तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध?(पिंडदान )

पितृ पक्ष:पितृ पक्ष की शुरूआत 29 सितंबर शुक्रवार से हो रही है. पितृ पक्ष 16 दिनों तक चलेगा और इसमें पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि होगा. पितरों को खुश करने के लिए दान, पंचबलि कर्म, ब्राह्मण भोज आदि किए जाते हैं. जब पितरों को जल, अन्न, भोजन आदि की प्राप्ति होती है तो वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. उनके आशीर्वाद से परिवार की उन्नति होती है, सुख, शांति और समृद्धि बढ़ती है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि तर्पण, पिंडदान (पिंडदान ) और श्राद्ध क्या है? पितृ पक्ष के जरूरी नियम क्या हैं? पितृ पक्ष में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध क्या है?
जब आप पितरों को विधिपूर्वक जल से तृप्त करते हैं तो व​ह तर्पण कहलाता है. पितृ पक्ष के अलावा अमावस्या के दिन पितरों को कुशा से काला तिल मिला जल अर्पित करते हैं.

पितृ पक्ष में अपने पितरों की तृप्ति के लिए आप जो भी भोजन श्रद्धापूर्वक अर्पित करते हैं, वह श्राद्ध होता है. आप जो भी भोजन पितरों को देते हैं, उसे एक पिंड के रूप में बनाकर अर्पित करते हैं.

पिंडदान श्राद्ध के समय करते हैं. श्राद्ध की तिथि पर पितरों को चावल, तिल और जौ से मिलाकर बनाए गए पिंड को दान करते हैं. वही पिंडदान कहलाता है. तर्पण और पिंडदान श्राद्ध के ही दो हिस्से हैं.

पितृ पक्ष के नियम क्या हैं?
पितृ पक्ष को पितरों की पूजा के लिए समर्पित किया गया है, इस वजह से इसके लिए कुछ नियम हैं, जिनका पालन जरूरी होता है. नियमों का पालन न करने से दोष लगता है या आपके पितर आप से नाराज हो सकते हैं.

1. पितृ पक्ष में तिथि पर अपने पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, दान आदि जरूर करें. पितरों का स्मरण करें. इससे पितर खुश होंगे.
2. पितरों की खुशी के लिए कौआ, गाय, कुत्ता, चींटी आदि को भोजन दें. उनको न मारें. उनको दिया भोजन पितरों को मिलता है.

3. पितृ पक्ष में पितरों की पूजा के लिए रोहिणी और कुतुप मुहूर्त उत्तम माना जाता है. सुबह 11:30 से दोपहर 02:30 तक का समय श्राद्ध के लिए अच्छा होता है.

4. पितृ पक्ष में पितरों के देव अर्यमा की पूजा करें और पितृ सूक्त या पितृ स्तोत्र का पाठ करें. इससे पितर और देव खुश होते हैं.

5. पितरों के लिए नए कपड़े खरीदें और दान करें. इससे पितर खुश होकर आशीर्वाद देंगे. अपने लिए नई वस्तुएं न खरीदें.

6. पितृ पक्ष के समय में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है क्योंकि इस पखवाड़े को शुभ नहीं मानते हैं.

7. ​पितृ पक्ष में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें. तामसिक वस्तुओं जैसे लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि ग्रहण न करें.