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बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में हुआ द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन

लखनऊ(आरएनएस): बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में दिनाँक 9 अप्रैल को विधि विभाग, विधि अध्ययन विद्यापीठ की ओर से “भारत में आपराधिक कानूनों में परिवर्तन: भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली का एक नया युग” विषय पर आयोजित द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का बेहतरीन समापन हुआ। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में देशभर के विभिन्न प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के प्रतिभागियों ने भाग लिया था। समापन सत्र की अध्यक्षता डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो० एस० विक्टर बाबू ने की।
मुख्य अतिथि के तौर पर यूपी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस लखनऊ के निदेशक, आईपीएस अधिकारी डॉ० जी० के० गोस्वामी उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त मंच पर एडीजी, यातायात एवं सड़क सुरक्षा श्री बी० डी० पॉल्सन, विधि अध्ययन विद्यापीठ की संकायाध्यक्ष प्रो० प्रीति मिश्रा, विधि विभाग की विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम समन्वयक प्रो० सुदर्शन वर्मा, डॉ० प्रदीप कुमार एवं डॉ० अनीस अहमद मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात आयोजन समिति की ओर से मंच पर उपस्थित अतिथियों एवं शिक्षकों को स्मृतिचिन्ह एवं पौधा भेंट कर सम्मानित किया गया। सर्वप्रथम प्रो० प्रीति मिश्रा ने सभी को अतिथियों के परिचय से अवगत कराया। इसके पश्चात द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की‌‌ रिपोर्ट डॉ० खुशनुमा बानो द्वारा साझा की गई।  आईपीएस अधिकारी डॉ० जी० के० गोस्वामी ने चर्चा के दौरान कहा, कि वास्तव में लोगों का यह मानना है कि भारत में कानूनों का उद्देश्य लोगों को न्याय देना कम, उन्हें  एडीजी, यातायात एवं सड़क सुरक्षा बी० डी० पॉल्सन ने अपने विचार रखते हुए कहा कि भारतीय न्याय प्रणाली में कानूनों का सरलीकरण जरूरी है। क्योंकि कानून की समझ होने से लोग अपनी रक्षा करने, अपने अधिकारों का दावा करने और उनके साथ अन्याय होने पर आवाज उठाने के प्रति जागरूक रहते है।  प्रो० सुदर्शन वर्मा ने आधुनिक भारतीय कानून व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। साथ ही डॉ० प्रदीप कुमार ने समय के साथ कानून के संहिताकरण पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को‌‌ पुरस्कृत करके सम्मानित किया गया। साथ ही धन्यवाद ज्ञापन का कार्य डॉ० अनीस अहमद द्वारा किया गया। समस्त कार्यक्रम के दौरान विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, प्रतिभागी, शोधार्थी एवं विश्वविद्यालय के अन्य विद्यार्थी मौजूद रहे।