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(46 attacks) 
(46 attacks) 

टीटीपी ने 1 महीना, 46 हमले (46 attacks) और 49 की हत्या?

नई दिल्ली: तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के एक सदस्य द्वारा पेशावर की एक मस्जिद में फिदायीन हमले के कुछ दिन बाद, जिसमें 100 से अधिक लोग मारे गए थे, इस खूंखार आतंकवादी संगठन ने जनवरी में की गई अपनी गतिविधियों पर एक रिपोर्ट जारी की है. टीटीपी ने अपनी रिपोर्ट में कुल 46 आतंकी हमलों (46 attacks)  का दावा किया है, जिसमें 49 लोग मारे गए और 58 घायल हुए. टीटीपी के उमर मीडिया द्वारा पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में आतंकवादी हमलों की यह रिपोर्ट जारी की गई है. आतंकी संगठन ने अपनी रिपोर्ट में बताया है: डेरा इस्माइल खान में 8 हमले; उत्तरी वजीरिस्तान में 7; लक्की मरवत में 6; पेशावर में 5; खैबर एजेंसी में 4; दक्षिण वजीरिस्तान में 3; टांक और चरसड्डा में 2-2; किला अब्दुल्ला, पिशिन, खानेवाल, सोराब, स्वाबी, डेरा गाजी खान और क्वेटा में 1-1 आतंकी हमले हुए हैं. इनमें से अधिकांश हमले अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हुए जो अफगानिस्तान सीमा के करीब है.

टीटीपी मीडिया ने यह भी दावा किया कि उसके हमले में जनवरी में पाकिस्तान की विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के कुल 107 जवान मारे गए- जिनमें 60 पुलिसकर्मी, 25 सैन्यकर्मी, 13 फ्रंटियर कोर से और 9 जवान सुरक्षा एजेंसियों के शामिल हैं. रिपोर्ट के अनुसार, टीटीपी ने 9 टारगेट अटैक, 5 ग्रेनेड/बम विस्फोट, 8 घात हमले, 4 मुठभेड़, 8 छापामार हमले, 4 जवाबी हमले, 7 स्नाइपर/लेजर हमले और 1 आत्मघाती हमला किया. यह रिपोर्ट पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक और हमले की खबरों के बीच आई, जहां भारी हथियारों से लैस टीटीपी के उग्रवादियों ने मियांवाली के एक पुलिस थाने पर गोलीबारी की. जिओ टीवी के अनुसार, जिला पुलिस अधिकारी मियांवाली मुहम्मद नवीद ने कहा कि स्वचालित हथियारों से लैस लगभग 20 आतंकवादियों ने मंगलवार देर रात मेकरवाल पुलिस स्टेशन पर हमला किया, लेकिन कानून प्रवर्तन एजेंसी ने उन्हें खदेड़ दिया. यह घटना इसलिए मायने रखती है क्योंकि टीटीपी, जो खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में अपने हमलों को केंद्रित कर रहा था, ने अब पंजाब में अपनी बंदूकें तान ली हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसाखेल तहसील में मेकरवाल ज्यादातर पहाड़ी इलाका है जो कोयले की खदानों के लिए जाना जाता है.

पाकिस्तान के लिए एक हिंसक वर्ष रहा 2022
2022 में पाकिस्तान में सबसे अधिक आतंकवादी हमले हुए, जिसमें दिसंबर सबसे घातक महीना था, साथ ही पाकिस्तानी तालिबान का उदय भी हुआ. पिछले नवंबर में टीटीपी और सुरक्षा बलों के बीच युद्धविराम समझौते की समाप्ति के परिणामस्वरूप आतंकवादी हमले बढ़े. राजधानी इस्लामाबाद ने 23 दिसंबर, 2022 को 2014 के बाद से अपना पहला आत्मघाती बम विस्फोट देखा, जिसमें एक पुलिस अधिकारी और संगठन से जुड़े दो संदिग्ध आतंकवादी मारे गए. एक पॉश रिहायशी इलाके में हुए बम विस्फोट में 4 पुलिसकर्मियों सहित 6 अन्य घायल हो गए. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान ने 2021 की तुलना में 2022 में 4 गुना अधिक आत्मघाती हमले देखे- जिस वर्ष तालिबान ने पड़ोसी अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था.

साल 2021 में केवल 4 की तुलना में 2022 में 15 आत्मघाती बम विस्फोट की घटनाएं हुईं. यह 2018 के बाद से देश में आत्मघाती हमलों की सबसे अधिक संख्या थी. पाकिस्तान में 2022 में कम से कम 376 आतंकी हमले हुए, जिनमें 533 लोग मारे गए और 832 घायल हुए. 2017 के बाद यह पहली बार है जब देश ने 300 से अधिक आतंकवादी हमलों का सामना किया है. 2017 में, पाकिस्तान ने 420 ऐसे हमले दर्ज किए जिनमें 912 लोग मारे गए थे. दिसंबर 2022 में, शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार ने कहा था कि पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा क्षेत्र में टीटीपी लड़ाकों की संख्या 7,000 से 10,000 के बीच है. आंतरिक मंत्री राणा सनाउल्लाह खान ने कहा कि जिन आतंकवादियों के बारे में सोचा गया था कि उन्होंने हथियार डाल दिए थे, उन्होंने भी गुप्त रूप से गतिविधियां फिर से शुरू कर दी थीं.

पेशावर हमले से उबर रहा पाकिस्तान
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी पेशावर में 30 जनवरी को, टीटीपी के आत्मघाती हमलावर ने एक प्रमुख पुलिस फैसिलिटी के अंदर स्थित मस्जिद में खुद को बम से उड़ा लिया. इस फिदायीन हमले में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई. इसे हाल के वर्षों में पाकिस्तान में हुए सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक माना जा रहा है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को तत्काल कदम नहीं उठाए जाने पर आतंकवादियों के देश भर में फैलने की चेतावनी दी. कैबिनेट को संबोधित करते हुए शरीफ ने कहा कि आतंकवाद फिर से सिर उठा रहा है और पेशावर से लेकर कराची तक लोगों के मन में सवाल हैं कि ‘उन्हें (तालिबान) वापस कौन लाया.’ शहबाज शरीफ ने कहा, ‘हर कोई पूछ रहा है कि उन्हें कौन वापस लाया. क्या हुआ? शांति कैसे नष्ट हो सकती है? खैबर पख्तूनख्वा आतंकवादियों के हाथों में कैसे वापस जा सकता है?’ प्रधानमंत्री ने कहा कि केपी प्रांत को 2010 से अब तक 417 अरब रुपये की भारी राशि प्राप्त हुई, लेकिन सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए यह पैसा खर्च नहीं किया गया. उन्होंने याद दिलाया कि इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने पिछले 10 वर्षों में प्रांत पर शासन किया
टीटीपी के हमले एक बार फिर क्यों बढ़ रहे हैं?
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, टीटीपी को 2007 में कई आतंकवादी संगठनों के एक छत्र समूह के रूप में स्थापित किया गया था. पिछले साल नवंबर में, इसने संघीय सरकार के साथ संघर्ष विराम को समाप्त कर दिया और अपने उग्रवादियों को विशेष रूप से सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए पूरे पाकिस्तान में आतंकवादी हमले करने का आदेश दिया. टीटीपी को अल-कायदा का करीबी माना जाता है. इस आतंकी समूह को अतीत में भी पाकिस्तान भर में कई घातक हमलों के लिए जिम्मेदार माना गया है, जिनमें 2009 में सेना मुख्यालय पर हमला,