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(रात को जागते )
(रात को जागते )

रात को जागते रहने वालों को डायबिटिज का खतरा(रात को जागते )

जागने वालों:देर रात तक या रातभर जागने वालों को सलाह दी जाती है कि वे अपने दिनचर्या में बदलाव लाएं. लेकिन कई व्यवसाय ही है ऐसे हैं जिसमें कुछ लोगों को रात भर जाग कर काम करना होता है. ऐसे लोग अपनी सेहत के नाम पर आजीविका नहीं छोड़ सकते. ऐसे में यह समझना जरूरी हो जाता है कि इन लोगों का देर रात तक या रात भर जागना उनकी सेहत के लिए कितना खतरनाक होता है. इसी मकसद से किए गए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने देर रात तक जागने  (रात को जागते ) की आदत और डायबिटीज जैसे विकार के जोकिम के बीच एक चिंताजनक संबंध पाया है.

आंतरिक घड़ी की प्राथमिकता
ब्रिघम एंड वुमिन्स हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने अपनी हालिया पड़ताल में यह अहम जानकारी हासिल की है. इसके लिए शोधकर्ताओं ने क्रोनोटाइप की अवधाराणा का अन्वेषण किया जो व्यक्ति की सर्केडियन रिदम या आंतरिक घड़ी के मुताबिक नींद लेने और जागने की समय की प्राथमिकता को दर्शाती है.

कठिन है इस आदत को बदलना
ब्रिघम के चेनिंग डिविजन ऑफ नेटवर्क मेडिसिन में असोसिएट एपेडेमियोलॉजिस्ट और अध्ययन के सहलेखक तियानयी हुआंग बताते हैं कि क्रोनोटाइप या सर्केडियन प्राथमिकता इंसान की चुनी हुई सोने और जागने के समय को दर्शाती है. और यह कुछ हद तक अनुवांशिकीय तौर पर निर्धारित होती है, इसलिए इसे बदलना कठिन हो सकता है.

डाइबिटीज का जोखिम
हुआंग ने बताया कि जो लोग सोचते हैं कि वे रात भर जागते है या जिन्हें रात को जाग कर काम करना अच्छा लगता है, उन्हें अपनी लाइफ स्टाइल पर ज्यादा देने की जरूरत हो सकती है क्योंकि ऐसे लोग जिन्हें ईविंग क्रोनोटाइप कहा जा सकता है, वे टाइप2 डायबिटीज के ज्यादा जोखिम को अपनी जिंदगी से जोड़ रहे हैं.
क्रोनोटाइप, लाइफ स्टाइल कारक और डायबिटीज
इससे पहले के अध्ययनों ने पाया है कि अनियमित नींद वाले लोगों में डायबिटीज और हृदवाहिका संबंधी रोगों का ज्यादा जोखिम होता है जिसमें रात को जागने वाले लोगों में नींद की अनियमित आदतें होती है. लेकिन इस नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने क्रोनोटाइप, लाइफ स्टाइल कारकों और डायबिटीज जोखिम के बीच संबंध को उजागर करने पर ध्यान दिया.

कहां से मिले आंकड़े
इस अध्ययन में शोधकर्ताओंने 2009 से 2017 के बीच नर्सेस हेल्थ स्टडी के 63676 महिला नर्सों से मिले आंकड़ों का अध्ययन किया जिसमें प्रतिभागियों ने उनके क्रोनोटाइप, खुराक आदतों, वजन, सोने के समय,धूम्रपान, शराब पीने की आदतों, शारीरिक गतिविधि और परिवार की डायबिटीज के पारिवारिक इतिहास का जानकारी साझा की थी. अध्ययन में महिलाओं को प्रभावित करने वाली लंबी बीमारियों के जोखिम कारकों का विस्तृत पड़ताल की.

खास तरह का अंतर
शोध में खुलासा हुआ कि 11 फीसदी प्रतिबागियों ने खुद को रात को काम करने के ज्यादा अनुकूल बताया तो वहीं 35 फीसदी ने सुबह के निश्चित समय को अपने लिए बेहतर पाया. शुरू में रात को काम करना पसंद करने वालों में 73 फीसदी डायबिटीज का जोखिम पाया गया लेकिन दूसरे कारकों को देखते हुए इसे 19 फीसदी तक माना गया. सबसे अच्छी लाइफस्टाइल वालों में केवल 6 फीसदी प्रतिभागी रात को काम करना पसंद करते थे.

आंकड़ों से पता चला कि रात को काम करने वाली प्रतिभागियों में अल्कोहल लेने ज्यादा इच्छा, खराब खुरक, कम सोना, धूम्रपान और असामान्य वजन केसाथ कम शारीरिक गतिविधि पाई गई, देखा गया है कि जिन प्रतिभागियों में अस्वास्थयकर जीवनशैली बर्तावों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया तो डायबिटीज का जोखिम कम देखा गया, लेकिन वह खत्म नहीं हुआ. एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में व्यापक स्तर पर अध्ययन करने की जरूरत पर बल दिया गया है.