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कानून और विधि के लिए आयोजित होने वाली परीक्षाओं को एक देश एक प्रवेश शुल्क के आधार पर कराए जाने की बात

Uttarpradesh:भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष ने कानून और विधि के लिए आयोजित होने वाली परीक्षाओं को एक देश एक परीक्षा और एक देश एक प्रवेश शुल्क के आधार पर कराए जाने की बात कही। श्री त्रिपाठी ने अपने पत्र में लिखा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बने हुए 3 वर्ष पूर्ण हो गए हैं सरकार भी चाहती है कि एक देश एक परीक्षा और एक पाठ्यक्रम के आधार पर पढ़ाई मानक और गुणवत्ता के अनुसार हो। भाजपा ने कानून मंत्रालय का ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि क्लैट एक्जाम फीस CLAT 4000, ऐलेट की परिक्षा शुल्क 3500, महाराष्ट्र सरकार के द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा का शुल्क 800, सियंबोसिस की प्रवेश परीक्षा शुल्क 3200, क्राइस्ट की 5000, निरमा विधि विश्वविद्यालय की फीस 2500+18%GST, दिल्ली सरकार द्वारा इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के लिए प्रवेश परीक्षा शुल्क 22 सो रुपए है । कहने का तात्पर्य है कि केंद्रीय यूनिवर्सिटी राज्य के अधीन यूनिवर्सिटी डीम्ड यूनिवर्सिटी प्राइवेट यूनिवर्सिटी इन सभी विश्वविद्यालय में रिक्त सीटों के लिए अलग-अलग प्रवेश परीक्षा कराई जा रही है और अलग-अलग शुल्क भी बच्चों से लिया जा रहा है। यह बहुत ही विसंगति पूर्ण व्यवस्था वर्षों से चली आ रही है इस पर बदलाव किए जाने की रणनीति बनाया जाना छात्र-छात्राओं के हित में है। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष अशोक त्रिपाठी ने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को पत्र भेजते हुए लिखा है कि यदि शासकीय और प्राइवेट दोनों विश्वविद्यालय में रिक्त सीटों के लिए आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा एक देश एक प्रवेश परीक्षा अर्थात कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट के स्थान पर नेशनल लॉ एडमिशन टेस्ट NLAT से करने का यदि विचार किया जाता है तो निश्चित रूप से कानून और विधि के क्षेत्र में भविष्य संवारने के लिए आगे आने वाले छात्र-छात्राओं को अलग-अलग प्रवेश शुल्क अदा करके अलग-अलग तिथियां में प्रवेश परीक्षा नहीं देना पड़ेगी। साथ ही एक ही प्रकार की प्रवेश परीक्षा के लिए अलग-अलग विषय वस्तु भी नहीं पढ़ने पड़ेगी। जिला अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री त्रिपाठी ने कानून मंत्रालय भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया है कि इन सभी ला एंट्रेंस एग्जाम को एक देश एक परीक्षा के अंतर्गत आयोजित करने के लिए रणनीति बने। यदि चाहे तो इस प्रकरण पर सभी राज्यों के विधि विश्वविद्यालय, केंद्र सरकार के अंतर्गत चलने वाले केंद्रीय विश्वविद्यालय, साथ ही विधि विश्वविद्यालय के चांसलर जो अधिकतर माननीय सुप्रीम कोर्ट के जज हैं अथवा संबंधित राज्य की उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं उनसे भी इस प्रकरण पर रजिस्टार जनरल को पत्र भेजते हुए मार्गदर्शन अथवा दिशा निर्देश लेने के लिए रणनीति बनाई जा सकती है। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष श्री त्रिपाठी ने अपने पत्र में विस्तृत रूप से कानून मंत्रालय विश्वविद्यालय, अनुदान आयोग और बार काउंसिल ऑफ इंडिया का ध्यान आकर्षित करते हुए कहां है कि जब कानून और विधि की पढ़ाई के लिए एक ही प्रकार के कोर्स विधि विश्वविद्यालयों , केंद्रीय विश्वविद्यालयों,डीम्ड यूनिवर्सिटी में संपन्न कराए जा रहे हैं तो अलग-अलग प्रवेश शुल्क लेकर अलग-अलग प्रवेश परीक्षा कराए जाने का औचित्य छात्र छात्राओं के हित में उचित प्रतीत नहीं होता। भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री जीतू ने कहा कि कानून और विधि के क्षेत्र के अंतर्गत सभी प्रवेश परीक्षाओं को यदि एक साथ कर दिया जाता है तो एक मात्र उद्देश्य होगा कि जब एक ही प्रकार की परीक्षा होना है तो अलग अलग एग्जाम क्यों। एक देश एक प्रवेश परीक्षा से समानता आएगी। छात्र-छात्राओं को आर्थिक रूप से भी मदद मिलेगी। बार-बार अलग-अलग परीक्षाओं के लिए भागम दौड़ नहीं करना पड़ेगी। भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष में कहा की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के अंतर्गत बेटियां कानून और विधि के क्षेत्र में भविष्य संवारने के लिए अधिक से अधिक आगे आए, इसके लिए जरूरी है कि बेटियों को प्रवेश परीक्षा शुल्क में 50% छूट दी जाए और एग्जाम सेंटर तक आने-जाने के लिए रेलवे आरक्षण में 50% छूट दी जाए। बाई एयर, बस आदि मे आने जाने के लिए 50% छूट दी जाए। आने-जाने के लिए एडमिट कार्ड दिखाने पर 50% की छूट दी जाए। साथ ही सभी जगह जहां आरक्षण करने पर यात्रा करनी पड़ती है वहां भी वरिष्ठ नागरिकों की भांति बेटियों के लिए सीटों का कोटा बढ़ाया जाए। साथ ही साथ जो लड़कियां भविष्य संवारने के लिए विधि विश्वविद्यालय में प्रवेश लेती हैं उन्हें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के अंतर्गत ट्यूशन फीस में कम से कम 50% छूट देने की भी रणनीति बने ताकि कानून और विधि के क्षेत्र में अधिक से अधिक लड़कियां अपना भविष्य संवारने के लिए आगे आए। जैसा कि अभी हाल ही में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कहा गया था कि विधि के क्षेत्र में लड़कियों का अनुपात बहुत कम है। यदि प्रवेश परीक्षा से लेकर पंचवर्षीय BALLB,LLM,PHD आदि में लड़कियों को 50% छूट देते हुए सभी लॉ युनिवर्सिटी की seat एक देश एक प्रवेश शुल्क परीक्षा से आने वाले स्कोर कार्ड से भरने पर विचार किया जाएगा तो समानता आएगी। अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री अशोक त्रिपाठी ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि वर्तमान समय में कुछ विधि विश्वविद्यालय जहां पंचवर्षीय लॉ कोर्स चल रहे हैं वहां पर अभी अलग-अलग प्रवेश परीक्षा के आधार पर सीटों को भरा जा रहा है । जैसे जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जो पंचवर्षीय कोर्स के लिए सीटें है, अलग से प्रवेश परीक्षा शुल्क के आधार पर भरी जाती हैं उन्हें भी यदि नेशनल लॉ एडमिशन टेस्ट NLAT में रणनीति बनाकर शामिल कर लिया जाता है तो सभी छात्र छात्राओं को निश्चित रूप से एक ही प्रकार की पढ़ाई के लिए एक ही प्रकार की प्रवेश शुल्क परीक्षा देना पड़ेगी। भाजपा नेता ने कानून मंत्री को भेजे गए सुझाव की एक प्रतिलिपि देश के प्रधानमंत्री को भी भेज कर उनका ध्यान आकर्षित करते हुए निवेदन किया है की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के अंतर्गत अधिक से अधिक बेटियां कानून और विधि के क्षेत्र में अपना भविष्य संवारने के लिए आगे आए इसके लिए उन्हें और उनके अभिभावकों का प्रत्येक स्तर पर आर्थिक रूप से सहयोग किया जाना संपूर्ण जनहित और लोकहित में रहेगा।