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प्रशासन ने गोवंश अभियान के तहत दो दिन में 288 गोवंश पकड़ कर गोशाला में किये

मैनुपरी 02 जनवरी,– मुख्य विकास अधिकारी विनोद कुमार ने बताया कि विशेष अभियान के अंतगर्त जनपद के समस्त विकास खंडों में दि. 30, 31 दिसंबर को अभियान चलाकर 288 निराश्रित गोवंश पकड़ कर गौशालाओं में संरक्षित कराये गये वहीं गौशाला में संरक्षित 168 नर गौवंशों का बधियाकरण कराया गया। उन्होंने समस्त खंड विकास अधिकारियों, पशु चिकित्साधिकारियों, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा कि निरंतर अभियान चलाकर सड़क पर घूम रहे निराश्रित गौवंशों को समीपवर्ती गौशालाओं में संरक्षित कराएं, कोई भी निराश्रित गौवंश सड़कों पर दिखाई न दे। उन्होंने खंड विकास अधिकारी करहल को आदेशित करते हुए कहा कि आगामी 02 दिन में विकासखंड करहल के ग्राम इज्जतपुर खजुरारा में निमिर्त गौशाला को क्रियाशील कराएं और क्षेत्र के निराश्रित गोवंश को उसमें संरक्षित किया जाए। उन्होंने कहा कि कुरार् में स्थापित बृहद गौ संरक्षण केंद्र में क्षमता वृद्धि की गई है। वहां अभी और गौवंश संरक्षित हो सकेंगे इसके अतिरिक्त प्रत्येक विकासखंड में 150 क्षमता के अस्थाई गोवंश संरक्षण केंद्र का कार्य प्रगति पर है। जल्द ही इनका कार्य पूर्ण होगा और इसमें निराश्रित गोवंश संरक्षित किए जाएंगे।

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श्री कुमार ने बताया कि विशेष अभियान के दौरान विकासखंड मैनपुरी में 05 निराश्रित गोवंश पकड़े गए जबकि 16 नर गौवंशों का बधियाकरण कराया गया, विकासखंड करहल में 50 निराश्रित गोवंश पकड़े गए जबकि 23 का बधियाकरण, विकासखंड घिरोर में 46 निराश्रित गोवंश पकड़े गए जबकि 13 का बधियाकरण, विकासखंड किशनी में 50 निराश्रित गोवंश पकड़े गए जबकि 25 का बधियाकरण, विकासखंड जागीर में 15 निराश्रित गोवंश पकड़े गए जबकि 23 का बधियाकरण, विकासखंड कुरावली में 52 निराश्रित गोवंश पकड़े गए जबकि 24 का बधियाकरण, विकासखंड बेवर में 50 निराश्रित गोवंश पकड़े गए जबकि 20 का बधियाकरण, विकासखंड सुल्तानगंज में 20 निराश्रित गोवंश पकड़े गए जबकि 07 का बधियाकरण कराया गया, विकास खंड बरनाहल में 17 नर गौवंशों का बधियाकरण हुआ।

मुख्य विकास अधिकारी ने खंड विकास अधिकारियों, पशु चिकित्साधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि अपने-अपने क्षेत्र में संचालित को गौ-आश्रय स्थलों का नियमित निरीक्षण करें, संरक्षित पशुओं को सर्दी से बचाव हेतु समुचित व्यवस्था की जाए, कोई भी निराश्रित गौवंश भूखा न रहे, सभी गौशालाओं में पयार्प्त मात्रा में भूसा-चारा उपलब्ध रहे। पशुओं के स्वास्थ्य की नियमित देखभाल हो, सर्दी, भूख के कारण किसी संरक्षित गौवंश की मृत्यु हुई तो संबंधित की जिम्मेदारी तय कर दंडात्मक कायर्वाही होगी।