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नेपाल-म्यांमार और भूमि सीमाओं पर सुरक्षा (Security)चुनौती’,

नई दिल्‍ली. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को अखिल भारतीय डीजीपी-आईजीपी सम्मेलनको संबोधित किया. उन्‍होंने कहा कि विकास के रास्‍ते में हमारे सामने कई चुनौतियां आएंगी और सभी का सामना करने की जिम्‍मेदारी आंतरिक सुरक्षा (Security) संभालने वालों की बनती है. अगले 25 सालों में देश और दुनिया के सामने आने वाली सभी चुनौतियों का आंकलन करने और इसके आधार पर भारत की आंतरिक सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए रणनीति सुनिश्चित करने और उसे नीचे तक पहुंचाने के लिए ये सम्मेलन बहुत महत्वपूर्ण है. इस बैठक में MoS, NSA, HS व सभी राज्यों के डीजीपी-आईजीपी उपस्थित रहे.

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक वितरित किए और देश के शीर्ष तीन पुलिस स्टेशनों के लिए ट्राफियां प्रदान कीं. अगले दो दिनों में, देश का शीर्ष पुलिस नेतृत्व उभरती सुरक्षा चुनौतियों और अवसरों पर विशेषज्ञों, फील्ड अधिकारियों और शिक्षाविदों के साथ विचार-विमर्श करेगा. पहले दिन, सम्मेलन में नेपाल और म्यांमार के साथ भूमि सीमाओं पर सुरक्षा चुनौतियों, भारत में लंबे समय तक रहने वाले विदेशियों की पहचान करने और माओवादी गढ़ों को लक्षित करने जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया गया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी कल व परसों दो दिन इस कांफ्रेंस में सभी का मार्गदर्शन करेंगे.

आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने के लिए मजबूत गठजोड़ जरूरी
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने के लिए विश्व के सारे देशों की पुलिस को सीमाओं से आगे बढ़कर बनाना होगा मजबूत गठजोड़ बनाना होगा. भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है और मोदी जी ने एक अनूठा प्रयोग किया है कि यह सम्मलेन सिर्फ एक स्थान पर न रह कर देशभर में होगा, देश के 56 शहरों में जी-20 की 200 बैठकें होंगी. ढेर सारी चुनौतियों का हमने सामना भी किया है और सभी थियेटर्स में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय ऐजेंसियों ने अपना मज़बूत वर्चस्व स्थापित करने में सफलता हासिल की है. जम्मू-कश्मीर, नॉर्थईस्ट और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र, ये आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से देश में लंबे समय से हॉटस्पॉट बने हुए हैं, लेकिन इन क्षेत्रों में हमारी नीतियों की सफलता ये बताती है कि हमारे प्रयास ठीक दिशा में हैं और उनके परिणाम भी मिल रहे हैं.

जम्‍मू-कश्‍मीर में हालात सामान्‍य स्थिति की ओर, सुरक्षा बलों और एजेंसियों को बधाई
जम्मू-कश्मीर में आंतकवादी घटनाओं, मृत्यु की संख्या और आतंकवादियों के वर्चस्व वाले क्षेत्र, तीनों दृष्टि से बहुत कमी आई है, आज हम कह सकते हैं कि जम्मू-कश्मीर धीरे-धीरे एक सामान्य स्थिति की ओर आगे बढ़ रहा है. एक समय था जब जम्मू-कश्मीर से बच्चे इन्सर्जेंसी के कारण देश के अन्य भागों में पढ़ने जाते थे, लेकिन आज देश के अन्य हिस्सों से 32 हज़ार बच्चे जम्मू-कश्मीर में पढ़ रहे हैं, जितना निवेश पिछले 70 सालों में जम्मू-कश्मीर में आया था, उतना पिछले 4 सालों में आया है. जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, 2022 में 1 करोड़ 80 लाख से जयादा टूरिस्ट यहां आए, ये बता है कि देशभर की जनता के मन में ये विश्वास पैदा हुआ है कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य है, इसके लिए सुरक्षाबलों और सभी ऐजेंसियों को बधाई देता हूं.
पूर्वोत्तर में लगभग 30 प्रतिशत क्षेत्र से अफ्स्पा हटाया
पूर्वोत्तर में 9 उग्रवादी समूह सरेंडर करके मेनस्ट्रीम में आए हैं, राज्यों के बीच सीमा विवाद आपस में सुलझाए जा रहे हैं. बिना किसी मांग के स्थिति नॉर्मल होने का जायज़ा लेकर पूर्वोत्तर में लगभग 30 प्रतिशत क्षेत्र से अफ्स्पा हटाने का काम हमने किया है, पिछले 3 सालों में हर प्रकार की हिंसा में वहां 42 प्रतिशत की कमी आई है. 2010 में 96 ज़िले वामपंथी उग्रवाद प्रभावित थे, अब 46 रह गए हैं, सिक्योरिटी वैक्यूम को 72 प्रतिशत भर लिया गया है, मुझे विश्वास है 2024 तक हम इसे 100 प्रतिशत कर देंगे, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में मृत्यु दर कम हो रही है और आत्मसमर्पण बढ़ रहे हैं.

पीएम नरेन्द्र मोदी की नीति के तहत काउंटर-टेरर कानूनों को और मजबूत किया
आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीति के तहत काउंटर-टेरर कानूनों को हमने मज़बूत किया है, जिनकी वजह से आतंकी घटनाओं में कमी आई है और कन्विक्शन रेट बढ़ा है. 6 वर्ष से अधिक सज़ा वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच को अनिवार्य कर दिया गया है, दिल्ली पुलिस ने इस पर अमल शुरू कर दिया है, आशा है कि अन्य राज्यों की पुलिस भी इस पर अमल करेगी. पीएफआई को बैन करने और इसके एक्टिविस्टों को पकड़ने में सभी राज्यों के पुलिस बलों ने एक साथ आकर सफलता हासिल करने संघीय ढाँचे की ट्रू स्पिरिट और डेमोक्रेसी की maturity को दर्शाता है.