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जनपद मिर्जापुर, सोनभद्र व महराजगंज में जनजातीय संग्रहालय की स्थापना के सम्बन्ध में !

मंत्रिपरिषद ने जनजातीय संग्रहालय की स्थापना हेतु जनपद मिर्जापुर में ग्राम अतरैला पाण्डेय, तहसील मड़िहान में 4.046 हेक्टेयर भूमि, जनपद सोनभद्र में ग्राम मारकुण्डी, तहसील राबर्ट्सगंज में 2.828 हेक्टेयर भूमि तथा जनपद महराजगंज में ग्राम कुन्सेरवा, तहसील-नौतनवां में 0.506 हेक्टेयर भूमि जो अद्यतन संस्कृति विभाग, लखनऊ के पक्ष में आवंटित है को समाज कल्याण विभाग के अधीन संचालित ‘अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति, शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, उत्तर प्रदेश लखनऊ (टी0आर0आई0)’ के पक्ष में आवंटित किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश में 15 अनुसूचित जनजातियां सूचीबद्ध हैं, जो प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में निवासरत हैं। इनमें भौगोलिक असमानता के साथ-साथ रीति-रिवाज, रहन-सहन, खान-पान, कला इत्यादि क्षेत्रों में पर्याप्त विविधता पायी जाती है, जिसे संरक्षित किया जाना आवश्यक है। इसके दृष्टिगत जनजाति बाहुल्य जनपदों मिर्जापुर, सोनभद्र व महराजगंज में जनजातीय संग्रहालय स्थापित किया जाना है। प्रश्नगत जनजातीय संग्रहालयों की स्थापना हेतु सम्बन्धित जिलाधिकारियों द्वारा भूमि संस्कृति विभाग लखनऊ को आवंटित की गयी है।

जनजातीय मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिनांक 11 जुलाई, 2023 को सम्पन्न बैठक में म्यूजियम हेतु प्रस्तावित भूमि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति, शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, उत्तर प्रदेश लखनऊ (टी0आर0आई0) के पक्ष में हस्तान्तरित करने की कार्यवाही पूर्ण कर लिये जाने का निर्णय लिया गया है। संस्कृति विभाग, लखनऊ द्वारा प्रश्नगत जनजातीय संग्रहालय की स्थापना हेतु संस्कृति विभाग के पक्ष में आवंटित भूमि को मंत्रिपरिषद के अनुमोदन से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति, शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, उत्तर प्रदेश लखनऊ के पक्ष में आवंटित कराये जाने हेतु अपनी अनापत्ति प्रदान की गयी है। प्रत्येक जनजातीय संग्रहालय की स्थापना हेतु जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार नई दिल्ली द्वारा सामान्यतः 15 करोड़ रुपये तक की केन्द्रीय सहायता प्रदान की जाती है। जनजातीय संग्रहालय के निर्माण हेतु राज्य सरकार पर कोई व्ययभार नहीं पड़ेगा।

जनजातीय संग्रहालय में जनजातीय जीवन से जुड़ी हुई जानकारियों, सूचनाओं, फिल्मों, चित्रों आदि के प्रदर्शन हेतु एक आधुनिक डिजिटल थियेटर व प्रदर्शनी कक्ष का निर्माण किया जायेगा। जनजातीय संग्रहालय की स्थापना से जनजातियों के जीवन परिवेश व कला का संरक्षण, पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ ट्राइबल आउटलेट्स के माध्यम से जनजातियों द्वारा उत्पादित एवं निर्मित उत्पादों के विक्रय से उन्हें आर्थिक लाभ भी होगा एवं उनके आत्मसम्मान में वृद्धि होगी।