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अस्थिरता के ‘श्राप’ से मुक्त नहीं हो पाई देवभूमि की सियासत !

पिछले 22 वर्षों में उत्तराखंड की सियासत का सबसे बुरा पक्ष यही रहा कि यह अस्थिरता की शिकार रही। प्रचंड बहुमत मिला तो भी सत्ता अस्थिरता के श्राप से मुक्त नहीं हो पाई। तीसरे विकल्प की संभावनाओं के दावों और दलीलों के बीच प्रदेश की सत्ता पर भाजपा और कांग्रेस ही बारी-बारी से काबिज हुए। इस मिथक को तोड़ लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का नया रिवाज भाजपा ने शुरू किया, लेकिन दोनों सियासी दलों की सियासत का एक कड़वा सच यह भी है कि दोनों ही दलों के फैसले दिल्ली में बैठे केंद्रीय नेताओं के रिमोट कंट्रोल से तय होते रहे। दावों और दलीलों के बीच प्रदेश की सत्ता पर भाजपा और कांग्रेस ही बारी-बारी से काबिज हुए। इस मिथक को तोड़ लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का नया रिवाज भाजपा ने शुरू किया, लेकिन दोनों सियासी दलों की सियासत का एक कड़वा सच यह भी है कि दोनों ही दलों के फैसले दिल्ली में बैठे केंद्रीय नेताओं के रिमोट कंट्रोल से तय होते रहे