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लालू प्रसाद के गृह जिले में ओवैसी Owaisi spoils)ने बिगाड़ा तेजस्वी का खेल

गोपालगंज. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के गृह जिला गोपालगंज में असदुद्दीन ओवैसी(Owaisi spoils)  की पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) ने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के सियासी खेल को बिगाड़ दिया. उपचुनाव में तेजस्वी यादव के मामा और गोपालगंज के पूर्व सांसद अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव का भी कद घटा है. इन सब के बीच गोपालगंज सदर विधानसभा की सीट पर लगातार पांचवीं बार भाजपा ने जीत दर्ज की और अपने जीत के रिकॉर्ड को कायम रखा.

विधानसभा उपचुनाव में गोपालगंज से महागठबंधन समर्थित राजद प्रत्याशी को फिर करारी हार मिली. भाजपा प्रत्याशी और दिवंगत विधायक सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी ने 1794 वोटों से जीत दर्ज की. कुसुम देवी को कुल 70053 वोट मिले वहीं राजद प्रत्याशी मोहन प्रसाद गुप्ता को 68259 वोट. हार-जीत में वोटों का अंतर काफी कम रहा. भाजपा अपनी सीट बचाने में कामयाब रही. वहीं महागठबंधन के सात दलों के साथ चुनाव मैदान में उतरी राजद को हार मिली.

गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव विधायक सुभाष सिंह के निधन के कारण हुआ. स्वर्गीय सिंह यहां से लगातार चार बार बेदाग छवि के साथ विधायक रहे थे. उनकी किसी से कोई भी राजनीतिक या आपसी टकराव नहीं थी. साल 2005 में वो पहली बार राजद प्रत्याशी रेयाजूल हक राजू को हराकर विधायक बने थे. इसके बाद दूसरी बार 2010 में भी राजद के रेयाजूल हक राजू हारे. 2015 में भी रेयाजूल हक राजू की 5200 वोटों से हार हुई और साल 2020 में महागठबंधन समर्थित कांग्रेस प्रत्याशी आशिफ गफूर को 36 हजार वोटों से करारी हार मिली और सुभाष सिंह चौथी बार विधायक चुने गए थे. विधायक रहते हुए वो एनडीए की सरकार में बिहार सरकार में सहकारिता मंत्री बने थे, लेकिन मंत्री बनने के बाद से लगातार बीमार चल रहे थे. किडनी की बीमारी होने के बाद दिल्ली के एक अस्पताल में 16 अगस्त को उनका निधन हो गया.
तीन साल के लिए विधायक बनीं कुसुम देवी

विधायक का कार्यकाल पांच साल का होता है, दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद तीन साल के लिए उप यह चुनाव हुआ है, जिसमें दिवंगत विधायक की पत्नी कुसुम देवी को जीत मिली है. कुसुम देवी तीन साल के लिए रविवार को विधायक चुनी गयीं हैं. अब साल 2025 में विधानसभा चुनाव होना है.

मो. शहाबुद्दीन के परिवार का दिखा फैक्टर

गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव में मो. शहाबुद्दीन के परिवार का फैक्टर दिखा है. अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाके के लोगों का कहना है कि उपचुनाव में प्रचार के लिए मो. शहाबुद्दीन के परिवार से उनकी पत्नी हीना सहाब या उनके बेटे ओसामा को बुलाने की मांग की गयी, लेकिन आरजेडी ने उनके परिवार को उपचुनाव में दरकिनार कर दिया और उनकी तस्वीर तक को जगह बैनर-पोस्टर में नहीं दी गयी. इस वजह से उचकागांव और थावे प्रखंड के अल्पसंख्यक मतदाताओं में नाराजगी दिखी, जिसका परिणाम भी रविवार को सामने आ गया. अब्दुल सलाम को एआइएमआइएम का सिंबल नहीं मिलने के बाद भी उन्हे 12 हजार 214 वोट मिले हैं.

तेजस्वी यादव ने खेला था वैश्य कार्ड

महागठबंधन से लगातार राजद के कद्दावर नेता रेयाजूल हक राजू चुनाव लड़ते थे, लेकिन राजू लगातार हार जाते थे. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इस बार उप चुनाव में अल्पसंख्यक प्रत्याशी रेयाजूल हक राजू का टिकट काटकर वैश्य कार्ड खेला था. शहर के सोना-चांदी के बड़े व्यवसायी मोहन प्रसाद गुप्ता को चुनाव मैदान में उतारा था, जो कलवार समाज से आते हैं. उप चुनाव में रेयाजूल हक राजू ने अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र में मोहन प्रसाद गुप्ता के लिए प्रचार-प्रसार किया. राजद रेयाजूल हक राजू को अल्पसंख्यकों का नेता मानती है, इसलिए विश्वास दिलाने के लिए रेयाजूल हक राजू के घर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी गए, लेकिन इसका उप चुनाव में असरदार नहीं दिखा.

उप चुनाव में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के मामा पूर्व सांसद अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव का भी कद घटा है. साधु यादव की पत्नी इंदिरा यादव बसपा से मैदान में उतरीं थी. इंदिरा यादव को 8854 वोट मिले हैं. पिछली बार 2020 के चुनाव में साधु यादव को बसपा से 41039 वोट मिले थे और दूसरे नंबर पर थें. लेकिन इस बार वोटों के गणित से चौथे नंबर पर हैं.