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संगत से ही श्रेष्ठ मार्ग मिलता है

प्रदीप चौधरी 

वह चोर था, साधु होने के पहले। एक महल से चोरी करके भागा। राजा के सिपाही उसके पीछे। वे लोग उसको पकड़ने आ रहे हैं। भोर का समय,एकदम ब्रह्म मुहूर्त में। कोई उपाय न देखकर, सामने एक शिव मंदिर में प्रवेश कर गया। कोई भक्त सोया था, उसके कपड़े टंगे थे। उसने भक्त के कपड़े पहन लिए और मंदिर में पालथी मारकर बैठ गया। नमो शिवाय नमो शिवाय का मंत्र जाप करने लगा।

सिपाही भागते भागते मंदिर में आए, लेकिन वहां तो एक साधु बैठा है।नमो शिवाय का पवित्र मंत्र गूंज रहा है। वहां कोई चोर नहीं। सिपाही उसके चरणों में झुके, उसको नमस्कार किया और कहा, साधु महाराज! यहां कोई चोर तो नहीं आया?

जब वे उसके चरणों में झुके, तो उसे बड़ी हैरानी हुई। और उसके मन में एक बड़ी अद्भुत क्रांति जाग गई। उसे लगा कि मैं एक झूठा साधु हूँ और झूठी साधुता में इतना बल, कि जो मेरी हत्या करने मेरे पीछे लगे थे, वे अब मेरे चरणों में झुके हैं ! अगर झूठी साधुता में इतना बल है, तो सच्ची साधुता में कितना बल होगा!

उसने उन सिपाहियों से कहा कि हां, एक चोर आया था, लेकिन अब तुम उसे खोज न पाओगे। वह चोर मर चुका है। वे सिपाही बोले, साधु महाराज ! यह बात हम समझ नहीं पाए हैं। आप रहस्य की बातें न करें। हम तो अज्ञानी संसारी लोग हैं।राजा के सेवक। आपकी इन गूढ़ बातों का मतलब कहां समझ सकते हैं ! वह चोर अब कहां है? अभी तो यहां आया था।इतनी जल्दी कैसे मर गया?

साधु ने कहा : “मैं ही था वह चोर था लेकिन अब मैं मर चुका हूं। और वह चोर अब तुम्हें कहीं भी नहीं मिलेगा। वह नहीं है अब। तुमने मेरे चरणों में झुककर उसकी हत्या कर दी। वैसे तुम उसे नहीं मार सकते थे, लेकिन तुमने उसे मार दिया। और जब झूठी साधुता में इतना बल हो सकता है, तो मैं अब सच्ची साधुता को अपनाउंगा ।

उस दिन से वह एक पूर्ण भक्त हो गया। वह सदा यह घटना लोगों से कहा करता था कि मैं कोई साधु बनने नहीं आया था, परिस्थिति ने सत्य का उदय कर दिया। नमो शिवाय ! सुबह का सूना मंदिर, मंदिर की दीवारों में गूंजता नमो शिवाय का मंत्र; मूर्ति के पास से उठती हुई धूप, सुगंधित वातावरण, सिपाहियों का आना और मेरे चरणों में झुक जाना—मेरी सारी निगेटिव ऊर्जा सत्य से बह गई। एक क्षण को मुझे सत्य का अनुभव हुआ कि साधुता का सुख, साधुता की सुगंध, साधुता का फूल क्या है।

आप हर समय बदलते रहते हैं। इसीलिए अच्छे आदमी के पास आप अच्छे आदमी हो जाते हैं। बुरे आदमी के पास आप बुरे आदमी हो जाते हैं। अगर सक्रिय लोगों के बीच में पड़ जाएं, तो आप सक्रिय हो जाते हैं। अगर आलसियों के बीच में पड़ जाएं, तो आपको नींद आने लगती है। संगत का जीवन में बेहद महत्वपूर्ण स्थान होता है इसलिए भले व ईमानदार लोगों के निकट रहने का प्रयास करना चाहिए!