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(मालदीव )
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गैर मुस्लिम को नहीं मिलती मालदीव नागरिकता(मालदीव )

मालदीव :मालदीव (मालदीव ) में इन दिनों भारत विरोधी भावनाएं फिर बढ़ने लगी हैं. एशिया के इस छोटे से देश में कभी हिंदू राजा शासन करते थे. हिंदू आबादी बहुलता में थी लेकिन कैसे ये खूबसूरत द्वीपों का समूह मुस्लिम देश बन गया. इस द्वीप में कम से कम दस द्वीपों को चीन ने लीज पर ले रखा है. ये करीब 1200 खूबसूरत द्वीपों का समूह है.
भारत और श्रीलंका के बीच खूबसूरत द्वीपों का देश है मालदीव, ऐसा लगता है कि जैसे नीले सागर के बीच इसके हरे-भरे द्वीप समुद्र को माला सी पहनाते हैं. मालदीव भारत का पड़ोसी बेशक है लेकिन इस पर चीन की नजर पड़ने के बाद से हालात बदलने लगे हैं. हाल में यहां भारत विरोधी पार्टी के मुहममद मुइज्जू राष्ट्रपति पद के चुनाव में जीते हैं, जिन्होंने नारा दिया था – इंडिया आउट. जानते हैं मालदीव के बारे में जो कभी हिंदू राजाओं द्वारा शासित था.
मालदीव करीब 1200 द्वीपों का समूह है. ये हिंद महासागर में स्थित एक द्वीप देश है. ये भारत के बहुत करीब है. मालदीव के 200 द्वीपों पर ही स्थानीय आबादी रहती है जबकि 12 द्वीप सैलानियों के लिए हैं, जहां रिसोर्ट, होटल और सैलानियों के घूमने के लिहाज से सुविधाएं हैं. यहां हर साल करीब छह लाख सैलानी आते हैं. मालदीव में सात प्रांत हैं. हर द्वीप का प्रशासकीय प्रमुख, द्वीप मुख्याधिकारी (कथीब) होता है, जिसे राष्ट्रपति नियुक्त करता है.
बारहवीं शताब्दी तक मालदीव हिंदू राजाओं के अधीन रहा. बाद में ये बौद्ध धर्म का भी केंद्र बना. यहां तमिल चोला राजा भी शासन कर चुके हैं. लेकिन उसके बाद ये धीरे धीरे मुस्लिम राष्ट्र में बदलता चला गया. इस्लाम ही मालदीव का शासकीय धर्म है. “एक गैर मुस्लिम मालदीव का नागरिक नहीं बन सकता”.
ऐतिहासिक साक्ष्यों और किंवदंतियों के अनुसार मालदीव का इतिहास 2,500 वर्षों से अधिक पुराना है. मालदीव में शुरुआती निवासी शायद गुजराती थे जो लगभग 500 ईसा पूर्व श्रीलंका पहुंचे और बस गए. वहां से कुछ मालदीव चले आए. मालदीव के पहले निवासी धेविस नाम से जाने जाने वाले लोग थे. वे भारत में कालीबंगा से आये थे. तांबे की प्लेटें जिन पर सौर राजवंश के मालदीव के पहले राजाओं का इतिहास दर्ज था, बहुत पहले ही खो गईं.
ऐतिहासिक साक्ष्यों और किंवदंतियों के अनुसार मालदीव का इतिहास 2,500 वर्षों से अधिक पुराना है. मालदीव में शुरुआती निवासी शायद गुजराती थे जो लगभग 500 ईसा पूर्व श्रीलंका पहुंचे और बस गए. वहां से कुछ मालदीव चले आए. मालदीव के पहले निवासी धेविस नाम से जाने जाने वाले लोग थे. वे भारत में कालीबंगा से आये थे. तांबे की प्लेटें जिन पर सौर राजवंश के मालदीव के पहले राजाओं का इतिहास दर्ज था, बहुत पहले ही खो गईं.
12वीं शताब्दी के बाद अरबी व्यापारियों के प्रभाव में यहां के राजा मुस्लिम बनने लगे. 06 इस्लामी राजवंशों की एक श्रृंखला शुरू हुई. उसके बाद जनता भी मुस्लिम होती गई. उसके बाद ये देश धीरे धीरे मुस्लिम देश में बदल गया.
मालदीव हिंद महासागर में सामरिक रूप से काफी महत्वपूर्ण जगह पर स्थित है. यह हमारे देश के लक्षद्वीप समूह से महज 700 किमी. दूर है. मालदीव एक ऐसे महत्वपूर्ण जहाज मार्ग से सटा हुआ है जिससे होकर चीन, जापान और भारत जैसे कई देशों को ऊर्जा की आपूर्ति होती है. भारत का करीब 97 फीसदी अंतरराष्ट्रीय व्यापार हिंद महासागर के द्वारा ही होता है.
हिंद महासागर इलाके में 40 से ज्यादा देश और दुनिया की करीब 40 फीसदी आबादी रहती है. चीन ने एंटी पायरेट्स अभियान के नाम पर 10 साल पहले हिंद महासागर में अदन की खाड़ी तक अपने नौसैनिक जहाज भेजने शुरू किए. जिससे मालदीव का महत्व बढ़ता गया. अब ये अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति का केंद्र बन गया है.
(माले में भारतीय दूतावास की तस्वीर) पिछले कुछ सालों में चीन के साथ मालदीव की नजदीकियां बढ़ीं थीं. तब चीन का मालदीव के साथ बढ़ता आर्थिक सहयोग भारत के लिए चिंता की बात है. मालदीव के विदेशी कर्ज में करीब 70 फीसदी हिस्सा चीन का हो गया है. चीन का दूतावास भी मालदीव में 2011 में ही खुला. भारत 1972 में ही वहां अपना दूतावास खोल चुका था.
हाल के बरसों में जब चीन का दखल बढ़ा तो मालदीव की पिछली सरकार में उसने बड़े पैमाने पर निवेश किया और कई बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए देश को कर्ज भी दिए. इस समय मालदीव पर चीन का काफी ज्यादा कर्ज है. हालांकि नई सरकार चीन के प्रोजेक्ट्स को सीमित कर रही है. साथ ही फिर से भारत से दोस्ती को बहाल कर रही है. इसी परिप्रेक्ष्य में मोदी का अपने दूसरे कार्यकाल में सबसे पहले वहां की यात्रा करना अहम है.
चीन ने 21वीं सदी के पहले दशक में मालदीव पर डोरे डालने शुरू किए. अब उसने यहां के 10 द्वीपों को लीज पर ले रखा है, जहां वो बड़े पैमाने पर अपने जहाजों के रुकने के साथ सैन्य गतिविधियां भी विकसित कर रहा है.
मालदीव को 1965 में अंग्रेजों से आजादी मिली. सबसे पहले इस देश को मान्यता भारत ने ही दी थी. यूं भी सदियों से धार्मिक, सांस्कृतिक तौर पर मालदीव भारत के करीब रहा है. मालदीव में करीब 25,000 भारतीय रहते हैं, जो दूसरा सबसे बड़ा विदेशी समुदाय है. मालदीव में हर साल जाने वाले पर्यटकों का करीब छह फीसदी भारत का है. लेकिन हाल के बरसों में चीन के पर्यटक भी बड़े पैमाने पर वहां जाने लगे हैं.
मालदीव एक सुन्नी मुसलमान बहुल देश है. वर्ष 2013 में राष्ट्रपति बने यमीन और उनकी पार्टी ने देश में धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा दिया. यहां से काफी नौजवान सीरिया जाकर आईएसआईएस में भर्ती हुए. अब फिर जो पार्टी सत्ता में आ रही है, वो यामीन के असर वाली ही है. ऐसा लगता है कि वहां मुस्लिम कट्टरता फिर बढ़ सकती है