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पॉलिथीन बंद करने में नगर पालिका प्रशासन फेल,दुकानों में धड़ल्ले से बिक रही है पॉलिथीन

विचार सूचक
ब्यूरो रिपोर्ट राजू गोस्वामी,फतेहपुर:सरकार के अनुसार पॉलिथीन को हमारे प्रदेश और देश में प्रतिबंधित इसलिए किया गया है, क्योंकि पॉलिथीन प्लास्टिक नाम के ऐसे पदार्थ से बनता है, जिसका अपघटन शीघ्र नहीं हो पाता, इस पदार्थ को अपघटित होने में लाखों वर्ष का समय लगता है, प्लास्टिक पर्यावरण के अनुकूल भी नहीं है, इसी के चलते फतेहपुर नगर पालिका कर्मचारी पॉलिथीन चेकिंग अभियान के तहत धावा बोलकर दुकानों से पॉलिथीन निकलते हैं छोटे दुकानदारों से भारी जुर्माना वसूल करते हैं दुकानदारों का कहना है कि प्रदेश में रोजगार है नही किसी तरह से घर परिवार का पेट पालने के लिए दिनभर दुकान में मेहनत करते है शाम को उतनी भी दुकानदारी नही होती कि घर की जरूरतें पूरी हो सके, ऐसे में अगर नगर पालिका द्वारा हम गरीबों पर भारी जुर्माना लगाया लगाया जाता है तो हम अपने बीवी बच्चों का पेट कैसे पालेंगे।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब पूरे देश और प्रदेश में पॉलिथीन पर प्रतिबंध है तो फिर ज्यादातर पॉलिथीन का इस्तीमाल क्यों हो रहा है।क्या पॉलिथीन पूरी तरह से प्रतिबंध हो चुकी है? सरकार पॉलिथीन तो प्रतिबंध करना चाहती है लेकिन पॉलिथीन बनाने वाली कंपनी क्यों नहीं बंद करती?

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छोटी दुकानों की पॉलिथीन पर प्रतिबंध है पर बड़ी चिप्स कंपनियां अपने प्रोडक्ट पॉलिथीन पाउच में दे तो उन पर कोई रोक नहीं ऐसा क्यों पॉलिथीन बंद करने के नाम पर चेकिंग अभियान अधिकारी दुकानदारों को पॉलिथीन चेक कर के परेशान करते हैं क्या यह सही है या फिर सरकार को पॉलिथीन बनाने वाली फैक्ट्री को ही क्यों न बंद कर देनी चाहिए? सरकार प्लास्टिक की थैलियों को बैन करने की बजाय प्लास्टिक की फैक्ट्री को बंद क्यों नहीं कर देती नगर पालिका द्वारा ठेले और कुंचे वाले गरीब लोगों पर भारी जुर्माना लगाकर भारी धन तो वसूला जाता है लेकिन जिला अस्पताल के बाहर बड़ी संख्या में मेडिकल स्टोर जैसी जगहों पर कोई कार्यवाही नहीं? जैसे बाजारों में ठोक में पॉलिथीन धड़ल्ले से बिक रही है, लेकिन छोटे दुकानदारों के पास मात्र थोड़ी से पॉलिथीन निकलने पर नगर पालिका एक,पांच और 10 हजार रुपए वसूलती है, काश कि हमारे समाज में सबको एक ही चश्मे से देखकर इंसाफ किया जाता, काश कि कानून का पालन कराने के साथ साथ इंसानियत भी जिंदा होती?