Breaking News
(एमएसपी )
(एमएसपी )

एमएसपी को कानूनी गारंटी’ की मांग पर अड़े(एमएसपी )

चंडीगढ़: केंद्रीय मंत्रियों के साथ अहम बैठक से एक दिन पहले किसान नेताओं ने केन्द्र सरकार से शनिवार को मांग की कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)  (एमएसपी ) की कानूनी गारंटी देने के लिए अध्यादेश लेकर आए. इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) ने किसानों की मांग के समर्थन में शनिवार को हरियाणा में ट्रैक्टर मार्च निकाला जबकि भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) ने पंजाब में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन वरिष्ठ नेताओं के आवासों के बाहर धरना दिया.
आठ, 12 और 15 फरवरी को हुई बातचीत बेनतीजा
किसान नेताओं और केन्द्रीय मंत्रियों के बीच रविवार को चौथे दौर की वार्ता होनी है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित किसान संघों की विभिन्न मांगों पर जारी बातचीत में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. दोनों पक्षों के बीच इससे पहले आठ, 12 और 15 फरवरी को हुई बातचीत बेनतीजा रही थी.

किसान एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा कृषकों के कल्याण के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन तथा कर्ज माफी, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘‘न्याय”, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं.

पंजाब-हरियाणा सीमा के शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर डटे हैं किसान

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा द्वारा आहूत ‘दिल्ली चलो’ मार्च के पांचवें दिन किसान पंजाब-हरियाणा सीमा के शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर डटे रहे. किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने केन्द्र सरकार से शनिवार को मांग की कि वह एमएसपी को कानूनी गारंटी देने के लिए अध्यादेश लाए. पंधेर ने कहा कि केन्द्र के पास ‘‘राजनीतिक” निर्णय लेने का अधिकार है. उन्होंने कहा, ‘‘ अगर केन्द्र सरकार चाहे तो वह रातोंरात अध्यादेश ला सकती है. अगर सरकार किसानों के आंदोलन का कोई समाधान चाहती है तो उसे यह अध्यादेश लाना चाहिए कि वह एमएसपी पर कानून लागू करेगी, तब बातचीत आगे बढ़ सकती है.”

पंधेर ने शंभू बॉर्डर पर संवाददाताओं से कहा कि जहां तक तौर तरीकों की बात है तो कोई भी अध्यादेश छह माह तक वैध होता है. उन्होंने कहा कि जहां तक स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसा के अनुरूप ‘‘सी2 प्लस 50 प्रतिशत” की मांग है, तो सरकार ‘‘ए2 प्लस एफएल” फॉर्मूले के अनुसार कीमत दे रही है और ‘‘उसी फॉर्मूले के तहत अध्यादेश लाया जा सकता है.”
पंधेर ने कृषि ऋण माफी के मुद्दे पर कहा कि सरकार कह रही है कि ऋण राशि का आकलन करना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार इस संबंध में बैंकों से आंकड़े एकत्र कर सकती है. यह इच्छाशक्ति की बात है.”

पंधेर ने कहा, ‘‘ वे (केन्द्र) कह रहे हैं कि इस पर राज्यों से चर्चा करनी होगी. आप राज्यों को छोड़िए. आप केवल केन्द्र और राष्ट्रीकृत बैकों की बात करिए और इस पर निर्णय कीजिए कि किसानों के कर्ज कैसे माफ करने हैं.”

उन्होंने कहा कि किसानों की अन्य मांगें भी अहम हैं. किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने भी कहा कि सरकार को ‘‘देश के लोगों को कुछ देने” के लिए एक अध्यादेश लाना चाहिए.

डल्लेवाल पंधेर के साथ मिलकर किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं. डल्लेवाल ने कहा, ‘‘सरकार को इस इरादे से अध्यादेश लाना चाहिए कि यह तत्काल प्रभाव से लागू हो और छह महीने के भीतर इसे कानून में तब्दील किया जा सकता है और इसमें कोई समस्या नहीं है.”
उन दावों के बारे में पूछे जाने पर कि सभी 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने के लिए भारी धनराशि की आवश्यकता होगी, डल्लेवाल ने कहा कि एक अध्ययन में सामने आया है कि इसके लिए 2.50 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता है. डल्लेवाल ने दावा किया कि एक अन्य अध्ययन में कहा गया है कि केवल 36,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा,‘‘ अगर सरकार उत्पादकों और उपभोक्ताओं को गंभीर से ले और कॉर्पोरेट पर कम ध्यान दे तो समस्या का हल निकल आएगा.” डल्लेवाला ने कहा कि कृषि क्षेत्र 50 प्रतिशत रोजगार पैदा कर रहा है. उन्होंने कहा,‘‘ सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र की 20 फीसदी हिस्सेदारी है और अगर कृषि क्षेत्र की जीडीपी में 20 फीसदी हिस्सेदारी है तो सरकार के लिए 2.50 लाख करोड़ रुपये देना क्यों मुश्किल है?”

उन्होंने कहा कि सरकार अन्य देशों से दालें मंगाती है और अगर सरकार दाल जैसी फसलों पर एमएसपी की गारंटी देती है तो किसान उसका उत्पादन यहीं कर सकते हैं.

पंजाब के किसानों ने मंगलवार को दिल्ली के लिए मार्च शुरू किया था, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें हरियाणा के साथ पंजाब की सीमा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर रोक दिया. तब से प्रदर्शनकारी इन दो सीमा बिंदुओं पर डटे हुए हैं.