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( 66th rank)
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कार्तिका ने राजस्थान न्यायिक सेवा परीक्षा में हासिल की 66वीं रैंक( 66th rank)

 

सफलता : राजस्थान न्यायिक सेवा परीक्षा के नतीजे कुछ दिन पहले ही घोषित हुए हैं. इसमें राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश के ड्राइवर की बेटी कार्तिका गहलोत ने सफलता हासिल की है. उन्होंने राजस्थान न्यायिक सेवा परीक्षा में 66वीं रैंक ( 66th rank) हासिल की है. 23 वर्षीय कार्तिका ने अपनी सफलता पर कहा, उन्हें मालूम था कि एक दिन यह कामयाबी जरूर मिलेगी क्योंकि उनका सिर्फ एक ही सपना था काली कोट पहनना और जज बनना.

कार्तिका ने कहा, मेरे पिता पिछले 31 साल से राजस्थान के मुख्य न्यायधीश के ड्राइवर हैं. इस कारण मुझे बहुत कम उम्र में ही काले कोट और इसके आसपास के माहौल का शौक हो गया था. ज्यादातर बच्चे जीवन के प्रत्येक पड़ाव पर अपने सपने बदलते रहते हैं. लेकिन मेरा सिर्फ एक ही सपना था, उसी पर काम किया. कार्तिका ने बताया कि अपने चार भाई-बहनों में वे बीच की हैं. कार्तिका के अन्य भाई पहन भी लॉ फील्ड की ओर आकर्षित हैं.

कोरोना महामारी में की ऑनलाइन तैयारी
कार्तिका ने अपनी स्कूली शिक्षा जोधपुर के सेंट ऑस्टिन स्कूल से और कानून की पढ़ाई जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से पूरी की है. कार्तिका ने बताया कि लॉ में सबसे अधिक रुचि तब पैदा हुई जब वे अपने 5वें और 6वें सेमेस्टर के दौरान जिला अदालत में इंटर्नशिप शुरू की. हालांकि कोविड महामारी शुरू हुई तो उन्होंने ऑनलाइन तैयारी शुरू कर दी.

प्रतिदिन 3 से 4 घंटे की पढ़ाई
कार्तिका ने अपनी तैयारी के बारे में बताया कि उनकी रोज की पढ़ाई का शेड्यूल फ्लैक्सिबल था. लेकिन यह सुनिश्चित किया कि निरंतरता बनी रहे. उन्होंने प्रतिदिन 3 से 4 घंटे पढ़ाई की. हालांकि परीक्षा की डेट घोषित होने के बाद 10-12 घंटे तक पढ़े. वैसे, इस दौरान ज्यादातर रिवीजन ही किए. म्युजिक की शौकीन कार्तिका बताती हैं कि म्युजिक ने उन्हें बेहतर कंसंट्रेशन में मदद की. यहां तक कि इससे तनाव मुक्त रहने में भी मदद मिली.

महिलाओं को पढ़ना चाहिए लॉ
महिलाओं के लॉ की पढ़ाई करने पर बात करते हुए उन्होंने कहा, मैनें हाल ही में सुना है कि जब कुछ माता-पिता बेटियों को लॉ की पढ़ाई नहीं कराना चाहते थे क्योंकि उन्हें डर था कि इसके बाद शादी नहीं होगी. लेकिन मेरा मानना है कि अधिक से अधिक महिलाओं को लॉ पढ़ना चाहिए ताकि वे अधिक स्वतंत्र और सशक्त हो सकें. उन्होंने कहा कि महिलाओं ही नहीं बल्कि सभी को कानून की बुनियादी समझ होनी चाहिए. यह लोगों को दैनिक जीवन में अपने अधिकारों के लिए लड़ने में मदद करता है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश को दिया सफलता का श्रेय
कार्तिका ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार और इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर को दिया. उन्होंने कहा कि परिवार के समर्थन व सहयोग के कारण ही परीक्षा पास कर पाना संभव हो सका. इसके अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर से भी काफी मार्गदर्शन मिला. उन्होंने कई चरणों में मदद की. वहीं, कार्तिका के पिता राजेंद्र गहलोत ने कहा कि उन्हें प्रेरित करने और हर तरह से समर्थन देने में मां का विशेष योगदान है.

सोशल मीडिया से दूर हैं कार्तिका
दिलचस्प बात है कि ऐसे जब ज्यादातर लोग सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं, कार्तिका ने खुद को इससे दूर रखा है. उन्होंने बताया कि उनको कोई फेसबुक या इंस्टाग्राम अकाउंट नहीं है. लोगों से बातचीत के लिए सिर्फ वॉट्