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Kanpur Violence

Kanpur Violence : नया मोड़, सामने आया पाकिस्तान कनेक्शन…

कानपुर। Kanpur Violence : नया मोड़, सामने आया पाकिस्तान कनेक्शन… कानपुर में नई सड़क पर हुए बवाल का कनेक्शन पाकिस्तान में बैठे आकाओं से जुड़ रहा है। बवाल के दौरान एक फोन नंबर से लगातार पाकिस्तान में काल चल रही थी। वह नंबर हिस्ट्रीशीटर अतीक खिचड़ी का था। अतीक बवाल के बाद से फरार है। एसआईटी को उसका कनेक्शन बाबा बिरयानी के मालिक मुख्तार बाबा से भी मिल रहा है। एसआईटी की जांच में अब तक दो बिंदु सामने आए हैं। पहला, उपद्रव की साजिश नूपुर शर्मा की टिप्पणी को लेकर भारत की विश्व पटल पर बदनामी कराने को रची गई थी। दूसरा, उपद्रव के पीछे स्थानीय कारण हिंदुओं की बस्ती चंद्रेश्वर हाता खाली कराना था।

Kanpur Violence : मोबाइल टावरों का डाटा खंगालने के दौरान चैंकाने वाला खुलासा

कुछ बिल्डरों की नजर इसपर है, लेकिन 19 दिन बाद नए तथ्य ने पुलिस की जांच की दिशा बदल दी है। उपद्रव के बाद पुलिस नई सड़क के मोबाइल टावरों का डाटा खंगाल रही थी, उसमें सामने आया कि एक मोबाइल नंबर से उस वक्त पड़ोसी देश से बात चल रही थी। उसके बाद से वह नंबर लगातार बंद आ रहा है। पुलिस को चैटिंग का एक स्क्रीन शाट भी मिला है, जो अतीक का बताया जा रहा है, जिसमें वह उसी पाकिस्तानी व्हाट््सएप नंबर से चैट कर रहा है, जो डाटा फिल्टर के दौरान मिला था।

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चैट में अतीक ने लिखा है कि शेख साहब और बम चाहिए। काम हो जाएगा। चैट का स्क्रीन शाट अतीक का है या नहीं इसकी जांच चल रही है। 40 वर्ष का अतीक खिचड़ी अपराधियों का गढ़ कहे जाने वाले गम्मू खां का हाता का रहने वाला है। कर्नलगंज थाने का हिस्ट्रीशीटर है। उसके खिलाफ कर्नलगंज थाने में 21 मुकदमे दर्ज हैं। अतीक का भाई अकील भी हिस्ट्रीशीटर है। अतीक के खिलाफ लूट, मारपीट, हत्या का प्रयास, ड्रग्स तस्करी, गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट में मुकदमे दर्ज हैं।

Kanpur Violence : उपद्रव में पुलिस अब तक 58 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है

उपद्रव में पुलिस अब तक 58 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। कई के परिजनों ने युवकों को फर्जी फंसाने का आरोप लगाते हुए साक्ष्य सौंपे थे। जांच के बाद चार युवकों को पुलिस ने क्लीनचिट दी है। 169 की कार्रवाई करते हुए पुलिस कोर्ट में प्रार्थना पत्र देगी जिसके बाद इन युवकों का जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो जाएगा। बवाल के बाद पुलिस ने वीडियो, फोटो के आधार पर 40 उपद्रवियों के पोस्टर जगह-जगह लगाए थे।

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कई युवकों को पुलिस ने घटना के वक्त भी दबोचा था। गिरफ्तारी के बाद कई परिवारों ने पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा से मिलकर आरोपियों को निर्दोष बताया था। 80 के दशक में बेकनगंज तिराहे पर पंचर की दुकान चलाने वाले मुख्तार बाबा ने 1992 के दंगों के बाद खूब कमाई की। मुख्तार बाबा ने हिस्ट्रीशीटर लाला हड्डी के एक खास साथी के साथ मिलकर प्रापर्टी का काम शुरू किया।