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(आदित्य-एल1)
(आदित्य-एल1)

इसरो के आदित्य-एल1 ने बिजली बनाना शुरू किया(आदित्य-एल1)

बेंगलुरु. इसरो (ISRO) आज भारत के पहले सोलर मिशन आदित्य-एल1 को सुबह 11.50 बजे सफलता से लॉन्च कर दिया गया. PSLV-C57 रॉकेट से आदित्य-एल1 को लॉन्च किया गया. पीएसएलवी ने आदित्य-एल1 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया. जहां से आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान अपने लिक्विड एपोजी मोटर्स (LAM) के शक्तिशाली इंजनों का उपयोग करके कई बार अपनी कक्षा को बढ़ाएगा. जो इसे आदित्य-एल1 को अपने गंतव्य तक- लगभग 15 लाख किमी. दूर लैग्रेंज प्वाइंट-1 (एल1) तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे. यह पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी का 1/100वां हिस्सा है.

आदित्य-एल1 ने बिजली पैदा करना शुरू कर दिया
आदित्य-एल1(आदित्य-एल1)  ने बिजली पैदा करना शुरू कर दिया है. इसके सौर पैनल काम करना शुरू कर चुके हैं. इसकी कक्षा को और बड़ा करने लिए पहली अर्थबाउंड फायरिंग 3 सितंबर को लगभग 11.45 बजे तय है.
आदित्य एल-1 की परियोजना निदेशक निगार शाजी ने कहा- यह वैज्ञानिक बिरादरी के लिए एक संपत्ति
आदित्य एल-1 के सफल प्रक्षेपण पर आदित्य एल-1 की परियोजना निदेशक निगार शाजी ने कहा कि ‘यह एक सपने के सच होने जैसा है. मुझे बेहद खुशी है कि आदित्य एल-1 को पीएसएलवी से सफलता से लॉन्च किया गया है. आदित्य एल-1 ने अपनी 125 दिनों की लंबी यात्रा शुरू कर दी है. एक बार जब आदित्य एल-1 चालू हो जाएगा, तो यह देश और वैश्विक वैज्ञानिक बिरादरी के लिए एक संपत्ति होगी. मैं इस मिशन को संभव बनाने में उनके समर्थन और मार्गदर्शन के लिए पूरी टीम को धन्यवाद देना चाहती हूं.’
जितेंद्र सिंह ने कहा- पूरी दुनिया ने आदित्य एल-1 मिशन को सांस रोककर देखा
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आदित्य एल1 मिशन के सफल प्रक्षेपण पर कहा कि ‘जबकि पूरी दुनिया ने इसे सांस रोककर देखा, यह वास्तव में भारत के लिए एक शानदार क्षण है. भारतीय वैज्ञानिक सालों से एक साथ दिन-रात काम कर रहे थे, कड़ी मेहनत कर रहे थे. आदित्य एल1 का सफल प्रक्षेपण संपूर्ण-विज्ञान और संपूर्ण-राष्ट्र दृष्टिकोण का भी प्रमाण है, जिसे हमने अपनी कार्य संस्कृति में अपनाने को कहा है.’
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इसरो की तारीफ की, कहा-‘ऐतिहासिक दिन’

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि ‘1.4 अरब भारतीयों के लिए शनिवार को यह एक ऐतिहासिक ‘सूर्य दिवस’ है. आज भारत का पहला सोलर मिशन, आदित्य-एल1, इसरो ने सफलतापूर्वक लॉन्च किया है. उन्होंने कहा कि मिशन चंद्रयान-3 और मंगलयान की सुपर सफलता के बाद भारत अब सूर्य की ओर बढ़ रहा है.’
राष्ट्रपति मुर्मू ने इसरो को बधाई दी
सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट में प्रेसिडेंट द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 का सफल लॉन्च एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम को एक नए पथ पर ले जाता है. उन्होंने कहा कि ‘यह हमें अंतरिक्ष और खगोलीय घटनाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा. मैं इस असाधारण उपलब्धि के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई देता हूं. मिशन की सफलता के लिए मेरी शुभकामनाएं.’

आदित्य-एल1 मिशन ने वो डेटा मिलेगा जो किसी के पास नहीं है
आदित्य-एल1 मिशन के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. शंकरसुब्रमण्यम के. ने कहा कि सोलर हेलियोफिजिक्स और खगोल विज्ञान दोनों डेटा पर आधारित हैं. सूर्य अपना तारा है और इसे समझना हमारे जीवन के लिए कहीं अधिक महत्वपूर्ण है. इसलिए सात पेलोड पर विचार किया गया था, जो इस मिशन के लिए डेटा का एक अनूठा सेट उपलब्ध कराएंगे, जो इस वक्त किसी अन्य मिशन से उपलब्ध नहीं है.
पीएसएलवी सी-57 ने आदित्य एल-1 को तय कक्षा में सफलता से पहुंचाया

इसरो ने कहा कि आदित्य एल-1 सैटेलाइट को रॉकेट से अलग कर दिया गया है. पीएसएलवी सी-57 रॉकेट का मिशन आदित्य एल-1 पूरा हो गया है. इसरो ने कहा है कि पीएसएलवी सी-57 ने आदित्य एल-1 सेटेलाइट को वांछित मध्यवर्ती कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने आदित्य -एल1 के सफल लॉन्च पर इसरो और वैज्ञानिकों को बधाई दी
पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत के पहले सोलर मिशन आदित्य -एल1 के सफल लॉन्च पर इसरो और उसके वैज्ञानिकों को बधाई दी है. पीएम मोदी ने एक्स पर कहा कि ‘चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा जारी रखी है. भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो, हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई. संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए ब्रह्मांड की बेहतर समझ विकसित करने के लिए हमारे अथक वैज्ञानिक प्रयास जारी रहेंगे.’
आदित्य एल-1 को ऑर्बिट में सफलता से स्थापित किया गया
इसरो ने अपने पहले सोलर मिशन आदित्य एल-1 को तय ऑर्बिट में सफलता से स्थापित कर दिया है.
चौथे चरण का प्रदर्शन सामान्य
सोलर मिशन आदित्य एल-1 का चौथा चरण सामान्य प्रदर्शन कर रहा है. यह आदित्य एल1 को तय कक्षा की ओर ले जा रहा है.
आदित्य एल1 की टेलीमेट्री फिर से हासिल हुई
कुछ देर तक कंट्रोल स्टेशन की पहुंच से ओझल रहने के बाद सोलर मिशन आदित्य एल1 से फिर टेलीमेट्री हासिल हो गई है.चौथे चरण का इंजन चालू कर दिया गया है और अंतरिक्ष यान सामान्य रूप से कार्य कर रहा है.
पीएसएलवी का तीसरे चरण का पृथक्करण पूरा हुआ

पीएसएलवी सी-57 का तीसरे चरण का पृथक्करण पूरा हो चुका है. आदित्य-एल1 के प्रक्षेपण के बाद सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के कंट्रोल रूम ने यह जानकारी दी.
आदित्य एल-1 के लॉन्च पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दी बधाई
छत्तीसगढ़ के रायपुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘मैं मिशन आदित्य एल-1 के लॉन्च पर सभी को हार्दिक बधाई देता हूं.’

आदित्य एल-1 की लॉन्च पर भीड़ ने ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए.
श्रीहरिकोटा से आदित्य एल-1 को लेकर इसरो के पीएसएलवी रॉकेट के उड़ान भरने के दौरान भीड़ ने ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए. एक शख्स ने कहा कि हम इसे देखने के लिए मुंबई से आए हैं. यह हमारे लिए एक अविस्मरणीय क्षण था. यह अद्भुत है. यह एक अद्भुत एहसास है कि हम नासा और अन्य जैसी अंतरिक्ष एजेंसियों को प्रतिस्पर्धा दे रहे हैं. हम वास्तव में उत्साहित हैं.
आदित्य एल1 पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकला
इसरो का सोलर मिशन आदित्य एल-1 पेलोड पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलते ही अलग हो गया है. फिलहाल इसरो के अनुसार तीसरा चरण अलग कर दिया गया है.
भारत का पहला सोलर मिशन AdityaL1 सफलता से लॉन्च
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत का पहला सोलर मिशन AdityaL1 सफलता से लॉन्च कर दिया. सूर्य का विस्तृत अध्ययन करने के लिए आदित्य एल1 सात अलग-अलग पेलोड ले जा रहा है.
आदित्य एल1 सोलर मिशन से सूर्य का स्पेस पर असर समझने में मदद मिलेगी
आदित्य एल1 सोलर मिशन पर दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू तारामंडल में प्रोग्रामिंग मैनेजर प्रेरणा चंद्रा ने कहा कि अन्य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां पहले ही सूर्य पर अवलोकन कर चुकी हैं. आदित्य एल1 के साथ हमारे पास सूर्य के आंकड़े भी मोजूद होंगे. जिससे हमें अंतरिक्ष के मौसम और आगामी अंतरिक्ष अभियानों को समझने में बहुत मदद मिलेगी.
सोलर मिशन लॉन्च देखने बड़ी संख्या में पर्यटक मौजूद
इसरो के पहले सोलर मिशन आदित्य-एल1 के लॉन्च में अब बहुत कम समय बचा है. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से मिशन के लॉन्च को देखने के लिए बड़ी संख्या में मेहमान आए हैं.

इसरो के पूर्व चीफ जी. माधवन नायर बोले- आदित्य एल-1 बहुत महत्वपूर्ण
इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने कहा कि इसरो का पहला सोलर मिशन बहुत महत्वपूर्ण है. आदित्य एल-1 को लैग्रेंजियन पॉइंट 1 के आसपास रखा जाएगा, जहां पृथ्वी और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल लगभग खत्म हो जाता है. कम से कम ईंधन के साथ हम वहां अंतरिक्ष यान बनाए रख सकते हैं. इसके अलावा वहां से लगातार सूरज को देखना संभव है. अंतरिक्ष यान में सात उपकरण लगाए गए हैं. इस मिशन के डेटा से वायुमंडल में होने वाली विभिन्न घटनाओं, जलवायु परिवर्तन अध्ययन आदि को समझाने में मदद मिलेगी.
इसरो के सोलर मिशन का भविष्य और इसका बजट
सोलर मिशन आदित्य एल-1 सूर्य की परतों का निरीक्षण करने के लिए 7 पेलोड ले जाएगा. यह विभिन्न तरंग बैंडों में फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और कोरोना सहित तीन सबसे बाहरी परतों का निरीक्षण करेगा. इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि आदित्य एल-1 राष्ट्रीय संस्थानों की भागीदारी वाला पूरी तरह से स्वदेशी प्रयास है. आदित्य एल-1 मिशन को 424 करोड़ रुपये यानी 570 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत से तैयार किया गया है.

इसरो के मुताबिक सूर्य और पृथ्वी के बीच पांच लैग्रेन्जियन प्वाइंट हैं. एल1 बिंदु सूर्य को लगातार देखने के लिए एक बड़ा लाभ प्रदान करेगा. इसरो ने कहा कि सूर्य धरती का सबसे निकटतम तारा है और इसलिए अन्य की तुलना में इसका अधिक विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है. इसरो ने कहा कि आकाशगंगा और अन्य आकाशगंगाओं के तारों के बारे में सूर्य के बारे में और भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है. सूर्य में कई विस्फोटक घटनाएं होती हैं और यह सौर मंडल में भारी मात्रा में ऊर्जा छोड़ता है. अगर ऐसी विस्फोटक सौर घटनाएं पृथ्वी की ओर बढ़ती हैं, तो यह पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष के वातावरण में कई तरह की गड़बड़ी पैदा कर सकती हैं.

इसरो ने कहा कि अंतरिक्ष यान और संचार प्रणालियां ऐसी गड़बड़ी से खराब हो जाते हैं. इसलिए इस तरह की घटनाओं की पूर्व चेतावनी मिलने से पहले से ही सुधारात्मक उपाय करने के लिए समय मिल सकता है. इस बार भी इसरो के पीएसएलवी के अधिक शक्तिशाली वेरिएंट ‘एक्सएल’ का उपयोग किया है, जो आज सात पेलोड के साथ अंतरिक्ष यान को ले गया. इसी तरह के पीएसएलवी-एक्सएल वेरिएंट का इस्तेमाल 2008 में चंद्रयान-1 मिशन और 2013 में मार्स ऑर्बिटर मिशन में किया गया था. सोलर मिशन के कुल सात पेलोड में से अंतरिक्ष यान पर चार सीधे सूर्य को देखेंगे जबकि शेष तीन एल 1 बिंदु पर कणों और इलाके का अध्ययन करेंगे.