बिश्केक (किर्गिस्तान). हमास के अभूतपूर्व क्रूरता के हमलों के सामने इजरायल (इजरायल ) के आत्मरक्षा के अधिकार को कबूल करते हुए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यरुशलम को राजधानी बनाकर एक आजाद फिलिस्तीन देश बनाने पर जोर दिया. पुतिन ने कहा कि इस मुद्दे को हल करने का यही उपाय है. पुतिन ने स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल शिखर सम्मेलन में कहा कि रूस इस धारणा के साथ आगे बढ़ रहा है कि फिलीस्तीनी-इजरायल संघर्ष के लिए बातचीत के जरिए समाधान का कोई दूसरा विकल्प नहीं है. पुतिन ने शिखर सम्मेलन में कहा कि इस मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीकों से हल करने के लिए काम करना जरूरी है.
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि ‘बातचीत का लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र के दो-राज्य फार्मूले को लागू करन होना चाहिए. जिसका मतलब अपनी राजधानी के रूप में पूर्वी येरूशलेम के साथ एक आजाद फिलिस्तीनी देश को बनाना है. इजरायल निश्चित रूप से अभूतपूर्व क्रूरता के हमले की जद में आ गया है. निःसंदेह उसे अपनी रक्षा करने का अधिकार है. उसे अपना शांतिपूर्ण अस्तित्व सुनिश्चित करने का अधिकार है.’ उन्होंने कहा कि ‘जिस तरह से मैं इसे देखता हूं, इस तरह की स्थिति में और इस विशेष स्थान में दो आजाद देशों के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.’
कथित युद्ध अपराधों के लिए अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालयसे गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद पुतिन की किर्गिस्तान यात्रा उनकी पहली विदेश यात्रा थी. दो दिनों की यात्रा में सीआईएस शिखर सम्मेलन में उनकी भागीदारी शामिल थी. यह एक क्षेत्रीय संगठन है, जिसमें पूर्व सोवियत गणराज्य शामिल हैं. इस इलाके में रूस के घटते असर के बारे में चर्चा के बीच पुतिन की मौजूदगी उपस्थिति हुई. 2022 की शुरुआत में यूक्रेन में सेना उतारने के बाद से शायद ही कभी पुतिन ने रूस छोड़ा है. उसके बावजूद पुतिन के अगले हफ्ते बीजिंग में तीसरे बेल्ट एंड रोड फोरम के लिए चीन की यात्रा करने की उम्मीद है.
यह गौरतलब है कि किर्गिस्तान और चीन आईसीसी के सदस्य नहीं हैं और इसके अधिकार क्षेत्र के अधीन नहीं हैं. किर्गिज राष्ट्रपति सदिर जापारोव के साथ एक बैठक के दौरान पुतिन ने एक प्रमुख व्यापार भागीदार और किर्गिस्तान में सबसे बड़े निवेशक के रूप में रूस की स्थिति की पुष्टि की और सहयोग को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया. पुतिन ने रूसी-किर्गिज व्यापार में हुई बढ़ी बढ़ोतरी की प्रशंसा की. जबकि कुछ पश्चिमी विश्लेषकों को संदेह है कि यह बढ़ोतरी रूस के खिलाफ लगे प्रतिबंधों को दरकिनार कर रूसी व्यवसायों से जुड़ी हो सकती है.
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