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(अपमान ) 
(अपमान ) 

महिला का अपमान करना(अपमान ) 

नई दिल्ली. दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महिला को ‘गंदी औरत’ कहने को लेकर एक पुरुष के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश रद्द करते हुए कहा है कि किसी महिला का अपमान (अपमान )  करना या उसके साथ असभ्य व्यवहार करना और मर्यादापूर्ण तरीके से व्यवहार न करना उस महिला का शील भंग करना नहीं कहा जाएगा. उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि लिंग-विशेष पर आधारित कानून विपरीत लिंग वाले लोगों के विरुद्ध नहीं होता है, बल्कि किसी विशेष लिंग वाले व्यक्ति के सामने आने वाले अनोखे मुद्दों से निपटने के उद्देश्य से होता है.

अदालत ने कहा कि तथ्य यह है कि किसी कानून का एक अंश खास लिंग के लिए होने का मतलब यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि न्यायाधीश की तटस्थ रहने की भूमिका भी बदल जाती है और उस (न्यायाधीश) का झुकाव खास लिंग के प्रति हो जाता है. इसने आगे कहा कि किसी कानून की लिंग-विशिष्ट प्रकृति के बावजूद, न्यायिक कर्तव्य के लिए मूल रूप से अटूट तटस्थता और निष्पक्षता की आवश्यकता होती है. उच्च न्यायालय ने कहा, ‘लिंग-विशिष्ट कानून समाज के भीतर विशेष लिंगों की अनूठी चिंताओं और चुनौतियों के समाधान के लिए होता है. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि न्याय करते समय न्यायाधीश को लिंग-संबंधी कारकों से प्रभावित होना या उसकी ओर उसका झुकाव होना चाहिए, जब तक कि कानून में किसी विशेष लिंग के पक्ष में विशिष्ट धारणाएं नहीं बनाई जाती हैं.

लिंग की परवाह किए बिना सभी पक्षों के साथ निष्पक्ष और न्यायसंगत व्यवहार हो
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा, ‘संक्षेप में, न्यायिक तटस्थता विधिक प्रणाली का एक अनिवार्य आधारस्तंभ है, जो (तटस्थता) सुनिश्चित करती है कि लिंग की परवाह किए बिना सभी पक्षों के साथ निष्पक्ष और न्यायसंगत व्यवहार किया जाये.’ उच्च न्यायालय ने आईपीसी की धारा 509 (किसी महिला का शील भंग करने के इरादे से शब्द, इशारा या कृत्य) के तहत आरोप तय करने के निचली अदालत के आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की कि उस व्यक्ति के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनाया गया था.

शिकायतकर्ता महिला ने अपने वरिष्‍ठ साथी पर लगाया था आरोप
अभियोजन पक्ष का मामला यह था कि शिकायतकर्ता महिला और आरोपी एक ही संगठन में काम करते थे तथा आरोपी व्यक्ति शिकायतकर्ता का वरिष्ठ था. यह आरोप लगाया गया था कि जब महिला ने उसे 1,000 रुपये देने से इनकार कर दिया तो उसने उसके खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और उसे ‘गंदी औरत’ कहा. अदालत ने कहा कि उस व्यक्ति के किसी भी व्यवहार का कोई सबूत नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि आरोपी किसी अवांछित सामाजिक आचरण से जुड़ा था, लेकिन यह अधिक से अधिक परेशान करने वाली टिप्पणियों का मामला है, जिसे शिकायतकर्ता द्वारा उचित रूप से अवांछित माना जा सकता है.