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( No Claim)
( No Claim)

नो क्लेम बोनस में कंपनी आपको मौद्रिक लाभ देती

नई दिल्ली. पॉलिसीहोल्डर जब पूरे साल अपनी इंश्योरेंस पर किसी तरह का दावा नहीं करता है तो उसे नो-क्लेम ( No Claim) बोनस (एनसीबी) मिलता है. नो-क्लेम बोनस पॉलिसीहोल्डर को साल के आखिरी में मिलता है. ये रकम बीमा कवरेज राशि में जुड़ जाती है. इसे आप एक रिवॉर्ड की तरह देख सकते हैं. इससे आपके बीमा कवरेज में इजाफा होता है. इसके जरिए कंपनियां ग्राहकों को इंश्योरेंस खरीदने के लिए लुभाने का काम भी करती हैं.

नो-क्लेम बोनस हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का सही इस्तेमाल करने के लिए भी लोगों को बढ़ावा देता है. साथ ही लोग बीमा कवर की राशि को बढ़ाने के लिए अपनी सेहत का भी अधिक खयाल रखना शुरू कर देते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि बीमा में नो क्लेम बोनस कितने तरह के होतें हैं और इनकी क्या खासियत हैं. नो क्लेम बोनस 2 तरह के होते हैं जिनका फायदा पॉलिसीहोल्डर उठा सकते हैं.

क्युमलेटिव बेनिफिट
अगर बीमाधारक एक साल तक अपने हेल्थ इंश्योरेंस पर कोई क्लेम नहीं करता है तो उसकी बीमा कवरेज राशि में बढ़ोतरी कर दी जाती है. ऐसा तब होगा जब वह अपना इंश्योरेंस रिन्यू करने जाएगा. उसकी कवर राशि में एक निश्चित रूप से तय राशि बढ़ा दी जाती है. यह पॉलिसी कवरेज की राशि पर निर्भर करता है कि नो क्लेम बोनस के तहत कवर कितना बढ़ाया जाएगा. यह 5-50 फीसदी के बीच कुछ भी हो सकता है. उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि आपकी कवर राशि 10 लाख रुपये की है और आपने पूरे साल इसका इस्तेमाल नहीं किया. बीमा कंपनी ने इस पर आपको 10 फीसदी का एनसीबी दिया. यानी अब आपके पास 10 लाख के अलावा और 10 फीसदी यानी 1 लाख रुपये का कवरेज है. इसका मतलब है कि इस साल अगर आप इंश्योरेंस क्लेम करते हैं तो आप इसे 11 लाख रुपये के लिए कर सकते हैं.

प्रीमियम में कटौती
कंपनियां कई बार एनसीबी आपको प्रीमियम में डिस्काउंट के तौर भी देती हैं. आपको इसमें 5-10 फीसदी तक की छूट मिल जाती है. मान लीजिए कि आप अपने बीमा के प्रीमियम के रूप में 20,000 रुपये का भुगतान करते हैं. आपने एक साल में इंश्योरेंस पर कोई क्लेम नहीं किया. इसलिए कंपनी अगले रिन्यूअल पर प्रीमियम में 10 फीसदी की छूट दे देती है. यानी इस बार आपको प्रीमियम के लिए 2000 रुपये कम देने होंगे. आपका प्रीमियम इस बार 18000 रुपये का होगा.