नई दिल्ली -: एक नई के अनुसार रेड वाइन (Red Wine), कोरोना वायरस के कारण होने वाली बीमारी कोविड-19 को रोकने में मदद कर सकती है. डेली मेल ने अध्ययन के हवाले से बताया है कि जो लोग हफ्ते में पांच गिलास से ज्यादा शराब पीते हैं, उनमें कोरोना वायरस की चपेट में आने का खतरा 17 फीसद तक कम होता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह वाइन में मौजूद पॉलीफेनोल के कारण होता है, जो फ्लू और श्वसन पथ से संबंधित संक्रमण जैसे वायरस के प्रभाव को रोक सकता है.
कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से पिछले लगभग ढाई साल से दुनिया डर के साए में जी रही है. यह वायरस अब तक लाखों लोगों की जान ले चुका है और करोड़ों लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं. अकेले भारत में ही इस वैश्विक महामारी (Pandemic) के चलते अब तक 5 लाख 27 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. भारत में करीब 4 करोड़, 43 लाख, 49 हजार लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं.
कोरोना के संक्रमण पर रोक लगाने में सफलता मिली है
आज भी देश में करीब 1 लाख लोग इसकी चपेट में हैं और उनका इलाज चल रहा है. वैक्सीन (Corona Vaccine) के कारण कुछ हद तक कोरोना के संक्रमण पर रोक लगाने में सफलता मिली है, लेकिन अब तक ऐसा उपचार नहीं मिला है, जो कोरोना संक्रमितों को तेजी से ठीक कर सके या उन्हें इसकी चपेट में आने से पूरी तरह से रोक सके. एक ताजा रिसर्च से कुछ उम्मीदें जगी हैं.
वाइट वाइन पीने वाले जो सप्ताह में एक से चार गिलास के बीच सेवन करते हैं, उनमें शराब न पीने वालों की तुलना में वायरस से संक्रमित होने का जोखिम आठ प्रतिशत कम था. बीयर और साइडर पीने वालों में कोविड होने की आशंका लगभग 28 प्रतिशत अधिक थी, भले ही उन्होंने कितना भी सेवन किया हो.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटिश डेटाबेस यूके बायोबैंक के आंकड़ों का चीन के शेनझेन कांगनिंग अस्पताल में विश्लेषण किया गया है.
ऐसा नहीं है कि रिसर्च सिर्फ शराब या वाइन पर ही की गई हो. ऑलिव ऑयल और ग्रीन टी पर भी रिसर्च की गई है और पाया गया कि उनका सेवन करने वालों के कोरोना संक्रमित होने की आशंका कम है. इनका सेवन कोरोना के खिलाफ लड़ने के लिए किसी दवा की तरह काम करता है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इनमें कई प्राकृतिक पदार्थ पाए जाते हैं जो कोरोना वायरस को बढ़ने से रोकने में मददगार होते हैं. जरनल कम्यूनिेशन बायोलॉजी में छपी रिपोर्ट के अनुसार रेड वाइन, ऑलिव ऑयल और ग्रीन टी तीनों ही मौजूदा दवाओं में सक्रिय रूप से इस्तेमाल किए जाते हैं. हालांकि, अभी इनका इस्तेमाल करके कोरोना की दवा बनाने को लेकर अभी कुछ नहीं का जा सकता है.