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आंकड़ों से कैसे अलग है 2023 का जातिगत सर्वे?  (जातिगत)

पटना. बिहार में जाति आधारित गणना की सर्वे रिपोर्ट जारी कर दी गई है. महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर जातीय सर्वे  (जातिगत) के आंकड़े को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है. राजद और जदयू जैसे सत्तादारी दल जहां इसका क्रेडिट लेने की होड़ में लग गए हैं, वहीं भाजपा और अन्य विरोधी दल इसके आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहे हैं. वर्तमान में जारी आंकड़े के अनुसार, बिहार में 36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा, 27 फीसदी पिछड़ा वर्ग, 19 फीसदी से थोड़ी ज्यादा अनुसूचित जाति और 1.68 फीसदी अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या बताई गई है.

बिहार सरकार ने राज्य में जातिगत जनसंख्या 13 करोड़ से ज्यादा (13, 07, 25,310) बताई है. अधिकारियों के मुताबिक जाति आधारित गणना में कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 है. इनमें कुल 82 प्रतिशत हिंदू जनसंख्या है. इन आंकड़ों के अनुसार, पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी की आबादी 3,54,63936 है जो कुल का 27.1286% है. अत्यंत पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी की जनसंख्या 4,70,80,514 है जो 36.0148% है. वहीं, अनुसूचित जाति की संख्या 2,56,89,820 यानी 19.6518% है. वहीं, अनुसूचित जनजाति की संख्या 21,99,361 यानी 1.6824% है. (बिहार से झारखंड अलग होने के बाद एसटी की संख्या काफी घट गई) वहीं, अनारक्षित की कुल आबादी 2,02,91,679 यानी 15.5224% है. कुल आबादी में वर्तमान में मुस्लिम आबादी 17.7 प्रतिशत है.

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जातिगत आंकड़े
वहीं, 2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार की जनसंख्या 10.38 करोड़ थी. इसमें 82.69% आबादी हिंदू और 16.87% आबादी मुस्लिम समुदाय की थी. हिंदू आबादी में 17% सवर्ण, 51% ओबीसी, 15.7% अनुसूचित जाति और करीब 1 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति है. यह कहा जाता है कि बिहार में 14.4% यादव समुदाय, कुशवाहा यानी कोइरी 6.4%, कुर्मी 4% हैं. सवर्णों में भूमिहार 4.7%, ब्राह्मण 5.7%, राजपूत 5.2% और कायस्थ 1.5% हैं.

1931 का जातिगत गणना जब बिहार ओडिशा एक था
वहीं, 1931 के जातिगत गणना से इसकी तुलना करें तो उस समय अलग-अलग राज्य के स्थान पर अलग-अलग रियासतें थीं. रियासतों के आधार पर आंकड़े जारी किए गए थे. तब बिहार, झारखंड और उडिशा एक रियासत थे. कई जातियों की जनगणना के डेटा के अनुसार, सबसे ज्यादा ग्वाला(अहीर) का आंकड़ा था, जिनकी आबादी 34.55 लाख से ज्यादा थी.
इसके बाद 21 लाख से ज्यादा ब्राह्मण थे और करीब 9 लाख भूमिहार ब्राह्मण थे. साथ ही 14.52 लाख कुर्मी, 14.12 लाख राजपूत, 12.96 लाख हरिजन जाति के लोग थे. वहीं, 12.90 लाख दोसाध, 12.10 लाख तेली, 10.10 लाख खंडैत और 9.83 लाख जोलाहा जाति के बताए जाते हैं. 4 लाख से ज्यादा धोबी और 2 लाख से ज्यादा बनिया थे. केवल बिहार की बात करें तो अविभाजित बिहार की कुल आबादी 3 करोड़ 85 लाख थी. उसमें सवर्णों की संख्या 47 लाख 92 हजार 764 थी. हिन्दुओं में यादवों की संख्या 1931 में भी सबसे अधिक थी.