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(indian army)
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भारतीय सेना(indian army) का हाईटेक प्लान

नई दिल्ली. तकनीक के दौर में युद्ध लड़ने के सभी पारंपरिक साधन अब बौने साबित होने लगे हैं. हर दिन कोई न कोई नई तकनीक आ रही है. उसी की तर्ज पर अब भारतीय सेना (indian army) ने भी तकनीकि तौर पर खुद को अपग्रेड करना शुरू कर रही है और वो भी फास्ट ट्रैक मोड पर. सेना ने 48 जेट पैक सूट और 100 रोबोटिक म्यूल के लिए टेक्निकल और कमर्शियल प्रपोजल जारी किया है. ये सभी खरीद सेना इमर्जेंसी खरीद के तहत फास्ट ट्रैक प्रक्रिया से स्वदेशी कंपनियों से करने जा रही है. अगर हम जेट पैक सूट की बात करें तो अभी तक इनको आपने साइंस फ्रिकशन मूवी, हॉलीवुड फिल्मों में देखा होगा. कई पश्चिमी देश की सेना इस तरह के जेट पैक सूट पर शोध कर रही है जिसमें अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम भी शामिल है.

यूके मरीन ने तो चलते स्पीड बोट से क्वीन एलिजाबेथ एयरक्रफ्ट कैरियर के चारों ओर चक्कर लगाने का वीडियो भी जारी किया गया था. वीडियो में देखा गया कि इंसान अपने हाथों और पीठ पर जेट पैक लगाकर एक जगह से दूसरी जगह तक उड़ते नजर आए हैं. समुद्र पर एक जहाज से दूसरे जहाज तक जाते नजर आए है, लेकिन भविष्य में भारतीय सेना के सैनिक भी उसी अंदाजा में उड़ते नजर आ सकते हैं.

भारतीय सेना ने जो इस जेट पैक सूट के लिए अपनी जरूरत बताई है उसके मुताबिक ये सूट एक टर्बाइन युक्त अकेले सैनिक को मोबेलाइज करने वाला सूट होगा, जिससे सैनिक आसानी से टेकऑफ और लैंड करने के अलावा आसानी से अपनी उड़ान की उचाई को कम ज़्यादा कर सकेंगे. हर दिशा में वो मूव कर सकेंगे और ये जेटसूट सैनिक को आसानी से उठाकर दूसरी जगह तक पहुंचा सकेगा. इस जेट पैक का वजन 40 किलो से ज़्यादा नहीं होना चाहिए.

जेट का प्रोपल्शन सिस्टम आधुनिक टर्बाइन या इलेक्ट्रिक या फिर हाईब्रिड तकनीक पर होना जरूरी है. इसकी अधिकतम रफ़्तार 50 किलोमीटर प्रति घंटा से कम न हो. इसकी पेलोड कैपेसिटी 80 किलो से कम नहीं होनी चाहिए यानी की 80 किलो का इंसान आसानी से इस 40 किलो वजनी सूट के साथ आसानी से उड़ान भर सके और उड़ान 8 मिनट से कम नहीं होनी चाहिए. ये जेट पैक सूट कम से कम 10 से 15 और ज़्यादा से ज़्यादा 40 से 45 डिग्री के तापमान में आसानी से ऑप्रेट कर सके.

इस सूट की शेल्फ लाईफ दस साल से कम नहीं होनी चाहिए. सेना को जो जेट पैक सूट चाहिए वो समतल , रेगिस्तान, पहाड़ और हाई ऑलटेट्यूड एरिया में 3000 मीटर की ऊंचाई तक आसानी से ऑपरेट किया जा सकने वाला होना चाहिए. इस सूट के जरिए हाई ऑलटेट्यूड एरिया में या एसे दुर्गम स्थान जहां तक पैदल पहुंच पाना मुश्किल होता है वहां आसानी से पहुंच हो सकेगी. कोई कैजुअल्टि आगर होती है और सेना के एक्पर्ट मेडिकल अफ़सर को वहां भेजना हो तो वो इसके ज़रिए आसानी से पहुंच सकेंगे. हालांकि आसमान में उड़ता सैनिक दुश्मन के निशाने पर आसानी से आ सकता है. लिहाजा इसके इस्तेमाल सेको लेकर प्लानिंग तैयारी की जा चुकी है.

भारतीय सेना को चाहिए सामान ढोने वाले रोबोटिक खच्चर

भारतीय सेना जिस कठिन परिस्थितियों में सरहदों पर डटी है वहां पर तैनाती को बनाए रखने के लिए रसद , इंधन और एम्यूनेशन की सप्लाई को बदस्तूर जारी रखने के लिए जहां तक सड़के हैं वहा तक तो गाड़ियों के सहारे सामान ले ज़ाया जाता है. लेकिन जहां सड़के नहीं है वहां आज भी रसद को पहुंचने के लिए खच्चरों का इसेतमाल किया जाता है. अब भविष्य में ये काम खच्चर नहीं बल्कि रोबोट करेंगे. इसी के मद्देनजर सेना ने किक्वो फ़ॉर टेक्निकल एंड कमर्शियल प्रपोज़ल जारी किया है. हाल ही में सेना ने सामान ढोने वाले ड्रोन की खरीद की प्रक्रिया को शुरू किया है. सेना ने फिलहाल 100 रोबोटिक खच्चर खरीदने की तैयारी की है.