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कोरोना से अधिक कोरोना का डर लोगों को मार रहा

कोरोना काल के काले इतिहास में आज की तारीक में जिस तरफ भी देखो वही भय ही भय व्याप्त है। माहौल इस कदर खौफनाक हो चला है कि चारों दिशाओं से डर भय का ही प्रचार प्रसार हो रहा है। सभी के आतंकित चेहरे भय की चादर ओढ़े हुए डर से कांपते नजर आ रहे हैं। ऐसे डर भरे माहौल में जहां सांस लेना मुश्किल हो गया है। वही डरे सहमे हुए लोगों के चेहरो से मुस्कुराहटें पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी हैं। तथा भय भरी फटी फटी आंखों से लोग अपने आने वाले कल को निहार रहे हैं। आज से पहले ऐसे भयावह दृश्य शायद ही पहले कभी किसी ने देखे हो। विकास की गति का चक्का एक ही झटके में रुक गया है। ऐसा लगता है मानो समय अपनी धुरी से शून्य पर टिक गया हो। लोगों का सुखचौन नींद व भूख प्यास सब कुछ कोरोना दैत्य निगल गया है। तथा कोरोना दैत्य ने बूढ़े बच्चे युवा स्त्री पुरुष किसी को भी नहीं छोड़ा है। किसी की बिटिया की शादी रुक गई तो किसी की बहू की आस अधूरी रह गई किसी का घर लेने का सपना छूटा तो किसी का आईएएस बनने का सपना टूटा। सभी को निरंतर एक ही चिंता खाए जा रही है कि अब आगे क्या होगा। तथा वैश्विक कोरोना महामारी के चलते जहां सारे स्कूल कॉलेज बंद हो गए हैं। ऐसी दशा में देश के भविष्य कहे जाने वाले विद्यार्थी वर्ग पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। जिससे विद्यार्थियों का मनोबल टूटने लगा है तथा उनके भविष्य पर निराशा के बादल मंडरा रहे हैं। जिसके चलते विद्यार्थी वर्ग काफी तनावपूर्ण स्थिति से गुजर रहा है। ऐसे डर व भय के माहौल में विद्यार्थियों का पढ़ाई से मन उचट रहा है। जो एक चिंता का विषय बना हुआ है। इसके साथ ही लोगों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से चरमरा गई है। लोगों की नौकरी व व्यापार करोना की बलि चढ़ गया है। लोगों के आगे जीवन निर्वाह का घोर संकट खड़ा हो गया है। तथा दिन रात लोग परिवार के पालन पोषण की चिता समान चिंता में जल रहे हैं। मानव जीवन अर्थ पर निर्भर है तथा जब लोगों के पास आय के साधन नहीं रह जाएंगे तो वह क्या करेंगे ऐसी दशा में लोग गंभीर मानसिक पीड़ा से गुजर रहे हैं। जिससे उनके अंदर अवसाद बढ़ता ही जा रहा है। जिसका परिणाम यह हो रहा है कि देश में गृह क्लेश हत्या आत्महत्या तथा अपराधों की बाढ़ सी आ गई है। आज देश में अपरहण लूट चोरी हत्या के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। तथा ग्रह कलेश के चलते कई जगह हत्याओं जैसे मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही कई जगह कोरोना पॉजिटिव आने पर लोगों ने आत्महत्या कर ली और आत्महत्या करने वालों में पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी वर्ग भी शामिल है। इन घटनाओं को देखते हुए यह साफ स्पष्ट होता है कि देश में किस कदर भय का माहौल व्याप्त है। जिस दिन से देश में कोरो ना वायरस की शुरुआत हुई है उसी दिन से भय का प्रचार प्रारंभ हो गया तथा हर गली चौराहे मोहल्लों से सिर्फ भय का ही प्रचार प्रसार होता रहा है। कहीं एक कोरोना संक्रमित मरीज मिलता था तो ऐसे माहौल बन जाता था जैसे कि कोई संक्रमित मरीज ना होकर आतंकवादी पकड़ा गया हो। देश-दुनिया टीवी मीडिया सोशल मीडिया डब्ल्यूएचओ अस्पताल सब कहीं सिर्फ डर ही डर बाटा गया है। इसका परिणाम यह हुआ की लोग अवसाद की स्थिति में चले गए। आज देश में एक जागरूकता अभियान की अत्यंत आवश्यकता है। और लोगों को इस डर से बाहर निकालना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। जिससे सभी देशवासी तनाव रहित व भय रहित जीवन जी सकें।