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पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान

अवैध विदेशी धन हासिल करने के मामले में चुनाव आयोग ने जारी किया नोटिस !

पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग (ईसीपी) से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तगड़ा झटका मिला है। दरअसल 34 विदेशी नागरिकों और कंपनियों से प्रतिबंधित धन को प्राप्त करने के मामले में ईसीपी ने मंगलवार को उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। आयोग की तीन सदस्यीय पीठ ने पीटीआई के संस्थापक सदस्य अकबर एस. बाबर द्वारा दायर एक उस मामले में सर्वसम्मत फैसले की घोषणा की, नवंबर 2014 से लंबित था। पीठ में मुख्य चुनाव आयुक्त सिकंदर सुल्तान राजा, निसार अहमद दुर्रानी और शाह मुहम्मद पटेल शामिल थे।इसने कहा कि पीटीआई को 34 विदेशी नागरिकों और कारोबारी दिग्गज आरिफ नकवी से धन प्राप्त हुआ था।

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान
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पीटीआई भारतीय महिला से भी चंदा मिला

पाकिस्तान के एक प्रमुख समाचार पत्र की रिपोर्ट के मुताबिक, निर्वाचन आयोग ने यह भी कहा कि पीटीआई को भारतीय मूल की एक अमेरिकी व्यवसायी महिला रोमिता शेट्टी से भी चंदा मिला, जो नियमों के खिलाफ था।

ईसीपी का ये फैसला एक भारतीय अखबार में हाल में प्रकाशित हुई एक खबर के बाद आया है जिसका शीर्षक ‘क्रिकेट मैच का अजीब मामला जिसने खान के राजनीतिक उत्थान में मदद की’ था। रिपोर्ट के मुताबिक, लिखित फैसले में ईसीपी ने जिक्र किया कि पीटीआई ने ‘जानबूझकर’ वूटन क्रिकेट लिमिटेड से 21,21,500 डॉलर धन प्राप्त किए।

इसमें कहा गया कि पीटीआई पाकिस्तान को पीटीआई यूएसए एलएलसी-6160 और पीटीआई यूएसए एलएलसी-5975 के धन जुटाने के अभियानों के माध्यम से 34 विदेशी नागरिकों और विदेश-आधारित 351 कंपनियों से चंदा प्राप्त हुआ।

ईसीपी के मुताबिक, इमरान की पार्टी को पीटीआई कनाडा कॉर्पोरेशन और पीटीआई यूके पब्लिक लिमिटेड के माध्यम से भी चंदा मिला। इसने घोषणा की कि पार्टी ने 13 खातों को गुप्त रखा, जो कि पाकिस्तान के संविधान का एक और उल्लंघन है।इस मामले में याचिकाकर्ता बाबर ने कहा कि यह पीटीआई के ‘फासीवाद’ को खत्म करने की दिशा में एक कदम है।

ईसीपी के फैसले पर पीटीआई के मुखिया इमरान खान की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि पार्टी के नेता फवाद चौधरी ने कहा कि पार्टी के लिए ज्यादातर पैसा विदेशी पाकिस्तानियों से आया है और ईसीपी के फैसले से साबित होता है कि यह ‘विदेशी फंडिंग’ का मामला नहीं था।