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देश(country )भर में कॉमन सिविल कोड लागू करने की कोशिशें तेज

नई दिल्ली. देश (country ) के विधि आयोग ने बुधवार को एक बड़े घटनाक्रम में समान नागरिक संहिता के बारे में आम लोगों और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित विभिन्न हितधारकों के विचार आमंत्रित किए है. विधि आयोग ने 14 जून को जारी एक सार्वजनिक नोटिस में एक महीने के भीतर राय मांगी है, जो वें ईमेल या एक लिंक के जरिये ऑनलाइन भेज सकते हैं.

इस नोटिस का खासा अहम माना जा रहा है, क्योंकि सूत्रों का कहना है कि कॉमन सिविल कोड 2024 के आम चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी सरकार का एक प्रमुख एजेंडा है और दूसरे कार्यकाल में उठाए गए दो प्रमुख कदमों – जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 की धाराओं को हटाना और अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण- के साथ यह तीसरे बड़े कदम के रूप में शामिल हो सकता है.

समान नागरिक संहिता में लोगों के निजी मामलों जैसे विवाह, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार जैसे मुद्दों के लिए एक समान कानून को संदर्भित करता है. वर्तमान में, अलग-अलग धर्मों के अनुयायियों के लिए इन मामलों में कई अलग तरह के कानून लागू होते हैं. इन्हीं व्यक्तिगत कानूनों को खत्म करने के मकसद से यूसीसी की परिकल्पना की गई है.

बता दें कि कई बीजेपी शासित राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने की संभावना का अध्ययन करने के लिए पहले ही अपने स्वयं के आयोगों का गठन किया जा चुका है. भारतीय जनता पार्टी भी हाल के विधानसभा चुनावों के दौरान यूसीसी को लागू करने का वादा करती रही है.

पहले भी दो बार मांगी जा चुकी है कॉमन सिविल कोड पर राय
इस बीच विधि आयोग के ताज़ा नोटिस में कहा गया है, ‘कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा भेजे गए 17 जून, 2016 के संदर्भ के संबंध में, भारत का 22वां विधि आयोग समान नागरिक संहिता के विषय की जांच कर रहा है.’

दरअसल इससे पहले 21वें विधि आयोग ने कॉमन सिविल कोड से जुड़े मुद्दों की पड़ताल की थी और राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मुद्दे को लेकर दो मौकों पर सभी हितधारकों के विचार मांगे थे. उसका कार्यकाल अगस्त 2018 में समाप्त हो गया था. इसके बाद, ‘परिवार कानून में सुधारों’ पर 2018 में एक परामर्श पत्र जारी किया गया.

आयोग ने एक बयान में कहा, ‘उक्त परामर्श पत्र को जारी करने की तिथि से तीन वर्षों से अधिक समय बीत जाने के बाद, विषय की प्रासंगिकता एवं महत्व और इसपर विभिन्न अदालती आदेशों को ध्यान में रखते हुए 22वें विधि आयोग ने मुद्दे पर नये सिरे से चर्चा करने का फैसला किया है.’
गौरतलब है कि 22वें विधि आयोग को हाल में तीन साल का कार्य विस्तार दिया गया है. इसने कानून एवं न्याय मंत्रालय द्वारा एक पत्र भेजे जाने के बाद समान नागरिक संहिता से जुड़े विषयों की पड़ताल शुरू कर दी है. बयान में कहा गया, ‘इसी के मुताबिक, 22वें विधि आयोग ने एक बार फिर समान नागरिक संहिता पर व्यापक स्तर पर लोगों और मान्यताप्राप्त धार्मिक संगठनों के विचार मांगने का फैसला किया है.’ इसमें रुचि रखने वाले इच्छुक लोग व संगठन नोटिस जारी होने की तारीख की 30 दिन की अवधि के अंदर विधि आयोग को अपने विचार दे सकते हैं.