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आतंकी फंडिंग पर वार के साथ होगा हिजाब और दंगों का हिसाब – डोभाल

पीएफआई के मामले में जांच एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि इस संगठन की गतिविधियों पर लंबे समय से नजर रखी जा रही थी। खाड़ी देशों से आर्थिक मदद मिलने के सबूत भी मिले हैं। परिवार का रखरखाव, इस मदद के नाम पर विदेश से धन आने की बात कही जा रही है… पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पीएफआई के करीब एक दर्जन राज्यों में स्थित कार्यालयों पर एनआईए व सहयोगी एजेंसियों ने टेरर लिंक के चलते छापेमारी की है। गुरुवार को सौ से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना, हिजाब विवाद, युवाओं को गुमराह कर उन्हें तोड़फोड़ की गतिविधियों में लगाना, आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे युवाओं को पर्दे के पीछे से कानूनी मदद देना, सांप्रदायिक दंगे और सामाजिक कार्यों के नाम पर कई तरह की संदिग्ध गतिविधियां शुरु करना, आदि पीएफआई के कार्यों में शामिल रहा है। एनआईए ने एक साथ इतने बड़े स्तर पर पीएफआई ठिकानों पर इससे पहले छापेमारी नहीं की थी। खास बात है कि इस रेड पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल स्वयं नजर रख रहे हैं।

उन्होंने ही सबसे पहले एनआईए डीजी व दूसरी केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों से कहा था कि आतंकी गतिविधियों में संलिप्त संगठनों की कमर तोड़नी है, तो उनकी फंडिंग पर वार करो। इसके बाद ही केंद्रीय एजेंसियों ने कश्मीर, नक्सल प्रभावित क्षेत्र और उत्तर पूर्व के संगठनों पर वार शुरू किया था।

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छापेमारी के बीच डोभाल ने की अमित शाह से मुलाकात

गुरुवार को जब देशभर में पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी चल रही थी तो एनएसए अजीत डोभाल, एनआईए चीफ व आईबी के अधिकारियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है। पीएफआई के मामले में जांच एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि इस संगठन की गतिविधियों पर लंबे समय से नजर रखी जा रही थी। खाड़ी देशों से आर्थिक मदद मिलने के सबूत भी मिले हैं। परिवार का रखरखाव, इस मदद के नाम पर विदेश से धन आने की बात कही जा रही है।

इस धन का इस्तेमाल कहां हो रहा है, इस मामले में ठोस साक्ष्य मिलने के बाद ही एनआईए ने जांच का दायरा बढ़ा दिया था। एजेंसियां यह पता लगा रही हैं कि इस संगठन के कितने पदाधिकारी पाकिस्तान या दूसरे मुल्कों में गए हैं। देशभर में खेल, सामाजिक कार्य एवं दूसरे मामलों में ट्रेनिंग की गतिविधियों के नाम पर चल रहे कैंपों को पैसा कहां से मिल रहा है।

एसडीपीआई वर्कर ने लगाए ह्यएनआईए गो बैक के नारे

गुरुवार सुबह जब एनआईए के छापों की खबर आई, तो पीएफआई व एसडीपीआई के पदाधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन करने का प्रयास किया। हालांकि इस बीच एनआईए ने पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमएस सलाम और दिल्ली इकाई का कामकाज देख रहे परवेज अहमद सहित सौ से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर लिया। आंध प्रदेश के करनूल जिले में एसडीपीआई कार्यकर्ताओं ने ह्यएनआईए गो बैकह्ण के नारे लगा दिए।

 

सूत्रों का कहना है कि एनएसए अजीत डोभाल द्वारा चेताने के बाद केंद्रीय एजेंसियों ने पीएफआई को टारगेट पर लिया था। जांच एजेंसी ने जब आतंकी मामलों की जांच के दौरान केरल में पीएफआई के ठिकाने पर दबिश दी, तो आगे की कड़ियां जुड़ती चली गईं। अगली कड़ी में तेलंगाना का नंबर आया। जांच एजेंसी को यहां पर ट्रेनिंग कैंप और विदेशी फंडिंग को लेकर कई अहम सबूत हाथ लगे।

फैमिली मेंटेनेंस के नाम पर विदेश से मदद

इसके बाद आधं प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र का नंबर आया। यहां पर जांच एजेंसी को पीएफआई की ऐेसी बातों का पता चला, जिनका इशारा संदिग्ध तोड़फोड़ की गतिविधियों की तरफ था। फैमिली मेंटेनेंस के नाम पर विदेशों से आ रही आर्थिक मदद का खुलासा हो गया। इस मदद को लेने का तरीका भी अलग था। सीधे तौर पर पीएफआई के खातों में राशि ट्रांसफर नहीं होती थी। इसके लिए मुखौटा संगठनों का सहारा लिया गया। कोई एक संगठन, सामाजिक कार्यों के नाम पर धन जुटा रहा था, तो दूसरा, शारीरिक गतिविधियों के लिए चल रहे ट्रेनिंग कैंप की खातिर फंडिंग लेता रहा। लोगों को जागरूक करने के नाम पर भी आर्थिक मदद जुटाई गई। इसके लिए खाड़ी देशों से संपर्क साधा गया। एनआईए को उदयपुर व अमरावती हत्याकांड केस की जांच में भी ऐसे सबूत मिले हैं।

ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच शुरू 

फरवरी 2021 में ईडी ने पीएफआई और उसके छात्र विंग, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया ह्यसीएफआईह्ण के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोप पत्र दायर किया था। इसके सदस्यों पर सांप्रदायिक दंगे भड़काने और आतंक फैलाने का आरोप लगा था। चार्जशीट में सीएफआई के राष्ट्रीय महासचिव केए राऊफ शेरिफ का नाम भी शामिल है। एक अन्य चार्जशीट में ईडी ने दावा किया था कि यूएई में एक होटल ने पीएफआई के लिए मनी लॉन्ड्रिंग फ्रंट के रूप में काम किया है। वहां से धन जुटाया गया। बाद में पाकिस्तान के संगठनों के साथ गठजोड़ भी सामने आया था।

युवाओं को बरगलाकर उन्हें सिखा रहे कट्टरता

एजेंसी के सूत्रों ने कहा, पीएफआई के ठिकाने पर हुई छापेमारी में कई तरह के दस्तावेज एवं इलेक्ट्रॉनिक आइटम बरामद हुए हैं। इनकी जांच की जा रही है। उत्तर प्रदेश के देवबंद में स्थित इस्लामिक सेंटर भी जांच के दायरे में आ चुका है। जांच एजेंसी यह पता लगा रही है कि पीएफआई द्वारा किन राज्यों में दूसरे नामों से ऐसे संगठन किए गए हैं, जो युवाओं को बरगला कर उन्हें कट्टरता की राह पर ले जा रहे हैं। यह तथ्य भी सामने आया है कि पीएफआई द्वारा उन लोगों को कथित तौर पर कानूनी सहायता प्रदान की जाती है जो केंद्रीय एजेंसी, राज्यों की पुलिस के शिकंजे में फंसते हैं। ये अलग बात है कि पीएफआई, इसे सामाजिक कार्यों का नाम देता है।

सोशलिस्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ इंडिया, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया व नेशनल वुमन फ्रंट जैसे संगठन इसी कड़ी का हिस्सा हैं। ईडी ने पहले ही इन संगठनों पर कार्रवाई करते हुए रीहैब इंडिया फाउंडेशन सहित दूसरे सहयोगी संगठनों के तीन दर्जन से अधिक बैंक खाते सीज कर दिए थे। इन खातों में सौ करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा बताई गई थी। ईडी के अधिकारी के मुताबिक, ट्रांजेक्शन तो इतना ही हुआ था। जब छापेमारी हुई तो पीएफआई व सहयोगी संगठनों के खातों से पैसा निकाल लिया गया। ऑल इंडिया सूफी सज्जादनाशीन काउंसिल के अध्यक्ष हजरत सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने एक समारोह में एनएसए अजीत डोभाल की मौजूदगी में पीएफआई व इसके सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।

राजनीतिक दलों में भी सक्रियता देखी गई

पिछले कुछ समय से पीएफआई को लेकर कुछ राजनीतिक दलों में भी सक्रियता देखी गई थी। इनमें तेलंगाना की एक राजनीतिक पार्टी के अलावा दूसरे प्रदेशों में भी ऐसे दल देखे गए हैं, जो पर्दे के पीछे से पीएफआई को सपोर्ट करते हैं।

बिहार में एनआईए ने जब इस संगठन की गतिविधियों को रडार पर लिया तो कई बड़े खुलासे हुए थे। फुलवारी शरीफ में स्थित पीएफआई कार्यालय में आतंकी ट्रेनिंग कैंप चलने का पता लगा था। भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने जैसी साजिश सामने आई थी।

भाजपा नेता एवं पूर्व मंत्री शाहनवाज हुसैन ने कहा था, ऐसे कट्टरपंथी संगठनों का दायरा बढ़ रहा है। भोले-भाले युवाओं को निशाने पर लिया जा रहा है। एनआईए ने फुलवारी शरीफ के मामले में लगभग तीन दर्जन स्थानों पर छापेमारी की थी।

हिजाब विवाद में पीएफआई का हाथ!

कर्नाटक सरकार ने हाल ही में सर्वोच्च अदालत के समक्ष यह दलील दी थी कि हिजाब विवाद में पीएफआई का हाथ रहा है। राज्य सरकार ने जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच के समक्ष कहा था कि स्कूलों में 2021 तक लड़कियां, हिजाब नहीं पहनती थीं। इसके बाद पीएफआई जैसे संगठनों ने हिजाब को लेकर सोशल मीडिया में कैंपेन चला दिया। यह सब एक साजिश की तरह था। कर्नाटक सरकार ने तो अदालत के समक्ष यह भी कह दिया कि हिजाब को लेकर याचिका लगाने वाली स्टूडेंट पीएफआई से प्रेरित है। केरल के पलक्कड़ में आरएसएस के नेता एसके श्रीनिवासन की हत्या की गई थी। इस मामले में पीएफआई के पदाधिकारी को गिरफ्तार किया गया।