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(fungus)
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एक ही शख्स पर ब्लैक और व्हाइट फंगस (fungus)का डबल अटैक

नई दिल्ली. देश में जहां एक ओर कोरोना वायरस के मामलों में फिर से आए उछाल से लोग चिंता में हैं तो वहीं अब ब्लैक फंगस (fungus) का भी एक केस सामने आया है. दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में म्यूकरमाइकोसिस यानी कि ब्लैक फंगस का एक केस सामने आया है. न्यूज18 को मिली जानकारी के मुताबिक गाजियाबाद के हर्ष हॉस्पिटल में एक ही मरीज में ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस का पहला मामला सामने आया है. फिलहाल जिस मरीज में यह पाया गया है उसकी उम्र कितनी है और उसकी कोविड हिस्ट्री क्या रही है इसे लेकर फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिली है.

प्राप्त जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्यकर्मी म्यूकरमाइकोसिस से पीड़ित व्यक्ति की अच्छी तरह से देख-रेख कर रहे हैं और डॉक्टर्स भी उनकी हालत पर करीब से नजर बनाए हुए हैं. बता दें अप्रैल 2021 में आई कोरोना की दूसरी लहर के बाद से ब्लैक फंगस के हजारों मामले सामने आए थे इसके बाद सरकार ने इसे महामारी घोषित किया था. इसके साथ ही साथ व्हाइट और येलो फंगस के मामले भी सामने आए थे.

क्या होता है ब्लैक फंगस
जानकारों की मानें तो आमतौर पर यह कोरोना के मरीजों के ज्यादा स्टेरॉयड इस्तेमाल करने से होता है. कुछ का ये भी मानना है कि अस्पताल में ऑक्सीजन ले रहे मरीजों के उपकरण में स्टेराइल वॉटर का इस्तेमाल न होना या फिर उनका डिसइंफेक्ट न होना भी इस फंगल बीमारी का कारण बन सकता है.

क्या है स्टेराइल पानी?
ये जीवाणुमुक्त पानी होता है यानी किसी भी तरह से बैक्टीरिया या फिर दूसरे कीटाणुओं से रहित. ये पानी चिकित्सा अनुसंधान में अहम भूमिका निभाता है. अगर लैब में किसी प्रयोग के दौरान पानी स्टेराइल न हो तो इससे न केवल प्रयोग के रिजल्ट पर असर होता है, बल्कि शोध कर रहे लोगों की सेहत पर भी असर हो सकता है.

स्टेरॉयड कैसे बनता है मुसीबत?
ब्लैक फंगस फैलने की एक वजह स्टेरॉयड का गैरजरूरी या जरूरत से ज्यादा सेवन भी कहा जा रहा है. कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉइड का सेवन सिर्फ डॉक्टरों की सलाह पर ही होना चाहिए. बीमारी की शुरुआती अवस्था में स्टेरॉइड लेने पर इसका उल्टा असर होता है और कोरोना का प्रकोप तो कम नहीं होता, बल्कि स्टेरॉइड के कारण मरीज की इम्युनिटी कम जरूर हो जाती है. यही वो समय है, जब ब्लैक फंगस का संक्रमण होता है.