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कोरोना ने प्रेग्नेंट ( pregnant )महिलाओं को खतरे में डाला

प्रेग्नेंट महिला: तीन साल बाद भी कोरोना ने लोगों का जीना मुहाल किया हुआ है. हर किसी के जीवन में कोरोना किसी न किसी तरह से घुसा हुआ है. अब एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि जो महिलाएं महामारी के समय कोविड-19 से संक्रमित थी, उनके पेट ( pregnant ) में पल रहे बच्चे को गंभीर खतरा है. महिलाओं के लिए यह बात बहुत ही निराशजनक है क्योंकि अधिकांश महिलाएं कोरोना से उस दौरान संक्रमित हुई थी.

शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि जो महिलाएं कोविड-19 महामारी के दौरान संक्रमित हुई थीं, उनके दिमाग और अन्य अंगों में वैस्कुलर लेजिएन यानी नसों के डैमेज होने और विकास संबंधी दिक्कतें देखी गई. इतना ही नहीं ऐसी महिलाओं के पेट में पल रहे भ्रूण में जटिलताएं सामने आईं.

कोरोना के विभिन्न वैरिएंट ने शरीर के कई अंगों को डैमेज किया लेकिन ओमिक्रॉन से पहले संक्रमित होने वाले लोगों में इसका खामियाजा ज्यादा भुगतना पड़ा. अध्ययन में पाया गया कि जिन महिलाओं को शुरुआती दौर में कोरोना हुआ था और उसके बाद वह प्रेग्नेंट हुई तो उसके गर्भनाल को भी क्षति पहुंची. इससे पेट में पल रहे बच्चे पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है. यह अध्ययन लेंसेट रिजनल हेल्थ यूरोप में प्रकाशित हुआ है.

बाद में संक्रमित हुईं महिलाओं में कम जटिलताएं
मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ वियना के शोधकर्ताओं ने प्रेग्नेंट महिलाओं के एमआरआई से प्लेसेंटा और भ्रूण का परीक्षण किया तो देखा कि जो महिलाएं कोविड से कभी पीड़ित हुई थीं, उनके प्लेसेंटा में विकास संबंधी खामियां थीं. अध्ययन में हालांकि यह भी पाया गया कि जिन्हें ओमिक्रॉन वैरिएंट का सामना करना पड़ा, उन महिलाओं में इस तरह की जटिलताएं कम देखी गई. यानी जो महिलाएं महामारी की शुरुआत में संक्रमित हुई, उनके गर्भ में अधिक जटिलताएं थीं, बाद में जो महिलाएं पीड़ित हुई उनके गर्भ में कम जटिलताएं थीं. शोधकर्ताओं ने कहा कि कोरोना की शुरुआत में संक्रमित होने वाली महिलाएं जो प्रेग्नेंट हो रही हैं, उन्हें शुरुआत से जांच करानी चाहिए ताकि समय रहते इलाज किया जा सके. इससे पहले के अध्ययन में बच्चा के जन्म लेने के बाद जटिलताएं देखी गई थे लेकिन पहली बार इस अध्ययन में पेट में पल रहे बच्चे पर भी इसका असर देखा गया.