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(बीजेपी-कांग्रेस) 
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यात्राओं के सहारे वोटर को साधेंगी बीजेपी-कांग्रेस(बीजेपी-कांग्रेस) 

भोपाल. मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले हर व्यक्ति एक तक पहुंच बनाने के लिए बीजेपी और कांग्रेस (बीजेपी-कांग्रेस)  यात्राओं के सहारे हैं. बीजेपी ने 2 सितंबर से 24 सितंबर तक जन आशीर्वाद यात्रा निकालने की तैयारी की है. 22 दिन में 10000 किलोमीटर का सफर तय कर बीजेपी एक बड़ी आबादी को साधने की कोशिश करेगी. इसी तरह कांग्रेस ने अनुसूचित जाति वोटरों को साधने के लिए अंबेडकर की जन्मस्थली महू से चार अलग-अलग यात्राओं को शुरू करने की योजना बनाई है. सितंबर के पहले हफ्ते में शुरू होने वाली कांग्रेस की इस यात्रा का रोड मैप तैयार हो गया है. कांग्रेस 15 दिन की यात्रा निकालेगी. इस यात्रा के जरिये एससी और एसटी वोटरों को साधने का काम किया जाएगा.
68 विधानसभा सीटों को कवर करने के लिए कांग्रेस अपने चार नेताओं को इन यात्राओं के साथ रवाना करेगी. महू से शुरू होने वाली यात्रा कर अलग-अलग दिशाओं में रवाना की जाएगी. कांग्रेस अनुसूचित जाति वर्ग के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार महू से लेकर रीवा तक यात्रा निकालेंगे. कांग्रेस नेता फूल सिंह बरैया महू से यात्रा शुरू कर ग्वालियर चंबल पहुंचेंगे. कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी महू से यात्रा लेकर प्रदेश के मध्य क्षेत्र रवाना होंगे. कांग्रेस नेता राजेंद्र मालवीय महू से निमाड़-मालवा तक यात्रा लेकर जाएंगे. सभी यात्राओं का समापन ग्वालियर में होगा. यहां पार्टी के बड़े नेता शामिल होंगे.

अनुसूचित जाति मतदाताओं पर बीजेपी और कांग्रेस की नजर
कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि 2018 के विधानसभा के चुनाव में अनुसूचित जातियों, जनजाति वर्ग के मतदाताओं ने कांग्रेस को भरपूर वोट दिए थे. लेकिन, इस बार ज्यादा सीट जीतने के लिए महू से यात्रा शुरू की जाएगी. इस यात्रा के जरिये अनुसूचित जाति के बीच पहुंचकर कांग्रेस बीजेपी की विफलता और कांग्रेस के चुनावी एजेंडा को लेकर जनता के बीच जाएगी. बता दें, प्रदेश में आदिवासियों के बाद अब अनुसूचित जाति मतदाताओं पर बीजेपी और कांग्रेस की नजर है. यही वजह है कि बीजेपी अपनी जन आशीर्वाद यात्रा के जरिये प्रदेश भर में अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में है.

20 सीटों पर इस जाति का खासा दखल
दूसरी ओर, कांग्रेस महू से चार यात्राओं की शुरुआत कर एक बड़ी आबादी तक पहुंचने की कोशिश में है. दरअसल प्रदेश में अनुसूचित जाति मतदाताओं की संख्या 16 फीसदी से ज्यादा है. 230 विधानसभा सीटों में से 35 फीसदी सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं. इसके अलावा 20 सीटें ऐसी हैं जहां अनुसूचित जाति वर्ग का वोटर खास दखल रखता है. यही वजह है कि आदिवासियों के बाद अब अनुसूचित जाति पर कांग्रेस अपना फोकस बढ़ा रही है.