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भवसागर से पार लगाती है भागवत कथा

बिछवा- श्रीमद् भागवत कथा से पूर्व वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा गांव में घूमने के बाद कथा पांडाल में आकर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कलशों की स्थापना कराई गई। कलश यात्रा बैंड बाजा के साथ पूरे गांव में घूमी उसके बाद कथा पंडाल में आकर वैदिक मंत्रों उच्चारण के साथ स्थापना कराई गई।

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कथा में पहले दिन आचार्य अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि संसार में जब जब असुरों का अत्याचार बड़ा है प्रभु ने अवतार लेकर उनका संहार किया। भागवत कथा भवसागर से पार लगाती है। इस माया रूपी संसार में मनुष्य को अपने कर्मों के अनुसार ही सब कुछ मिलता है। पूरे क्षेत्र में भगवा ध्वज लहराने का कार्य चल रहा है। कथा में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मनुष्य यदि अपने कर्मों को सही रखे तो उसे कोई भी कष्ट नहीं हो सकता है । मनुष्य को कथा श्रवण करने के बाद उस पर अमल अवश्य करना चाहिए तभी कथा श्रवण की सच्ची सार्थकता सिद्ध होगी।इस अवसर पर कथा परीक्षित दीप चंन्द्र पांण्डेय निर्मला पांण्डेय श्रीश चंन्द्र पांण्डेय कंम्वोदनी पांण्डेय कश्यप ऋषि पांडे कल्लू पांण्डेय लोमस पांडे राम मोहन श्याम मोहन नारायण आदि लोग मौजूद रहे।