विजयवाड़ा. आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की राजनीतिक रैलियो में मची भगदड़ के बाद प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. प्रदेश सरकार ने नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे पर राजनीतिक रैली (political rallies ) और राजनीतिक बैठक आयोजित करने पर पाबंदी लगा दी है. तेलुगूदेशम पार्टी की ओर से कंडुकुर और गुंटूर में हाल में आयोजित रैलियों में भगदड़ मच गई थी. इन घटनाओं में कई लोगों की जान भी चली गई थी, जबकि दर्जनों लोग घायल हुए थे. दोनों घटनाओं को देखते हुए आंध्र सरकार ने राजनीतिक रैलियों को लेकर नया दिशा-निर्देश जारी किया है. जगन मोहन सरकार के इस आदेश पर बवाल मच गया है. विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार ने जानबूझकर यह आदेश जारी किया है, जिससे विपक्षी पार्टियों की ओर से होने वाली रैलियों और पदयात्राओं को दबाया जा सके.
विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी की ओर से कंडुकुर और गुंटूर में राजनीतिक रैलियां आयोजित की गई थीं. नेल्लोर जिले के कंडुकुर जिले में मची भगदड़ में 7 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं, टीडीपी की ओर से गुंटूर में आयोजित रेली में भी भगदड़ मच गई थी. इसमें भी 3 लोगों की मौत हो गई थी, कई अन्य घायल भी हुए थे. लगातार दो राजनीतिक रैलियों में भगदड़ मचने की घटना के बाद प्रदेश सरकार हरकत में आई और नया दिशा-निर्देश जारी किया है. गृह विभाग की ओर से इस बाबत सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी किए गए हैं. इसमें स्पष्ट कहा गया है कि नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे या इनके बगल में किसी भी तरह की राजनीतिक रैलियों या बैठकों की अनुमति न दी जाए. इस आदेश में पंचायत और नगर निगम की सड़कों पर भी राजनीतिक कार्यक्रमों पर पाबंदी लगाने की बात कही गई है. हालांकि, यहां शर्तों के साथ अनुमति दी जा सकती है.
क्या कहता है गृह विभाग का आदेश?
आंध्र प्रदेश के गृह विभाग की ओर से जारी आदेश में राज्य के सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया गया है कि लोगों की सुरक्षा को देखते हुए सड़क या उसके बगल में राजनीतिक रैलियों और सार्वजनिक बैठकों की इजाज न दी जाए. गृह विभाग के आदेश में कहा गया है कि नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे का निर्माण हाई-स्पीड कनेक्टिविटी को ध्यान में रखकर किया गया है. इन सड़कों पर सार्वजनिक बैठकें होने से व्यापार-व्यवसाय से जुड़ी गतिविधियां बाधित होंगी. किसी भी आवेदक को स्टेट या नेशनल हाइवे पर बैठक या फिर रैली करने की अनुमति न दी जाए. ऐसे आवेदकों को वैकल्पिक जगहों की तलाश करने को कहा जाए. पुलिस भी अन्य जगहों के बारे में सलाह दे सकती है.