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आखिर क्या है संसद के विशेष सत्र के पीछे की सियासत?  ( विशेष सत्र)

नई दिल्ली. गुरुवार की दोपहर 3 बजे जब विपक्षी दल एकजुटता का संदेश देने की तैयारी मे लगे थे, तभी संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी का एक ट्वीट खलबली मचा गया. प्रह्लाद जोशी ने लिखा कि ‘संसद का विशेष सत्र (17वीं लोकसभा का 13वां सत्र और राज्यसभा का 261वां सत्र) आगामी 18 से 22 सितंबर के दौरान होगा, जिसमें 5 बैठकें होंगी. अमृत काल के समय में होने वाले इस सत्र में संसद में सार्थक चर्चा और बहस होने को लेकर आशान्वित हूं.’ मोदी सरकार ने जी- 20 सम्मेलन के तुरंत बाद संसद का विशेष सत्र  ( विशेष सत्र) बुलाकर एक बार फिर विपक्षी खेमे मे ही नहीं बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है.

इस सत्र को लेकर बड़े- बड़े कयास लगाए जा रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि एक देश- एक चुनाव, समान नागरिक संहिता मुद्दा बन सकते हैं, तो किसी ने कहा संसद भी भंग हो सकती है. महिला आरक्षण बिल पेश हो सकता है. लेकिन सूत्रों ने इन सभी संभावनाओं से इंकार किया है. जहां तक एक देश एक चुनाव का सवाल है, इसके लिए पीपुल्स रिप्रजेंटेशन एक्ट-1951 में संशोधन करना पड़ेगा. इस संशोधन के लिए जहां संसद में दो-तिहाई बहुमत की जरुरत होगी. वहीं उससे पहले देश के 50 फीसदी राज्यों से भी इस प्रस्ताव को पास कराना पड़ेगा. इसलिए जो मोदी सरकार की कार्यशैली समझते हैं, वो जानते हैं कि आने वाले चुनावों के पहले मोदी सरकार ऐसा जोखिम नहीं उठाएगी.

अब समझने की कोशिश करते हैं कि प्रह्लाद जोशी के ट्वीट में क्या संदेश छिपा है? इसमें अमृतकाल का जिक्र है, 5 बैठकें और इस काल पर सार्थक बहस का जिक्र है. इसलिए चर्चा अमृतकाल पर ही संभव नजर आ रही हैं. सरकारी सूत्रों के मुताबिक संसद के विशेष सत्र के दौरान पुरानी संसद से नई संसद में शिफ्ट होने की प्रक्रिया पूरी की जा सकती है यानी नये संसद भवन में इस विशेष सत्र का प्रथम सत्र आयोजित किया जा सकता है. विशेष सत्र आजादी के 75 साल यानी अमृतकाल मनाने का एक उत्सव हो सकता है.
इसलिए ये भी हो सकता है कि पहले 2-3 दिन विशेष सत्र में देश की आजादी से लेकर अभी तक पास हुए सबसे महत्वपूर्ण बिल, यादगार चर्चाओं और बड़ी घटनाओं के बारे में प्रेजेंटेशन हो सकता है. संभावना इस बात की भी है कि G-20 के सफल सम्मेलन पर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विश्व में भारत की बढ़ती साख पर प्रस्ताव पारित किया जा सकता है. अब इंतजार है कि सरकार कब इस विशेष सत्र के एजेंडा पर से पर्दा हटाती है. तब तक तो कयास लगते ही रहेंगे.