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मुद्रास्फीति और महंगाई की दर में 7 अंक केंद्र की भाजपा सरकार के साथ चिपका गया : कांग्रेस

नई दिल्ली। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने केंद्र की भाजपा सरकार पर मुद्रास्फीति और महंगाई की दर को लेकर हमला बोलते हुए कहा कि  7 अंक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चिपका हुआ है । गौरव ने कहा कि मुद्रास्फीति और महंगाई की दर जिसकी कल घोषणा हुई है वह 7.01 प्रतिशत है। गौरव ने कहा कि अगर हम बात करें बेरोजगारी की दर सीएमआईई ने निकाली है वह 7.8 प्रतिशत है।

गौरव वल्लभ ने कहा कि अगर हम बात करें 1 जनवरी से लेकर अब तक रुपए में कितने ह्राश हुआ है और कितना  डेप्रिशियेट हुआ, तो वो 7 प्रतिशत। एक जमाना था हमारे साथ भी 7 का अंक चिपका था 2004 से 2014, पर हमने उसको चिपकाया था जीडीपी की विकास दर में। हमारी जो एवरेज ग्रोथ रेट है 2004 से 2014, वो 7 प्रतिशत से ज्यादा रही थी। हमने भी 7 को लिया था, पर वो लिया था हमने देश की जीडीपी विकास दर में, महंगाई की दर में नहीं, रुपए के हाश में नहीं, बेरोजगारी की दर में नहीं।

गौरव बल्लव ने कहा कि कल  जो महंगाई दर के आंकड़े घोषित हुए, उसके बाद ये प्रतीत होता है कि जैसे-जैसे महंगाई की दर इकॉनोमी में बढ़ती जा रही है, वैसे के वैसे मोदी सरकार की योग्यता है। जबकि महंगाई की दर से देश को निजात दिलाने की बात हो, बेरोजगारी की दर कम करने की बात हो, गिरते हुए रुपए को रोकने की बात हो, वहाँ पर वो मौन बैठी हुई नजर आ रही है। गौरव बल्लव ने कहा कि देश ने पिछले महीने जून, 2022 में बेरोजगारी की दर देश में 7.8 प्रतिशत थी और 25 लाख लोगों ने अपनी नौकरी सिर्फ जून, 2022 में खोई है।

ये मैं नहीं कह रहा, ये सीएमआईई का आंकड़ा है कि 25 लाख लोगों ने सिर्फ एक माह में अपनी नौकरी खोई है। जब नौकरी खो रही है, लोगों की लगातार नौकरी जा रही है, उसमें आग में घी का काम कर रहा है लगातार बढ़ती हुई महंगाई की दर। महंगाई की दर लगातार पिछले 33 महीनों से अगर मैं बात करुं तो रिजर्व बैंक का जो मेन टारगेट है, 4 प्रतिशत उससे ज्यादा है और पिछले 6 महीने से महंगाई की दर रिजर्व बैंक की जो अपर लिमिट है 6 प्रतिशत उससे लगातार ज्यादा चल रही है।

गौरव बल्लभ ने कहा कि जब रुपया डेप्रिशियेट करता है 7 प्रतिशत पिछले 6 महीने में, रिटेल इन्फ्लेशन लगातार 7 प्रतिशत से ज्यादा बना हुआ है। अप्रैल में, मई में, जून में लगातार 7 प्रतिशत से ज्यादा बना हुआ और बेरोजगारी की दर लगातार 7 प्रतिशत से ज्यादा और बढ़ती जा रही है महीने दर महीने और ये सारे जो डेटा प्वाइंट हैं।एक और रोचक तथ्य आपको बताना चाहता हूं। जब महंगाई का आंकड़ा आया कल, 7.01 प्रतिशत रिटेल महंगाई का, मुझे उम्मीद थी कि देश की वित्त मंत्री इसके बारे में कोई टिप्पणी करेंगी।

पर उन्होंने महंगाई के आंकड़ों को जारी होने के बाद 7 ट्वीट किए और सारे ट्वीट उन्होंने नासा के फोटो बताए देश को कि नासा में जो तारे हैं, सौरमंडल है, हवाएं हैं, वो कैसी चल रही हैं दूसरे ब्रह्मांड के दूसरे तारों पर, दूसरे ग्रहों पर। वित्त मंत्री जी अच्छी बात है आपको ब्रह्मांड के दूसरे ग्रहों में आपको इंटरेस्ट है, अच्छा लगा ये सुनकर, पर हिंदुस्तान में आपका इंटरेस्ट क्यों नहीं है? आपका और आपकी सरकार का क्या प्रपोजल है, क्या एक्शन प्वाइंट है कि हम जो 7 प्रतिशत इन्फ्लेशन है, इससे बाहर आ सकें?

लगातार गिरते हुए रुपए को डॉलर के मुकाबले रोक सकें, बेरोजगारी की दर जो 7.8 प्रतिशत पर है, उसको हम नीचे ला सकें, इसके बारे में क्या एक्शन प्वाइंट हैं? हाँ, 7 ट्वीट जरुर करें नासा के फोटो का।गौरव वल्लभ ने कहा कि सीपीआई का डेटा रिलीज किया सरकार ने, उसमें रिटेल इन्फ्लेशन 7.01 प्रतिशत रहा और अगर हम अप्रैल, मई और जून इन तीन महीनों का एवरेज देखें, तो देश में इन्फ्लेशन 7.3 प्रतिशत है। रुरल इन्फ्लेशन जो हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था है ग्रामीण क्षेत्रों में जो इन्फ्लेशन है, वो देश के एवरेज से ज्यादा है। देश का एवरेज इन्फ्लेशन है 7.01 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में इन्फ्लेशन है 7.09 प्रतिशत। मतलब गांव में महंगाई शहरों से ज्यादा है।

ध्यान रखें महात्मा गांधी जी ने कहा था कि भारत गांवों का देश है। हमारे देश की 70 प्रतिशत आबादी आज भी गांवों में निवास करती है। जिनके लिए महंगाई दर 7.01 प्रतिशत नहीं है, 7.09 प्रतिशत है। रुरल अनएम्प्लोयमेंट रेट, ग्रामीण बेरोजगारी दर वो भी देश की एवरेज बेरोजगारी दर से ज्यादा है। देश में एवरेज बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत है और ग्रामीण क्षेत्रों में 8.03 प्रतिशत है। मतलब शहरों से ज्यादा बेरोजगारी गांवों में, शहरों से ज्यादा महंगाई गांवों में। ये मोदी सरकार का विकास का और आर्थिक अर्थनीति का मॉडल है।

गौरव बल्लव ने कहा कि फिर आगे चलते हैं लगातार पिछले 33 महीनों से रिजर्व बैंक का जो मेन टारगेट है महंगाई दर का 4 प्रतिशत, उससे हमारी महंगाई दर पिछले 33 महीनों से ज्यादा है। पिछले 6 महीनों से हमारी महंगाई दर जो अपर बैंड है रिजर्व बैंक का 6 प्रतिशत उससे भी ज्यादा है। और तो और साथियों, मैं नहीं कह रहा रिजर्व बैंक का टारगेट है कि जुलाई, अगस्त, सितंबर में महंगाई की दर 7.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, मतलब अभी से भी ज्यादा। ये मैं नहीं कह रहा, ये रिजर्व बैंक का टारगेट है और फूड इन्फ्लेशन, खाने-पीने की महंगाई 7.75 प्रतिशत है और सब्जियों में महंगाई दर है 17.37 प्रतिशत अर्थात् पहले हमारी थाली में से रोटी छीनी मोदी सरकार ने, आटे पर जीएसटी लगाकर।

अब उन्होंने सोचा रोटी तो छीन ली, पर फिर भी सब्जी तो है अभी, तो सब्जी पर महंगाई दर देश में 17.37 प्रतिशत। क्या आपमें से किसी का भी वेतन, आय पिछले एक साल में 17 प्रतिशत से बढ़ी है, पर सब्जियों की महंगाई दर 17 प्रतिशत से बढ़ी है। ये मैं नहीं भारत सरकार के आंकड़े कह रहे हैं। 25 लाख लोग पिछले महीने जून, 2022 में अपनी नौकरी खोते हैं। 11 हजार लोगों को स्टार्टअप से फायर किया जाता है। ये सारे आंकड़े पब्लिक डोमेन में हैं। रुपए आज 79.66 रुपए पर डॉलर पर खड़ा है, 80 कभी भी पार कर सकता है।

जीडीपी ग्रोथ रेट अपने निम्नतम लेवल पर रखी गई है और उसके बाद इस सारे इशू में हमारी जो मोदी सरकार है, हमारी वित्त मंत्री हैं, वो इन इशू पर बात नहीं करती है, वो नासा की फोटो में दूसरे ब्रह्माणों के रंग पर उनका फोकस है, और तो और इस सारे आंकड़ों के दौरान एक और चीज निकल कर सामने आई कि भारत सरकार ने 47 वीं जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में 5 प्रतिशत जीएसटी आटे पर, दहीं पर, पनीर पर, छाछ पर, मूली पर लगाने का काम मोदी सरकार ने किया।गौरव बल्लव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मैं कहना चाहता हूं कि आपका लोगों को इस महंगाई से राहत देने का क्या फार्मूला है, जो लगातार पिछले 6 महीनों से महंगाई की दर, रिटेल इन्फ्लेशन 7 प्रतिशत से ऊपर बना हुआ है, उससे लोगों को राहत देने का आपका क्या फार्मूला है?

क्या आपका महंगाई से लोगों को राहत देने का एक ही फार्मूला है कि आटे पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगा दो।हमारा दूसरा सवाल है कि जब रुपए अपने निम्नतम लेवल पर आ चुका है डॉलर के मुकाबले, जब बेरोजगारी की दर गांवों में 8 प्रतिशत से ऊपर पहुंच चुकी है, जब रिटेल इन्फ्लेशन 7 प्रतिशत पर है, मोदी जी और वित्त मंत्री जी आप कोई इस पर अपना ब्लू प्रिंट, इन समस्याओं से देश की अर्थनीति कैसे बाहर निकलेगी, इसका ब्लू प्रिंट देश के सामने क्यों नहीं रखते हैं? क्यों आप दोनों ने मौन व्रत लिया हुआ है, क्यों इन चीजों पर बात करने से कतराते हैं।

तीसरा और महत्वपूर्ण बिंदु, जब रिजर्व बैंक कह रहा है कि अगले तीन महीने अर्थात्, जुलाई, अगस्त, सितंबर, पिछले 6 महीने से भी ज्यादा भयानक होने वाले हैं, क्योंकि पिछले 6 महीने में एवरेज महंगाई दर थी 7.3 प्रतिशत और आगे के तीन महीने का फोरकास्ट रिजर्व बैंक का 7.4 प्रतिशत का है, तो गवर्मेंट के माइंड में क्या उपाय हैं, वो देश के सामने क्यों नहीं रखते। गौरव वल्लभ ने कहा कि अब मुझे ये नहीं समझ में आ रहा, उनकी प्राथमिकताएं क्या है? क्या दूसरे ग्रहों के रंग उनकी प्राथमिकता है? आम हिंदुस्तानी, आप जैसे, मेरे जैसे, मिडिल क्लास परिवार, लोवर इंकम ग्रुप परिवार, उनके जीवन के रंग, उनकी प्राथमिकता नहीं है।

उन्होंने कहा कि कितना रंगीन दृश्य है, दूसरे ग्रहों के तारों का। हमारा रंग तो खत्म हो रहा है, वित्तमंत्री जी। हम तो जूझ रहे हैं, लगातार बढ़ती बेरोजगारी से। 25 लाख लोगों ने, आंकड़े आपको सोर्स सहित दे रहा हूँ, 25 लाख लोगों ने एक महीना, जून 2022 में अपनी नौकरी खोई है। ये मैं नहीं कह रहा, ये सीएमआईई का आंकड़ा है। आर्थिक स्थितियाँ बैड से वर्स होती जा रही हैं, खऱाब से निम्नतम होती जा रही हैं, पर कोई जवाब देने वाला ही नहीं है। प्रधानमंत्री जी से बार-बार हमने पूछा कि प्रधानमंत्री जी, गिरता रुपया आप ही ने कहा था, आप ही की पार्टी के लोगों ने कहा था कि गिरता रुपया सरकार की गिरती साख को दर्शाता है, अब तो सरकार की जो साख है, वो निम्नतम लेवल पर आ गई, प्रधानमंत्री जी, आपके अनुसार, कुछ तो बोलिए, कुछ तो बताइए कि इसको कैसे वापस उठाएंगे।

किस तरह ग्रामीण अर्थव्यवस्था जो शहरों से बद से बदतर हो चुकी है, ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की दर 8.03 प्रतिशत है। जो शहरों से ज्यादा है, देश के एवरेज से ज्यादा है। ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई की दर जो रिटेल इंफ्लेशन 7.01 प्रतिशत है, ओवर ऑल ग्रामीण क्षेत्रों में वो रिटेल इंफ्लेशन है, 7.09 प्रतिशत और न प्रधानमंत्री जी कोई बात इस पर बोलते हैं, न वित्तमंत्री जी इस पर बोलते हैं। इसी बाबत हमने उनको नींद से जगाने के लिए आज की प्रेस वार्ता की है और तीन सवाल पूछे हैं कि आप लोगों के जीवन में किस तरह राहत दोगे, बढ़ती महंगाई से, बढ़ती बेरोजगारी से, डॉलर के मुकाबले गिरते रुपए से।

हमने ये पूछा है कि जो आने वाले समय में रिजर्व बैंक कह रहा है कि महंगाई दर आज से भी ज्यादा होगी, तो आप उस समय को टोलरेट करने के लिए लोगों के जीवन में इसका विपरीत प्रभाव न पड़े, उसके लिए क्या आपके उपाय हैं, दिमाग में। हमने ये भी पूछा है कि आप मौन होकर ये सारा तमाशा क्यों देख रहे हो? क्या आपका कर्तव्य नहीं है कि लोगों के जीवन में बढ़ती महंगाई से जो दुष्प्रभाव पड़ा है, उससे कुछ निज़ात दिलाया जा सके।एक तरफ तो महंगाई दर और साथियों एक और प्वाइंट मैं आपको बताना चाहता हूँ। एक नया टर्म इकॉनमी में आया है, श्रिंकफ्लेशन।

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एक तो हो गया इंफ्लेशन, एक नया टर्म चल रहा है- श्रिंकफ्लेशन। उसमें चीज का दाम है, उसको बढ़ाया नहीं जाता, दाम वही रखा जाता है, पर जो वस्तु की जो मात्रा है, उसको कम कर दिया जाता है।गौरव बल्लव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे देश  के भ्रमण पर गए, उन्होंने कहीं भी इन चीजों का उल्लेख नहीं किया। उन्होंने पता नहीं, करंट, शॉर्ट, सर्किट पता नहीं, फिजिक्स की बात और बात करनी थी, इकॉनमी की।