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6 घंटे होती है ऑर्गन की लाइफ, ग्रीन कॉ‍रीडोर बनाकर KGMU से लीवर दिल्‍ली को रवाना

लखनऊ.केजीएमयू के डॉक्‍टर्स और लखनऊ पुलिस गुरुवार को मिलकर एक और जिंदगी को बचाने की कोशिश में जुटी है। दरअसल, एक ब्रेन डेड व्यक्ति की मौत के बाद उसका लीवर किसी की जिंदगी को बचाने के लिए दिल्ली भेजा गया है। वहीं, उसकी दोनों किडनियां लखनऊ के एसजीपीजीआई भेजी जाएंगी। इसे लेकर लखनऊ ट्रैफिक पुलिस ने ग्रीन कॉरीडोर बनाया है। एक एंबुलेंस लीवर लेकर सुबह 11 बजे रवाना हो गई है। ऐसे तैयार कि‍या गया ग्रीन कॉरीडोर का मैप…
– एसपी ट्रैफि‍क के मुताबि‍क, रूट मैप के हि‍साब से केजीएमयू से अमौसी एयरपोर्ट की दूरी 28 किमी है।
– ग्रीन कॉरीडोर बनाने के लि‍ए केजीएमयू से हजरतगंज, राजभवन, अहि‍मामऊ और शहीदपथ होते हुए एयरपोर्ट ले जाने का रूट मैप तैयार कि‍या गया है।
– इसके लि‍ए हर चेक प्‍वाइंट और चौराहों पर दो-दो पुलि‍सकर्मि‍यों की तैनाती की गई है।
– साथ ही इस काम में सभी सीओ और एसपी लेवल के अधि‍कारी लगे हैं।
– एंबुलेंस के आगे एक इंटरसेप्‍टर लगी है, जो ट्रैफि‍क को क्‍लीयर करते हुए आगे बढ़ रही है।
रोड एक्सीडेंट में हुई थी मौत
– बता दें, गोरखपुर के रहने वाले सुंदर सिंह की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई थी।
– इसके बाद उनके परिवार ने उनका अंगदान करने की ठानी।
– केजीएमयू की तरफ से डॉ. अभिजीत चंद्र के नेतृत्व में यह सारा प्रॉसेस किया जाएगा।
वि‍शेष बॉक्‍स में रखकर ले जाया गया लीवर
– लीवर नि‍कालने के बाद उसे एक लाल रंग के वि‍शेष बॉक्‍स में रखा गया।
– इस बॉक्‍स में ऑर्गन प्रिजर्वेटि‍व सॉल्‍यूशन और बर्फ के मि‍श्रण में लीवर को रखा गया।
– ऑर्गन डोनेट के बाद लीवर की 6 घंटे और कि‍डनी की 24 घंटे की लाइफ होती है।
आम आदमी भी ले सकता है ग्रीन कॉरीडोर की मदद
– एसपी ट्रैफिक हबीबुल हसन ने बताया कि मरीज का जीवन बचाने के लिए न केवल संस्‍थान, बल्‍कि आम आदमी भी ग्रीन कॉरीडोर की मदद ले सकता है।
– इसके लिए शर्त है कि 2 घंटे पहले एसपी ट्रैफिक को सूचना देनी होगी, जिससे तैयारी की जा सके।
– इसके लिए 9454401085 नंबर पर कॉन्‍टैक्‍ट किया जा सकता है।
क्‍या होता है ग्रीन कॉरीडोर
– ग्रीन कॉरीडोर मानव अंग को एक निश्चित समय के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के लिए बनाया जाता है।
– यह उस वक्त बनाया जाता है कि जब आपात स्थिति में किसी मरीज का इलाज चल रहा हो।
– वर्तमान में यह व्यवस्था बेंगलुरु, दिल्ली, कोची, चेन्नई और मुंबई में उपलब्ध है।
– लेकिन लखनऊ की पुलिस ने किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज की अपील पर यह ग्रीन कॉरीडोर बनाया।
– इसमें पुलिस उस पूरे रूट को खाली करवाती है, जिसमें से एम्बुलेंस को गुजरना होता है।
– एम्बुलेंस के आगे पुलिस की गाड़ी चलती है, ताकि उसकी स्पीड में कोई ब्रेक न लगे, इसलिए इस प्रक्रिया को “ग्रीन कॉरीडोर” नाम दिया गया है।
– अगर फ्लाइट के जरिए उस ऑर्गन को ले जाया जाता है तो एयरपोर्ट अथॉरिटी को भी मदद के लिए कहा जाता है।