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357 प्रत्याशियों

पांच साल में 357 प्रत्याशियों ने पार्टी बदलकर….

नई दिल्ली/लखनऊ। पांच साल में 357 प्रत्याशियों ने पार्टी बदलकर विधानसभा चुनाव लड़ा। नेताओं को लगता है कि पार्टी बदलने से वह चुनाव जीत जाएंगे। लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।

राज्यसभा का चुनाव छोड़ दें तो लगभग हर चुनाव में दल बदलकर चुनाव लड़ने वाले कम ही प्रत्याशी जीत पाते हैं। एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की 2016 से 2020 के बीच की रिपोर्ट देखें तो सारी हकीकत आइने की तरह साफ दिखने लगती है।

रिपोर्ट के अनुसार इन पांच साल के अंदर 357 नेताओं ने पार्टी बदलकर चुनाव लड़ा। इनमें 170 यानी 48 प्रतिशत ही चुनाव जीत पाए। 187 नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। जीतने वाले भी ज्यादातर वह प्रत्याशी रहे जो दूसरी पार्टी छोड़कर भाजपा में पहुंचे थे।

पार्टी ने ऐसे 67 नेताओं को टिकट दिया था

पार्टी ने ऐसे 67 नेताओं को टिकट दिया था, जिसमें 54 जीत गए। लोकसभा चुनाव में यह आंकड़ा और हैरान करने वाला है। इसमें कुल 12 नेताओं ने एक पार्टी छोड़कर दूसरे के टिकट पर चुनाव लड़ा और सभी हार गए।

विधानसभा उपचुनाव में दल बदलने वाले नेताओं की परफारमेंस अच्छी रही है। ऐसे 48 नेताओं ने चुनाव लड़ा और इसमें 39 यानी 81 प्रतिशत को जीत मिली। राज्यसभा चुनाव में दल बदलकर चुनाव लड़ने वाले नेताओं को 100 प्रतिशत सफलता मिली है।

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रिपोर्ट के अनुसार इन पांच साल के अंदर 357 नेताओं ने पार्टी बदलकर चुनाव लड़ा। इसके पीछे सदस्यों की तय संख्या का वोट करना होता है। इसमें चुनाव पब्लिक को नहीं बल्कि सदन के नेताओं को ही करना होता है। यही कारण है कि पार्टी को काफी हद तक मालूम रहता है कि अगर वह किसी प्रत्याशी को चुनाव में उतारता है तो उसके चीज की संभावना कितने प्रतिशत है?