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25 लैंग्वेज समझने वाला सॉफ्टवेयर बनाकर TIME की लिस्ट में आए भारत के उमेश

न्यूयॉर्क. 30 साल के भारतीय आंत्रप्रेन्योर उमेश सचदेव को टाइम मैगजीन की ’10 millennials who are changing the world’ लिस्ट में जगह मिली है। उमेश ने ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया है जिसके जरिए मोबाइल फोन दुनिया की किसी भी भाषा में ऑपरेट कर सकता है। इस सॉफ्टवेयर से दुनिया की 25 भाषाओं और 150 बोलियों को ‘प्रॉसेस’ किया जा सकता है। दुनियाभर में 50 लाख लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। ये सॉफ्टवेयर ऐसा है कि अगर आप तमिल में बोलते हैं और किसी को कॉल करते हैं तो सामने वाला आपकी बात को अपनी भाषा या बोली में समझ सकेगा। उमेश और उनके दोस्त ने बनाया सॉफ्टवेयर…
– उमेश और उनके दोस्त रवि सरावगी ने मिलकर किसी भी लैंग्वेज को समझने वाला सॉफ्टवेयर बनाया है।
– इस सॉफ्टवेयर का नाम ‘यूनीफोर (Uniphore)’ रखा गया है।
– दोनों ने चेन्नई में अपना स्टार्ट-अप शुरू किया था।
– इस खास सॉफ्टवेयर की मदद से किसी भी लैंग्वेज के शख्स से बात की जा सकेगी।
– यूनीफोर के जरिए दुनिया की 25 लैंग्वेज और 150 बोलियों को समझा जा सकता है।
– भारत समेत दुनियाभर में 50 लाख से ज्यादा लोग इस फैसिलिटी का यूज कर रहे हैं।
कैसे आया ये आइडिया
– उमेश का यह सफर 2007 में शुरू हुआ। वह अपने दोस्त रवि सरावगी के साथ तमिलनाडु के गांवों में गए। तब दोनों नए-नए इंजीनियर बने थे।
– इन्होंने मोबाइल टेक्नोलॉजी कंपनी यूनिफोर सॉफ्टवेयर सिस्टम्स बनाई, जिसके लिए नए आइडिया की तलाश थी।
– वे कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे करोड़ों लोगों को फायदा हो।
– काफी कोशिशों के बाद दोनों ने सोचा था कि अगर इस बार आइडिया नहीं मिला तो नौकरी के लिए अप्लाई करेंगे।
– उमेश और रवि कई घरों में गए। देखा, हर घर में लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन सिर्फ कॉल करने के लिए।
– वे न तो इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे थे न किसी और सेवा का।
– समस्या लैंग्वेज की थी। लोग जो लैंग्वेज बोलते-समझते थे, फोन में उसका विकल्प नहीं था। देश में करीब 780 लैंग्वेज और बोलियां बोली जाती हैं,         लेकिन ज्यादातर फोन में सिर्फ अंग्रेजी और हिंदी का अॉप्शन होता है।
क्या कहते हैं उमेश?
– उमेश के मुताबिक, ‘इस फोन से आपको कई तरह की मदद मिल सकती है। फिर वह चाहे फाइनेंस से जुड़ी चीजें हों या किसानों को मौसम की जानकारी।’
– ‘जरूरी ये है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक ये टेक्नोलॉजी पहुंचे।’
क्या कहना है टाइम का?
– ‘सचदेव ने रियल और डिजिटल वर्ल्ड के बीच पुल बनाया है। ऐसे लाखों लोग हैं जो लैंग्वेज के चलते डिजिटल वर्ल्ड से कटे रहते हैं। सचदेव के सॉफ्टवेयर ने लोगों की इस कमी को दूर कर दिया है।’
– ‘अब इस सॉफ्टवेयर के चलते ग्रामीण भारत के लोगों को अपनी लैंग्वेज के चलते परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।’
ये हैं दुनिया बदलने वाले नई पीढ़ी के लीडर्स
1- डेस्टिनी वाटफोर्ड, 21 पर्यावरण कार्यकर्ता, अमेरिका
आवासीय इलाके में भट्‌ठी बनाने के खिलाफ आवाज उठाई। जन प्रतिनिधियों से मिलीं। आखिरकार प्रोजेक्ट का परमिट रद्द हुआ।
2- सरन काबा जोन्स, 34 जल कार्यकर्ता, लाइबेरिया
पानी की कमी से जूझते लाइबेरिया में बच्चों का समय पढ़ाई के बजाय पानी लाने में जाता है। सरन 7 साल में वाटर सप्लाई के 50 सिस्टम बना चुकी हैं।3- आइरीन किम, 28 मॉडल, दक्षिण कोरिया
अपनी शर्तों पर फैशन में नाम कमाया। मॉडलिंग के लिए प्लास्टिक सर्जरी करवाने से मना कर दिया। बालों को नया रंग दिया जो उनका ट्रेडमार्क बना।4- पॉली स्टेनहैम, 29 नाट्य लेखिका, ब्रिटेन
10 साल पहले नाटक ‘दैट फेस’ का मंचन रॉयल कोर्ट थियेटर में हुआ। कई अवार्ड मिले। नाटकों में मानसिक रोगियों और मध्य वर्ग को तरजीह।

5- सेरशा रोनन, 22 अभिनेत्री, आयरलैंड
फिल्म, टीवी और थियेटर में महिलाओं की भूमिका बदल रही हैं। ‘एटोनमेंट’ के लिए 13 साल की उम्र में ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया था।
6- आशिमा शिराइशी, 15 रॉक क्लाइंबर, अमेरिका
दुनिया की सबसे बेहतरीन महिला रॉक क्लाइंबर हैं। माना जाता है कि भविष्य में वह दुनिया की सबसे अच्छी क्लाइंबर बनेंगी। लड़कों से भी अच्छी।
7- सिमोन बिल्स, 19 एथलीट, अमेरिका
जिम्नास्टिक्स में 3 बार वर्ल्ड चैंपियन। 2013 से कोई प्रतियोगिता हारी नहीं। रियो ओलिंपिक में भी जीत की उम्मीद। मां को ड्रग्स और शराब की लत थी।8- फिरास अलशेटर, 25 रिफ्यूजी कॉमेडियन, जर्मनी
सीरिया से आए रिफ्यूजी हैं। पड़ोसी देशों से लाखों मुस्लिम जर्मनी में शरण लेना चाहते हैं। अलशेटर जर्मन नागरिकों को इसके लिए तैयार करते हैं।9- फ्रांसिस्को साउरो, 31, जियोलॉजिस्ट, ब्राजील
ऐसी गुफाएं तलाशते हैं जहां पहले कोई न गया हो। वेनेजुएला के वर्षा वन में ऐसी विशाल गुफा की तलाश की जहां झीलें थीं, क्रिस्टल रूप में खनिज थे।