लखनऊ. 13वें भारत-यूरोपीय संघ (ईयू) शिखर सम्मेलन में बेल्जियम पहुंचे नरेंद्र मोदी ने बुधवार को यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक (ईआईबी) से लखनऊ मेट्रो को लोन दिलवाने के लिए एमओयू किया। बैंक लखनऊ मेट्रो को 450 मिलियन यूरो (करीब 3300 करोड़ रुपए) का लोन देगी और सालाना 55 फीसदी की दर से इंटरेस्ट लेगी। यह कर्ज 20 साल में चुकाना होगा। पहले चार साल तक कोई इंस्टॉलमेंट नहीं देना होगा। बाकी बचे 16 साल में कर्ज की अदायगी करनी होगी।
200 मिलियन यूरो के अमाउंट पर हुआ एमओयू
डील से पहले चरण के तहत बैंक और भारत सरकार के बीच 200 मिलियन यूरो के अमाउंट पर एमओयू हुआ। बाकी पैसे के लिए प्रोजेक्ट की प्रगति के मुताबिक दोबारा बात की जाएगी। बता दें, बैंक का ये लोन लखनऊ मेट्रो प्रोजेक्ट की कुल लागत का आधा है। इस रकम से लखनऊ मेट्रो की 23 किमी लंबी लाइन का निर्माण और मेट्रो कोच की खरीद होगी।
यूरोपियन यूनियन के बाहर ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में अब तक सबसे बड़ा समझौता
यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक के प्रवक्ता रिचर्ड विल्स ने कहा कि ये हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यूरोपियन यूनियन के बाहर ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा समझौता है। पीएम ने इस दौरान यूरोपीय यूनियन के प्रमुख नेताओं जैसे यूरोपीय काउंसिल प्रेसीडेंट डोनाल्ड टस्क और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जीन क्लॉड से मुलाकात की। साथ ही रणनीतिक भागीदारी में तेजी लाने की वकालत की।
23 किमी के प्रोजेक्ट पर खर्च होंगे 6800 करोड़ रुपए
अमौसी से मुंशीपुलिया तक बनने वाले 23 किमी के मेट्रो के प्रोजेक्ट पर कुल 6800 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें 60 फीसदी हिस्सा विदेशी बैंकों से लोन का है। बाकी पैसा केंद्र और राज्य सरकार देगी। बता दें, शहर में अभी तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हिस्सेदारी महज 10 फीसदी है। मेट्रो बनने के बाद यह करीब 27 फीसदी तक हो जाएगी।