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10 साल के बच्‍चे की बाईपास सर्जरी भारत में पहली बार हुई

आगरा. देश में पहली बार सबसे कम उम्र के बच्‍चे की बाईपास सर्जरी हुई है। यह बच्‍चा मथुरा का 10 वर्षीय धर्मेंद्र है। इसे हार्ट की दुर्लभ बीमारी हुई। इसकी वजह से स्‍कूल से घर आते वक्‍त अचानक हार्ट अटैक हुआ। इसके बाद दिल्‍ली के फोर्टिस एस्‍कॉर्ट हार्ट इंस्‍टीट्यूट में डॉक्‍टरों ने बाईपास सर्जरी की। ऑपरेशन के बाद धर्मेंद्र स्‍वस्‍थ है। धर्मेंद्र को क्‍या हुआ था…
– मथुरा के 10 वर्षीय धर्मेंद्र को सात मार्च को अचानक सीने में दर्द हुआ। स्‍थानीय डॉक्‍टर ने इलाज किया। चूंकि इस उम्र में आमतौर पर हार्ट की समस्‍या नहीं होती है तो वे इसे हार्ट अटैक नहीं समझ पाए।
– तीन दिन तक सीने में दर्द और ठीक से सांस नहीं ले पाने के बाद धर्मेंद्र के दादा शंकर लाल उसे लेकर दिल्‍ली के फोर्टिस एस्‍कॉर्ट हार्ट इंस्‍टीट्यूट पहुंचे।
– यहां पर एंजियोग्राफी में पता चला कि धर्मेंद्र को हार्ट अटैक हो चुका है। हार्ट फेल होने की स्थिति में था। हार्ट की मांसपेशि‍यों तक ब्‍लड सर्कुलेशन बाधित हो रहा था।
– कार्डियो-थोरासिक वैस्क्यूलर सर्जरी के निदेशक डॉ. रामजी मेहरोत्रा ने 10 मार्च को इमरजेंसी की हालत में धर्मेंद्र की बाईपास सर्जरी की। इसमें ढाई घंटे का वक्‍त लगा।
– ऑपरेशन के 20 दिन बाद अब धर्मेंद्र स्‍वस्‍थ है और घर भेज दिया गया है। डॉक्‍टर के अनुसार वह अगले सप्‍ताह से स्‍कूल जाने लगेगा।

डॉक्‍टर का दावा- सबसे कम उम्र की है यह बाईपास सर्जरी

– डॉ. रामजी मेहरोत्रा ने बताया कि धर्मेंद्र से पहले तक 14 वर्ष के उम्र के किशोर की बाईपास सर्जरी हुई थी। इससे कम उम्र के बच्‍चे का ऑपरेशन धर्मेंद्र से पहले नहीं हुआ था।
– धर्मेंद्र को कोलेस्ट्रॉल संबंधी बीमारी ‘होमोजाइगस फैमिलियल हाइपर कोलेस्ट्रोलेमिया’ (एचओएफएच) थी। यह बहुत कम होती है।
– ऑपरेशन के दौरान टोटल आर्टरियल ग्राफ्ट्स का इस्तेमाल कर कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग (सीएबीजी) की गई।
ब्‍लड सर्कुलेशन बाधित हो रहा था
– मरीज की एंजियोग्राफी कराने पर गंभीर कोरोनरी आर्टरी ब्लॉकेज का पता चला जिसकी वजह से हृदय की मांसपेशि‍यों तक ब्‍लड सर्कुलेशन बाधित हो रहा था। ऐसे में तुरंत कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग (सीएबीजी) करना आवश्‍यक हो गया था।
– मरीज का हृदय सिर्फ 50 फीसदी क्षमता से काम कर रहा था। सीएबीजी को डॉ. रामजी मेहरोत्रा, डायरेक्टर-कार्डियो-थोरेसिक वास्क्युलर सर्जरी, एफईएचआई ने अंजाम दिया।
– डॉ. रामजी ने बताया कि इस उम्र में बाईपास ऑपरेशन अपने आप में एक चुनौती है क्योंकि इस दौरान छोटे कैलिबर वैसेल्स को उसके हृदय की धमनियों के साथ जोड़ा जाता है, जो बहुत ही छोटी होती हैं।
– वयस्क मरीजों में बाईपास सर्जरी के दौरान मदद के लिए सपोर्ट मशीनें उपलब्ध होती हैं लेकिन कम उम्र के मरीज के लिए ऐसी मशीनें उपलब्ध नहीं थीं।
– फैमलियल हाइपर कोलेस्ट्रोलेमिया एक दुर्लभ आनुवांशि‍क बीमारी है। यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में आती है। इस बीमारी में एलडीएल या खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर ब्‍लड सर्कुलेशन में काफी अधिक रहता है।
– लीवर भी रक्त से खराब कोलेस्ट्रॉल को बाहर नहीं निकाल पाता है। इसकी वजह से कम उम्र में ही आर्टरी ब्लॉकेज शुरू हो जाता है। इससे हार्ट अटैक होते हैं।
– यह बीमारी दस लाख में एक बच्‍चे को होती है। यह आनुवांशिक बीमारी है इस वजह से सर्जरी के अलावा इलाज नहीं है।
खतरनाक है बीमारी
– डॉ. रामजी महेरोत्रा बताते हैं कि भारतीयों में हार्ट ब्‍लॉकेज होने चांसेज ज्‍यादा हैं। जेनेटिकली भारतीयों में हार्ट संबंधित समस्‍या है।
– अब बच्चे कम खेलते हैं, स्‍ट्रेस लेवल ज्‍यादा हो गया है। ऐसे में बच्‍चों में ही डायबिटीज और मोटापा तेजी से देखने को मिल रहे हैं।
– जिनमें मोटापा या डायबि‍टीज की समस्‍या है उन सभी बच्चों को 9 से 11 वर्ष की उम्र में कम से कम एक बार कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जांच जरूर करानी चाहिए।
– धर्मेंद्र के दादा शंकर लाल ने बताया कि धर्मेंद्र की बीमारी जानकर सारी उम्मीदें छोड़ दी थी, लेकिन डॉक्‍टर्स की वजह से अब वह स्‍वस्‍थ है।