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हुआ बहुत बड़ा खुलासा ,अंतरिक्ष से हर साल पांच हजार टन गिर रही धूल

वाशिंगटन :फ्रेंच पोलर इंस्टीट्यूट के सहयोग से यूनिवर्सिटी ऑफ पेरिस-सैकेल और प्राकृतिक इतिहास के राष्ट्रीय संग्रहालय के वैज्ञानिकों ने करीब 20 वर्षों तक किए गए एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम के जरिए किया निर्धारित है कि हर साल धूमकेतु और क्षुद्रग्रहों से हमारे ग्रह पृथ्वी पर धूल आती है। इस तरह करीब पांच हजार दो सौ टन धूल पृथ्वी पर आती है।

इस शोध में पता चला है कि ये इंटरप्लेनेटरी डस्ट पार्टिकल्स हमारे वायुमंडल से होकर गुजरते हैं और शूटिंग स्टार्स को जन्म देते हैं। हमारे ग्रह पर हमेशा माइक्रोमीटराइट्स गिरते रहे हैं। धूमकेतु अथवा क्षुद्रग्रहों के यह अंतर्वैयक्तिक धूल कण कुछ दसवें हिस्से से लेकर मिलीमीटर के सौवें हिस्से तक के होते हैं, जो वायुमंडल से होकर पृथ्वी की सतह पर पहुंच जाते हैं।

शोधकर्ताओं ने दो दशकों तक किया अध्ययन : माइक्रोलेरोसाइट्स को इकट्ठा करने और उनका विश्लेषण करने के लिए सीएनआरएस के शोधकर्ता जीन डूप्रैट के नेतृत्व में छह अभियान पिछले दो दशकों में फ्रेंको-इटैलियन कॉनकॉर्डिया स्टेशन (डोम सी) के पास हुए हैं, जो एडिले लैंड के तट से 1,100 किलोमीटर दूर स्थित है। इसमें पता चला कि बर्फ के कम संचय दर और स्थलीय धूल की अनुपस्थिति के कारण डोम सी एक आदर्श संग्रह स्थान है। इन परिणामों को पूरे ग्रह पर लागू किया जाता है, तो माइक्रोइमोराइट्स का कुल वार्षिक प्रवाह प्रति वर्ष 5,200 टन होगा।

जर्नल अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि धरती पर हमेशा से ही सूक्ष्म उल्कापिंड गिरते रहे हैं। शोधकर्ताओं ने पर्याप्त मात्रा में अंतरिक्ष से गिरे कणों को एकत्र किया है, जिनका आकार 30 से 200 माइक्रोमीटर के बीच है। हर साल अंतरिक्षीय धूल, पृथ्वी पर प्रति वर्ग मीटर गिरने वाले एक्सट्रैटेस्ट्रियल कणों से मेल खाती है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह जानकारी हमें यह जानने में मदद कर सकती है कि किस तरह इस अंतरिक्षीय धूल ने पृथ्वी पर उसके शुरुवाती समय में पानी और कार्बन के अणुओं को पहुंचाया था।