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सेहत की बात

✍️ डॉ महेन्द्र राणा जगजीतपुर हरिव्दार

भागदौड़ और अनियमित जीवनशैली वाले आज के दौर में जो बीमारी सर्वाधिक लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही है वह है मधुमेह। इसे डाइबिटीज और शुगर भी कहते हैं।
मधुमेह को धीमी मौत कहा जाता है। यह ऐसी बीमारी है जो एक बार किसी के शरीर को पकड़ ले तो उसे फिर जीवन भर छोड़ती नहीं। इस बीमारी का जो सबसे बुरा पक्ष है वह यह है कि यह शरीर में अन्य कई बीमारियों को भी निमंत्रण देती है। यह बीमारी वंशानुगत बन जाती है अगली पीढ़ियों के लिए।

मधुमेह रोगियों को आंखों में दिक्कत, किडनी और लीवर की बीमारी और पैरों में दिक्कत होना आम है। पहले यह बीमारी चालीस की उम्र के बाद ही होती थी लेकिन आजकल बच्चों में भी इसका मिलना चिंता का एक बड़ा कारण हो गया है।

शुगर कैसे होता है?
जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है।
इस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जोकि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है।
यही वह हार्मोन होता है जो हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है। मधुमेह हो जाने पर शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में कठिनाई होती है। इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।

यह रोग महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है। मधुमेह ज्यादातर वंशानुगत और जीवनशैली बिगड़ी होने के कारण होता है।
इसमें वंशानुगत को टाइप-1 और अनियमित जीवनशैली की वजह से होने वाले मधुमेह को टाइप-2 श्रेणी में रखा जाता है। पहली श्रेणी के अंतर्गत वह लोग आते हैं जिनके परिवार में माता-पिता, दादा-दादी में से किसी को मधुमेह हो तो परिवार के सदस्यों को यह बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है।
इसके अलावा यदि आप शारीरिक श्रम कम करते हैं, नींद पूरी नहीं लेते, अनियमित खानपान है और ज्यादातर फास्ट फूड और मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है।

बड़ा खतरा :
डायबिटीज के मरीजों में सबसे ज्यादा मौत हार्ट अटैक या स्ट्रोक से होती है। जो व्यक्ति डायबिटीज से ग्रस्त होते हैं उनमें हार्ट अटैक का खतरा आम व्यक्ति से पचास गुना ज्यादा बढ़ जाता है।

●सर्वांग क्षीरधारा :
शिरोधारा, एक ऐसा आयुर्वेदिक उपचार है जिसमें दूध, तेल जैसे विभिन्न तरल पदार्थों और जड़ी-बूटियों का काढ़ा बनाकर लयबद्ध तरीके से सिर के ऊपर से डाला जाता है।
सर्वांग क्षीरधारा को तेल स्नान भी कहते हैं। इसमें उचित तेल को सिर और पूरे शरीर पर डाला जाता है।

●आमलकी :
यह जड़ी बूटी ऊर्जादायक और तीनों दोषों को साफ करने वाली है।
यह कई बीमारियों के इलाज में उपयोगी है जैसे डायबिटीज जो कि अधिक संख्या में लोगों को प्रभावित करती है। बच्चे, वयस्क और बुजुर्ग सभी इस बीमारी से ग्रस्त हो सकते हैं। गर्भवती महिलाओं में इसका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
पित्त दोष वाले व्यक्ति में आमलकी के हानिकारक प्रभाव के रूप में दस्त की समस्या हो सकती है।
ये खाएं :
अपनी डाइट में जौ, चावल की कुछ किस्मों (जैसे सामक और कोद्राव) तथा गेहूं को शामिल करें।
हरे चने, कुलथी, अरहर की दाल, अलसी और काबुली चने जैसी दालों का सेवन करें।
फल-सब्जियों जैसे कि परवल, करेला, आमलकी, हरिद्रा, बेल और काली मिर्च खाएं।
डायबिटीज मेलिटस को नियंत्रित करने में शहद और सेंधा नमक भी मददगार साबित हो सकते हैं।
पैदल चलना, खेलने जैसी शारीरिक गतिविधि, नियमित व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

इनसे बचें :
काले चने, नया चावल और अनाज न खाएं।
दूध, दही, छाछ, तेल, गुड़, शराब, गन्ने से बने पदार्थ, घी, सुपारी खाने से बचें।
बेवजह स्नैक्स या कुछ और न खाएं।
अनुचित खाद्य पदार्थों जैसे कि मछली के साथ दूध या दुग्ध उत्पादों का सेवन न करें।
दिन में सोने से बचें। (और पढ़ें – दिन मेँ सोना अच्छा है या नहीं)
धूम्रपान से दूर रहें।

मधुमेह चयापचय प्रणाली से जुड़ा रोग है जिस पर नियंत्रण पाने और इसमें होने वाली जटिलताओं से बचने के लिए प्रभावी उपचार और जीवनशैली में बदलाव किए जाने की जरूरत है।