Breaking News

लोकडाउन के खौफ के कारण प्रवासी मजदूरो का पलायन जारी, बिना जांच के पहुंचे घर हजारो लोग

नई दिल्ली :कोरोना के बढ़ते कहर को देखते हुए मजदूरों को एक बार फिर देशव्यापी लॉकडाउन का डर सताने लगा है। बीते साल हुई तालाबंदी में प्रवासी कामगारों ने जिस तरह की मुश्किलें झेली थीं, उसे देखते हुए वे अभी से घर वापसी करने लगे हैं। ‘हिन्दुस्तान’ ने पड़ताल की तो पता चला कि यूपी-बिहार को जाने वाली ट्रेन और बसें खचाखच भरी चल रही हैं। भीड़ का आलम यह है कि कई केंद्रों पर बाहर से लौटे सभी मजदूरों की कोविड जांच नहीं हो पा रही है।

गोरखपुर में दिल्ली-मुंबई से अब तक दस हजार से ज्यादा लोग आ चुके हैं। दोनों शहरों से आने वाली ट्रेन फुल चल रही हैं। अब प्रवासी कामगार दूसरे साधनों से भी लौटने लगे हैं। मंगलवार को बसों में भी भीड़ रही। रेलवे स्टेशन और बसअड्डे पर कोविड डेस्क तो बनी है, लेकिन सभी यात्रियों की जांच नहीं हो पा रही है। बहुत से कामगार बिना जांच के ही घर जा रहे हैं।

उधर, बरेली में दिल्ली-हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से करीब दस हजार प्रवासी कामगारों ने अपने-अपने गांवों में वापसी कर ली है। प्रशासन ने गांवों में पंचायत घरों को क्वारंटाइन सेंटर बनाया है। प्रवासी मजदूरों में लक्षणों की जांच के लिए निगरानी टीमें गठित की गई हैं। शासन ने जिला अधिकारी को प्रवासी कामगारों की स्किल मैपिंग कर उसका रिकॉर्ड राहत आयुक्त को भेजने के निर्देश दिए हैं।

महाराष्ट्र से तीन विशेष ट्रेन प्रवासी मजदूरों को लेकर लौटी हैं। इनसे लगभग 5000 लोग आए हैं। प्रवासी मजदूरों के रोजगार के लिए राज्य सरकार ने पिछले साल तीन विशेष योजनाएं शुरू की थीं। इनमें बिरसा हरित ग्राम योजना, पोटो हो खेल विकास योजना और नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना शामिल है। बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत पौधरोपण, पोटो हो खेल विकास योजना के तहत खेल मैदानों का निर्माण और नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना के तहत जल संरक्षण के कार्यों में प्रवासी मजदूरों को रोजगार देना है। ये योजनाएं अभी चल रही हैं। इसके अलावा झारखंड मुख्यमंत्री श्रमिक रोजगार योजना शहरी क्षेत्रों में मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।

कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर लाकुईं, हरिद्वार, भगवानपुर, रुद्रपुर और सितारगंज के उद्योगों में कार्यरत मजदूर अपने घरों को लौटने लगे हैं। असंगठित क्षेत्र से जुड़े मजदूरों की भी यूपी और बिहार वापसी होने लगी है। राज्य में प्रवासियों के आने और जाने के लिए पंजीकरण व्यवस्था अभी तक शुरू नहीं हुई है। इसलिए घर लौटने वाले मजदूरों की सटीक संख्या उपलब्ध नहीं है। हालांकि, मजदूर संगठनों का कहना है कि वापस लौटने वाले मजदूरों की संख्या फिलहाल हजारों में है।
दून से जाने वाली कई ट्रेनों में भीड़ बढ़ती जा रही है। देहरादून से लखनऊ-पटना होकर हावड़ा जाने वाली उपासना एक्सप्रेस 30 अप्रैल तक फुल है। इसमें लंबी वेटिंग भी चल रही है। वहीं, दून से बनारस जाने वाली जनता एक्सप्रेस 20 अप्रैल तक फुल है। गोरखपुर जाने वाली राप्तीगंगा एक्सप्रेस में भी 27 अप्रैल तक कोई टिकट उपलब्ध नहीं है