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लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई डुबकी :मकर संक्रांति

इलाहाबाद. मकर संक्रांति पर्व पर शुक्रवार को सुबह से ही लाखों श्रद्धालु संगम तट पर जुटे हैं। उन्होंने गंगा और यमुना के संगम पर डुबकी लगाई। श्रद्धालु रात में ही गंगा तट पर जुट गए थे और भोर से ही स्नान का सिलसिला शुरू हो गया। संगम के अलावा अन्य तटों पर भी स्नान हो रहा है। कुल 7260 फीट जगह में 12 स्नान घाट बनाए गए हैं। मेला प्रशासन ने अनुमान लगाया है कि मकर संक्रांति पर 25 लाख लोग स्नान करेंगे।
– मकर संक्रांति का यह स्नान आज देर शाम तक चलेगा।
– घाटों पर डीप वाटर बैरिकेडिंग की गई है।
– संगम क्षेत्र तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को काफी दूर तक पैदल चलना पड़ रहा है।
– भोर में ठंड के बावजूद महिलाएं, बच्चे और बूढ़ों में संगम स्नान के प्रति अटूट श्रद्धा दिखी।

मेला क्षेत्र में पुलिस तैनात

– पूरे मेला क्षेत्र में ट्रैफिक और सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए चप्‍पे-चप्‍पे पर पुलिस तैनात है।
– मेले में जाने के लिए अलग पॉन्टून पुल का इस्तेमाल किया जा रहा है।
– वापस आने वाले श्रद्धालुओं को वापसी वाले पॉन्टून पुल से भेजा जा रहा है।
– मेले की निगरानी में सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन कैमरे लगे हुए हैं।

2000 फीट में बना संगम का स्‍नान घाट
– संगम का स्नान घाट 2000 फीट का बनाया गया है।
– अरैल स्नान घाट 700 फीट लंबा बनाया गया है।
– गंगा जी के पश्चिम, राम घाट 250 फीट का बनाया गया है।
– गंगा जी के पश्चिम, महावीर जी स्नान घाट 250 फीट।
– गंगा जी के पश्चिम, दशाश्वमेघ घाट 150 फीट।
– गंगा जी के पूरब और त्रिवेणी मार्ग के दक्षिण में 300 फीट।

गंगोली शिवाला मार्ग से जीटी रोड के बीच 800 फीट का घाट

– गंगा जी के पूरब, अक्षयवट मार्ग के दक्षिण 350 फीट।
– गंगा जी के पूरब, संगम लोअर मार्ग पर 250 फीट।
– काली मार्ग के उत्तर 400 फीट।
– मोरी मार्ग के उत्तर, रेलवे पुल तक 400 फीट।
– गंगोली शिवाला मार्ग से रेलवे पुल तक 400 रनिंग फीट।
– गंगोली शिवाला मार्ग से जीटी रोड के बीच 800 फीट।

उत्तरायण सूर्य में प्राण त्यागने वाले को मिलता है बैकुंठ

– पंडित रमेश उपाध्याय बताते हैं कि महाभारत काल में गंगा पुत्र भीष्म को अर्जुन ने अपने बाण से घायल कर दिया था।
– भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान था, इसलिए उन्होंने कहा था कि जब सूर्य उत्तरायण होंगे तभी वह अपने प्राण त्यागेंगे।
– ऐसी धार्मिक मान्यता है कि उत्तरायण सूर्य में प्राण त्यागने वाले को बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
– हर महीने की 14 या 15 तारीख के आस-पास सूर्य एक राशि से दूसरी राशि पर जाते हैं।
– सूर्य जब दूसरी राशि पर प्रवेश कर रहे होते हैं, उसी समय को संक्रांति कहते है।

तुलसीदास ने भी किया है जिक्र

– हर साल 14 या 15 जनवरी को माघ के महीने में सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
– माघ के महीने में होने वाले मकर संक्रांति का स्नान का महत्व है।
– गोस्वामी तुलसीदास ने राम चरित मानस में भी जिक्र किया है कि जब माघ के महीने में सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो श्रद्धालु संगम पर स्नान करने आते हैं।