Breaking News

लगाते हैं चाय का ठेला, अरबों रुपए के ‘कोहिनूर’ पर है इनका दावा

जबलपुर/भोपाल. देश-दुनिया में जहां एक ओर ब्रिटेन से कोहिनूर हीरा भारत लाए जाने की मांग पर बहस जारी है, वहीं जबलपुर निवासी स्टेनली जॉन लुईस का दावा है कि कोहिनूर भारत सरकार की नहीं, उनकी खानदानी संपत्ति है। लिहाजा, ब्रिटेन सरकार को चाहिए कि वह उनका हीरा उन्हें लौटा दे। क्यों दावा कर रहे हैं कोहिनूर पर लुईस…
-लुईस ने इस सिलसिले में ब्रिटेन के पूर्व व वर्तमान प्रधानमंत्री को 2006 व 2008 में कानूनी नोटिस भी भेजा।
-इसके जवाब भी चार दिसंबर 2007 व 21 मई 2009 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्रियों की ओर से उनके सचिव एस चैने व एम डेविस की ओर से भारत भेजे जा चुके हैं। जिसमें लिखा है कि वे उनके पत्र पर विचार कर रहे हैं।
-10 डाउनिंग स्ट्रीट लंदन से मिले पत्रों को लुईस ने हाई कोर्ट में दायर याचिका के साथ संलग्न किया है।
भारत व ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सहित अन्य को पक्षकार
-लुईस ने 2008 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में रिट पिटीशन दायर की, जिसका क्रमांक 540/2008 है।
-इसमें भारत व ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सहित अन्य को पक्षकार बनाया गया है।
-खास बात यह है कि उन्होंने जनहित याचिका के स्थान पर डब्ल्यूपी दायर की, जिसके जरिए वह कोहिनूर को बजाए भारत के अपनी निजी संपत्ति साबित करने में जुटे हैं।
क्रिस्टाेफर कोलंबस के वंशज होने का दावा
-स्टेनली का दावा है कि कोहिनूर हीरा उनके परदादा एलबर्ट लुईस (सन 1800) की धरोहर था, जिसे राजा-महाराजा अपने कब्जे में करने की तिकड़म भिड़ाते रहे।
-वह इसमें सफल हुए और एक दिन उनके खानदान की विरासत कोहिनूर को ईस्ट इंडिया कंपनी के हवाले कर दिया।
-लुईस अपने को क्रिस्टाेफर कोलंबस का वंशज बताते हैं। कोलंबस ने ही अमेरिका की खोज की थी।
सुप्रीम कोर्ट और इंटरनेशनल कोर्ट जाएंगे
-स्टेनली की मांग है कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका की सुनवाई तेज की जाए।
-यदि याचिका खारिज होती है, तो सुप्रीम कोर्ट की शरण ली जाएगी। वहां याचिका खारिज नहीं की जा सकती, क्योंकि यदि ऐसा किया गया तो कोहिनूर पर भारत का दावा सदा के लिए खत्म हो जाएगा।
-लिहाजा, बेहतर यही होगा कि सुप्रीम कोर्ट इंटरनेशनल कोर्ट हेग नीदरलैंड में अपील की स्वतंत्रता देकर केस का निराकरण करे।