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रियो ओलिंपिक में भारत के अनफिट एथलीट्स भेजे गए थे- स्पोर्ट्स अथॉरिटी का खुलासा

नई दिल्ली.स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने रियो ओलिंपिक में हिस्सा लेने वाले इंडियन एथलीट्स पर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। SAI के मुताबिक, रियो गए भारतीय दल में कुछ एथलीट्स फिट ही नहीं थे। देश के लिए मेडल की उम्मीद बताई गईं बैडमिंटन प्लेयर साइना नेहवाल घुटने की चोट से परेशान थीं। और क्या कहा गया है रिपोर्ट में….
– भारत के ओलिंपिक में परफॉर्मेंस की रिव्यू रिपोर्ट SAI के डायरेक्टर इन्जेती श्रीनिवास ने तैयार की है। रिपोर्ट में शिकायतें और सुझाव दोनों शामिल किए गए हैं। सुझावों में 2020 के टोक्यो ओलिंपिक की तैयारियों के बारे में फोकस किया गया है।
– एजेंसियों के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ एथलीट्स के साथ फिजिकल फिटनेस इश्यू थे। इसका मतलब ये हुआ कि उनकी मॉनिटरिंग सही तरीके से नहीं की गई। उदाहरण के लिए साइना नेहवाल को घुटने की चोट के बाद देश लौटते ही सर्जरी करानी पड़ी।
– रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कुछ प्लेयर्स तो अपना पर्सनल बेस्ट भी नहीं दे सके, ये बड़ी चिंता की बात है।
– श्रीनिवास ने इस बात का भी जिक्र है कि किस तरह शूटर अभिनव बिंद्रा और जिमनास्ट दीपा कर्माकर आखिरी दौर में आकर मेडल से चूक गए और किस तरह बॉक्सर्स का परफॉर्मेंस निराशाजनक रहा।
– स्पोर्ट्स अथॉरिटी की ये रिव्यू रिपोर्ट स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री को भेजी जाएगी, जो खुद भी इसका रिव्यू करेगी।
कोचिंग स्टाफ पर सवालिया निशान
– SAI चीफ ने कोचिंग स्टाफ पर गंभीर सवालिया निशान लगाए हैं। श्रीनिवास के मुताबिक, कोचिंग स्टाफ की स्क्रूटनी जरूरी है। विदेशी कोचों के परफॉर्मेंस को बहुत बारीकी से देखना होगा क्योंकि अब तक ये नहीं हुआ है।
– रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन खेलों में मेडल की ज्यादा उम्मीद दिखाई देती है उन पर ज्यादा फोकस किया जाना चाहिए। उन खेलों पर भी फोकस किया जाना चाहिए जहां केवल हम मौजूदगी दर्ज करा सके।
#Rio में भारत के 119 में से 117 प्लेयर्स खाली हाथ लौटे
– भारत के 119 एथलीट्स रियो गए थे, जिन्होंने 15 गेम्स में हिस्सा लिया। लेकिन सिर्फ 2 प्लेयर ही मेडल हासिल कर सके।
– शटलर पीवी सिंधु 92 साल में सिल्वर जीतने वाली भारत की पहली महिला एथलीट बनीं।
– साक्षी मलिक ने कुश्ती में किसी भारतीय महिला की तरफ से पहला मेडल (ब्रॉन्ज) जीता।
इन्हें मेडल नहीं मिला, लेकिन देश का सिर ऊंचा किया
– दीपा करमाकर ने 120 साल में पहली बार भारत को जिमनास्टिक के फाइनल में पहुंचाया और वहां सबसे मुश्किल वॉल्ट ऑफ डेथ परफॉर्म किया।
– जबकि ललिता बाबर ने 32 साल बाद ट्रैक एंड फील्ड इवेंट के फाइनल में भारत को पहुंचाया।
ये हैं वो बड़े नाम जिनसे मेडल की उम्मीद थी, लेकिन बाहर हो गए…
आर्चरी : दीपिका कुमारी, बोम्बायला देवी, अतानु दास
मेन्स शूटिंगः अभिनव बिंद्रा, जीतू राय
लॉन्ग जंप: अंकित शर्मा
ट्रैप शूटिंगः मानवजीत सिंह संधू
टेनिसः लिएंडर पेस, सानिया मिर्जा, रोहन बोपन्ना
बॉक्सिंग: विकास कृष्ण
बैडमिंटन: साइना नेहवाल, अश्विन पोनप्पा, ज्वाला गुट्टा
रेसलिंग: नरसिंह यादव (बैन लगने के कारण बाहर हुए)
पैसा खर्च करने में पीछे नहीं थी स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री, 10 वजहें जिसके चलते थी मेडल की उम्मीद…
1. टारगेट अोलिंपिक पोडियम स्कीम
– मिनिस्ट्री ऑफ अफेयर्स एंड स्पोर्ट्स ने नेशनल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट फंड के तहत ‘टारगेट अोलिंपिक पोडियम (TOP) स्कीम’ की शुरुआत की थी।
– 100 एथलीट्स के लिए 45 करोड़ अलॉट किया गया था। एथलीट्स पर 30 लाख से लेकर डेढ़ करोड़ रुपए तक खर्च किए गए।
2. एथलीट्स के पीछे खर्च
– एथलीट्स पर एनुअल कैलेंडर ऑफ ट्रेनिंग एंड कॉम्पिटीशन्स के तहत खुलकर पैसे खर्च किए गए।
– पहली बार विदेशों में ट्रेनिंग-कोचिंग के लिए भेजा गया।